-आबादी के हिसाब से ऊंट के मुंह में जीरा है ट्रैफिक डिपार्टमेंट, सालों पुरानी व्यवस्थाओं पर चल रहा ट्रैफिक

- रोजाना वाहनों की बढ़ रही संख्या, बाहरी वाहनों पर भी नहीं कोई कंट्रोल

सुबह, दोपहर, शाम और वेडिंग सीजन में कभी-कभी तो पूरी रात सड़कें वाहनों से पैक रहती हैं। लोग जाम में फंसकर कराह जाते हैं। सिटी में ट्रैफिक को कंट्रोल करना डिपार्टमेंट के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। इसका सबसे बड़ा कारण है शहर की आबादी के हिसाब से ट्रैफिक पुलिस की स्ट्रेंथ का न होना। शहर की लगभग 36 लाख आबादी को कंट्रोल करने के लिए टै्रफिक डिपार्टमेंट में सिर्फ 284 जवान हैं। मतलब ऊंट के मुंह में जीरा।

दौड़ रहे दो लाख बाहरी वाहन

शहर में ट्रैफिक जाम को बढ़ावा देने में बाहरी वाहनों की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। आरटीओ के मुताबिक शहर में कुल 12 लाख छोटे-बड़े वाहन रजिस्टर्ड हैं और बिना रजिस्ट्रेशन के करीब दो लाख बाहरी वाहन धड़ल्ले से सिटी में दौड़ रहे हैं। प्राइवेट, डग्गामार वाहन और आटो, ई-रिक्शा आदि वाहनों को कंट्रोल करने में ट्रैफिक के साथ ही आरटीओ को भी हांफना पड़ता है। कुल 14 लाख वाहन शहर में दौड़ रहे हैं। जबकि पंद्रह साल पुराने वाहनों को शहर से बाहर करने पर आरटीओ ने रूपरेखा तैयार की है लेकिन अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया।

सिकुड़ती जा रही है सड़कें

सिटी में बहुत से ऐसे मार्ग हैं जो डेढ़ दो दशक पूर्व खूब चौड़ा हुआ करते थे। लेकिन अब सिकुड़ते जा रहे हैं। चाहे सिगरा-महमूरगंज मार्ग, कमच्छा रोड हो या फिर पांडेयपुर-आशापुर मार्ग। इन रोड पर अतिक्रमण के चलते चलने के लिए कम जगह ही बचती है। जिससे जाम लगता है। प्रशासन रोड से अतिक्रमण हटवाने में नाकाम साबित है।

रूट डायवर्जन भी एक बड़ी वजह

देखा जाए तो एक दशक से सिटी में डेवलपमेंट व‌र्क्स चल रहा है। सीवर खोदाई, पेयजल पाइप लाइन की खोदाई, फ्लाईओवर ब्रिज निर्माण आदि विकास कार्य चल रहे हैं। यह भी टै्रफिक जाम का एक प्रमुख वजह है। निर्माण कार्यो के चलते रूट डायवर्जन और रास्ते ब्लॉक होने से ट्रैफिक जाम की समस्याएं आम हो चुकी है।

बाहरी वाहनों और बढ़ती आबादी के चलते शहर की सड़कों पर दबाव कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। इस पर कंट्रोल नहीं है। कोशिश यही है कि जितनी स्ट्रेंथ है उसमें ही ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू रुप से चलाई जाए।

सुरेश चंद्र रावत, एसपी ट्रैफिक

एक नजर

36

लाख है सिटी की आबादी

14

लाख छोटे-बड़े वाहन रोजाना दौड़ रहे हैं सड़कों पर

12

लाख छोटे-बड़े वाहन हैं रजिस्टर्ड

02

लाख वाहनों का नहीं है रजिस्ट्रेशन

284

की स्ट्रेंथ है ट्रैफिक डिपार्टमेंट की