80
डेसिबल तक आवाज वाले सभी तरह गाडि़यों में लगे हॉर्न हैं मान्य
85
डेसिबल तक शोर या आवाज आसानी से हमारे कान बर्दाश्त कर सकते हैं
90
से 100 डेसिबल तक होने वाली आवाज कान में चुभने लगती है
100
डेसिबल या इससे भी तेज होने वाली आवाज है बेहद खतरनाक
-शहर से लेकर गांव तक धड़ल्ले से इस हार्न का प्रयोग कर रहे हैं युवा और लग्जरी कार सवार
-इस साल अब तक गाडि़यों में प्रेशर हॉर्न लगा कर चलने वाले एक भी चालक पर नहीं की गई कार्रवाई
PRAYAGRAJ: तेज आवाज करने वाली गाडि़यां ऊपर से उसमें प्रेशर यानी जलवा हार्न के बढ़ते शौक से जिले में ध्वनि प्रदूषण व हादसे तेजी से बढ़ रहे हैं। सरकार ने 80 डेसिबल से अधिक आवाज करने वाले प्रेशर हार्न का प्रयोग गाडि़यों में प्रतिबंधित कर रखा है। बावजूद इसके शहर के तमाम युवा गाडि़यों में इसका धड़ल्ले से प्रयोग कर रहे हैं। हैरत की बात यह है कि चौराहों पर ट्रैफिक व सिविल पुलिस के सामने गाडि़यों में लगे इस हॉर्न को बजाते हुए युवा सड़क पर फर्राटा भर रहे हैं। बावजूद इसके कार्रवाई का आंकड़ा जीरो है।
-12 से 13 गुना शोर रिकार्ड किए जा रहे हैं शहरों में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक
-55 डेसिबल दिन व रात के वक्त 45 डेसिबल तक शोर होना चाहिए रेजिडेंशियल एरिया में
-75 से 83 डेसिबल के बीच ध्वनि प्रदूषण हाल में रिकार्ड किए गए हैं, फ्लाईओवरों के पास। इसमें प्रेशर हॉर्न और गाडि़यों के एक्सीलेटर का शोर अधिक है
-130 से 150 डेसिबल आंका गया है, बगैर साइलेंसर की मोटर साइकिल का ध्वनि जो सेहत व ध्वनि प्रदूषण के लिहाज से काफी खतरनाक है।
-90 से 94 डेसिबल तक रिकार्ड की गई है जलवा यानी प्रेशर हॉर्न की आवाज, जो मानक से कहीं ज्यादा है
मर सकता है हार्ट का मरीज
-कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ। वर्ननुडसन का मानना है कि शोर एक धीमी गति वाला मृत्युदंड है।
-मानवजनित इस ध्वनि से लोग कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं।
-अचानक पास में हुए 85 डेसिबल से अधिक शोर से हार्ट के मरीजों की मृत्यु हो सकती है।
-स्वस्थ्य इंसान का ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, मानसिक संतुलन खराब हो सकता है।
-प्रीमैच्योर डिलीवरी भी हो सकती है।
-इतना ही नहीं इंसान बहरा व इरिटेट भी हो सकता है।
200 से 500 तक की कीमत के प्रेशर हार्न
सिविल लाइंस स्थित एक ऑटो पार्ट्स के दुकानदार की मानें तो प्रेशर हार्न को आम बोलचाल में जलवा हार्न कहा जाता है। इधर दो-तीन वर्षो से इसका क्रेज बाइक और लग्जरी गाडि़यों एवं ट्रकों में तेजी से बढ़ा है। आमतौर पर इस हॉर्न को युवा वर्ग काफी पसंद कर रहा है। हॉर्न का मार्केट में कंपनी और आवाज के हिसाब रेट है। शुरुआती रेट 200 से 500 रुपए तक है।
इधर कुछ महीनों से शहर में जाम काफी लग रहा है। सिपाही व विभाग उसी में उलझा रहता है। इस वजह से चेकिंग में थोड़ी ढिलाई आई है। जल्द ही अभियान चला कर ऐसे हॉर्न का प्रयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-कुलदीप सिंह, एसपी ट्रैफिक, प्रयागराज