- इलाहाबाद हाईकोर्ट सरकार ने दिया निर्देश

ALLAHABAD : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ ही यातायात समस्या पर भी अहम आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि यातायात जाम में किसी एंबुलेंस के फंसने से मरीज को नुकसान पहुंचता है तो उसे अपराध की तरह देखा जाए और उसी के अनुसार कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि आम जनता को यातायात के प्रति जागरूक किया जाए, ताकि ट्रैफिक जाम में फंसकर किसी मरीज की जान न जाए।

जनहित याचिका पर दिया निर्णय

स्नेहलता सिंह व राजकुमार सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने सूबे में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने के मद्देनजर व्यापक आदेश दिया है। इनका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव को आदेश जारी किया है। ट्रैफिक जाम में एंबुलेंस आदि फंसने की अक्सर होने वाली घटनाओं का संज्ञान लेकर कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि दो माह तक यातायात जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाए। लोगों को बताया जाए कि वह अपने वाहन सड़क किनारे व सार्वजनिक स्थानों पर खड़े न करें। सड़क, सड़क पटरी व सर्विस लेन हर हाल में खाली रखी जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अभियान जल्दी चलाया जाए, ताकि इसका औचित्य समाप्त न होने पाए।

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तय हो जिम्मेदारी

कोर्ट ने कहा कि ट्रैफिक सिग्नल या अन्य स्थानों पर जहां की यातायात रोका जाए यह सुनिश्चित किया जाए कि एंबुलेंस व फायर ब्रिगेड की गाडि़यां बिना बाधा के निकल सकें। जागरूकता अभियान चलाने के बाद यातायात पुलिस व नागरिक पुलिस को यातायात दुरुस्त रखने, अतिक्रमण हटाने व पार्किंग की उचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। इसमें असफल रहने वाले संबंधित अधिकारी व कर्मचारी पर व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी और उसके विरुद्ध आपराधिक व विभागीय कार्रवाई की जाए।

गलत स्थान पर वाहन पार्किंग पर लगे बड़ा जुर्माना

कोर्ट ने कहा कि रिहायशी और व्यावसायिक इलाकों में जहां लोग पार्किंग न होने के कारण अपनी गाडि़यां सड़कों पर खड़ी करते हैं, वहां वाहन पार्क करने व्यक्ति की जिम्मेदारी तय कर उस पर बड़ा जुर्माना लगाया जाए। कोर्ट ने कहा कि तत्काल ऐसे नियम बनाए जाएं जिससे पार्किंग का स्थान न होने की स्थिति में वाहन का पंजीकरण नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार डेडीकेटेड कॉरिडोर बनाने के लिए तत्काल कदम उठाए, ताकि लोगों को बिना किसी बाधा के चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।

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आम लोग अपने इलाके के चिकित्सा केंद्रों की करें मॉनीटरिंग

कोर्ट ने जिला और ब्लाक स्तर पर नियमित कमेटियां बनाने का निर्देश दिया है, जिसमें आम लोगों को भी शामिल किया जाए। कमेटी अपने इलाके में चिकित्सा केंद्रों की मॉनीटरिंग करेगी।

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हर मरीज व तीमारदार को सरकारी अस्पताल में मिले नि:शुल्क भोजन

कोर्ट ने आदेश दिया है कि हर मरीज और उसके तीमारदार को सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क भोजन दिया जाए। मेडिकल कालेजों, सरकारी अस्पतालों के परिसर में सार्वजनिक समारोह आयोजित करने पर कोर्ट ने रोक लगा दी है। कहा कि अस्पताल परिसर में तेज ध्वनि का कोई संयंत्र नहीं बजाया जाएगा और रात दस बजे के बाद अस्पताल के आसपास शोर करने की इजाजत नहीं होगी। कोर्ट ने सरकार को यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि चिकित्सा सेवाओं के लिए फंड का किसी भी हालत में बिना उपयोग किए न रह जाए।