- शहर में इस कोने से उस कोने तक झेलनी पड़ती है जाम की फजीहत

- राजधानी के किसी भी इलाके में काम नहीं कर रहा प्रॉपर टै्रफिक सिस्टम

PATNA: शहर की ट्रैफिक व्यवस्था कितनी खराब है, यह बेली रोड पर आसानी से दिख जाता है। बेली रोड की ट्रैफिक पर ही पूरे शहर की ट्रैफिक चलती है। मिनट दर मिनट प्रेशर बढ़ता ही जा रहा है। हाथों के इशारे से चलने वाले इस ट्रैफिक सिस्टम का कोई माई-बाप नहीं है। हालत तो यह है कि यहां की पब्लिक ट्रैफिक पोस्ट और ट्रैफिक पुलिस का मतलब इतना ही समझती है कि अगर इशारे दिया तो चल दो या फिर रुकने कहा तो थोड़ा बढ़ा कर रोक दो। इस कांसेप्ट पर चल रहा सिस्टम दिनोंदिन कंडम होता रहा है।

बाबूजी, समझो जरा इशारे

डाकबंगला पर ड्यूटी कर रहे एक ट्रैफिक पुलिस ने बताया कि अगर लाइफ रेड या ग्रीन होती भी है, तो इसको समझने वाला कोई नहीं है। ग्रीन होने के बाद भी हाथों के इशारे से ट्रैफिक को क्लीयर करना पड़ता है, नतीजतन लाइट और ट्रैफिक मेन दोनों का यूज करना पड़ता है। ट्रैफिक डीएसपी एनएम झा का कहना है कि ट्रैफिक को कंट्रोल कर पाने में मुश्किल तब और बढ़ जाती है, जब फाइन के बाद भी पब्लिक सुधरने का नाम नहीं लेती। शहर की पब्लिक ऐसी ही है, गलती करके सुधरने का जज्बा भी नहीं है।

हाथों पर बढ़ता जा रहा है प्रेशर

शहर में जिस तेजी से ट्रैफिक का लोड बढ़ा है, सिस्टम उतना ही पुराना होता चला गया। हालत तो यह हो गई है कि जिन हाथों के इशारे पर पचास-साठ गाडि़यां रुका करती थीं, अब उसके इशारे पर एक साथ सैकड़ों गाडि़यां लड़ते हुए रुकती हैं। कुछ महीने पहले ही जेब्रा क्रॉसिंग बनाया गया था। हिदायत दी गई थी कि इसके पीछे ही गाडि़यों को रोकना होगा, पर बमुश्किल दस दिन चला यह नियम फिर खत्म हो गया। जेब्रा क्रॉसिंग पर गाडि़यां पार्क होने लगीं। ट्रैफिक कंट्रोल में लगे ट्रैफिक पुलिस बताते हैं कि समझदारी पब्लिक में आनी चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि किस तरह से इसका असर ट्रैफिक पर पड़ता है। हमलोग जब तक चिल्लाते हैं, तब तक गाडि़यां आगे निकल जाती हैं।

बेली रोड को छोड़ सब लावारिस

बेली रोड के ट्रैफिक पोस्ट पर आपको ट्रैफिक पुलिस दिख जाएंगे, पर इसके अलावा अन्य सड़कों की हालत खराब ही रहती है। इन सड़कों पर हर दिन ट्रैफिक का प्रेशर बढ़ते रहता है, फिर भी कोई देखने वाला नहीं है। एक से दो ट्रैफिक पुलिस को लगाया जाता है। बोरिंग केनाल रोड से लेकर बोरिंग रोड चौराहा तथा पाटलिपुत्रा तक रश के बावजूद ट्रैफिक पुलिस नहीं दिखते। कदमकुआं एरिया से लेकर, जीएम रोड, अशोक राजपथ सहित ऐसे दर्जनों सड़कें हैं, जहां लोग जाम की वजह से परेशान रहते हैं, बावजूद इसके ट्रैफिक सिस्टम अब तक दुरुस्त नहीं हो पाया है।

रेड व ग्रीन लाइट से मिला सहारा

दिनभर अपने हाथों से ट्रैफिक संभालने वाले ट्रैफिक पुलिस को दो साल पहले रेड व ग्रीन लाइट का सहारा मिला है, वरना शाम के बाद ट्रैफिक पुलिस भी चढ़ना बंद कर देते हैं। यही नहीं, कंडीशन इतनी बुरी है कि देर शाम के बाद जब जाम सबसे अधिक लगती है, तो ट्रेफिक दिखती तक नहीं।

लांग रन-वे बना रहा है ट्रैफिक पुलिस

ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए आए दिन ट्रैफिक पुलिस की ओर से लांग रन-वे बनाया जा रहा है। गांधी मैदान कारगिल चौक तक जाने वाली ऑटो और बस अब पीर अली पार्क के पास ही आकर रुकती हैं। ऐसा ही अन्य जगहों पर भी देखा जाता है।

मलाही पकड़ी से डॉक्टर्स कॉलोनी तक कहीं नहीं

मेन रोड तो छोडि़ए, मलाही पकड़ी से लेकर डॉक्टर्स कॉलोनी तक का सिस्टम पूरी तरह से बर्बाद है। इन जगहों पर गाडि़यों की जबर्दस्त रश रहने के बाद भी ट्रैफिक पुलिस के पास कोई ऑप्शन नहीं रहता है। कंकड़बाग के रोहित ने बताया कि ऐसा प्रयास ट्रैफिक डिपार्टमेंट की ओर से होना चाहिए, ताकि वो बेहतर से बेहतर काम कर पाए।