आगरा ट्रैफिक पुलिस का जवाब नहीं
बाहर से आने वाली गाडिय़ों की फोटो खींचकर की जा रही है अवैध वसूली
ट्रैफिक रूल्स फॉलो न करने वालों की तस्वीर खींचने को मिला था कैमरा
आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने कैमरे से किया कैमरे के अवैध यूज का स्टिंग

ट्रैफिक पुलिस के सिपाही चौराहों पर वाहनों के फोटो खींचकर कई माह से अवैध वसूली करने में लगे हुए हैं। फोटो खींच रहे सिपाही के टारगेट सिर्फ बाहर से आने वाली गाडिय़ां और भारी वाहन होते हैं। आई नेक्स्ट रिपोर्टर को फोटो खींचकर अवैध वसूली किये जाने की कमप्लेन लगातार मिल रहीं थी। इसका खुलासा करने के लिए हमें कोई ठोस सबूत नहीं मिल पा रहे थे। हम एक लोडर लेकर प्लान्ड तरीके से माल रोड पर निकले, प्रतापपुरा चौराहे पर रेड लाइट पर रुकते ही सिपाही ने लोडर डीसीएम का फोटो खींच लिया। दूसरा सिपाही ड्राईवर को कागज दिखाने को बुलाता है। अब शुरू होता खुलेआम ब्लैक मेलिंग का खेल। इस दौरान ड्राइवर और सिपाही के बीच जो बातचीत होती है उसे हम आपके सामने वर्बेटम प्रेजेंट कर रहे हैं

ड्राईवर : साहब मेरे कागज तो पूरे हैं!
सिपाही : मैने कैमरे से तेरी गाड़ी का फोटो खींच लिया है। तूने स्टॉप लाइन क्रॉस कर दी है। तेरे मालिक के पास जुर्माने की रसीद पहुंच जाएगी।
ड्राईवर : साहब जुर्माना कितने का लगेगा?
सिपाही : दो हजार रुपए का जुर्माना लगेगा तेरे मालिक पर।
ड्राईवर : साहब मेरा मालिक मुझे नौकरी से निकाल देगा। लेकिन, साहब गाड़ी के कागज तो पूरे हैं!
सिपाही : पर तूने रेड लाइट होने पर स्टॉप लाइन को क्रॉस किया है।
ड्राईवर : लेकिन साहब पहले भी तो चालान होने पर तीन सौ रुपए का जुर्माना था।
सिपाही : ये फोटो चालान हैं हाई टेक्नोलॉजी है दो हजार रुपए का जुर्माना लगता है। चालान दस दिन में घर पहुंचता है।
ड्राईवर : साहब यहीं पर चालान काट दो या फिर जुर्माना भर लो।
सिपाही : ठीक है दो हजार रुपए दे दे, जुर्माना भर देंंगे।
ड्राईवर : कुछ कम में नहीं होगा?
सिपाही : चल एक तरफ कोने में। (बूथ में ले जाकर) एक हजार दे दे, फोटो डिलीट कर दूंगा।
ड्राईवर : साहब ये तो बहुत ज्यादा हैं तभी साथ खड़े क्लीनर ने बोला हमारे पास तो पांच सौ रुपए भी नहीं हैं।
सिपाही : तू कौन है, चल एक तरफ खड़ा हो जा।
ड्राईवर : साहब मेरे साथ में ही है। तीन सौ रुपए ले लो साहब।
सिपाही : पांच सौ रुपए से एक रुपया कम नहीं, और जल्दी कर मेरे पास टाइम नहीं हैं।
ड्राईवर : साहब फोटो तो डिलीट कर दोगे ना? मालिक बहुत फटकार लगाएगा।
सिपाही : (पास खड़े क्लीनर से) तुम तो पढ़े-लिखे नजर आ रहे हो। तुम खुद कैमरे में फोटो देख लेना।
ड्राईवर : क्लीनर से कुछ रुपए दो सौ रुपए मांग कर पूरे पांच सौ रुपए सिपाही को दे दिए।
सिपाही : अरे भाई छिपाकर दे। वो अखबार के पत्रकार घूमते रहते हैं। लोडर लेकर जल्दी निकल जाओ।

हमें भी दे रहा था रिश्वत
बूथ के बाहर खड़े रिपोर्टर ने ब्लैकमेलिंग के इस पूरे खेल को कैमरे में कैद कर लिया। खुद के कैमरे में कैद होते देख सिपाही डर गया। अरे भाई साहब और आगे कुछ नहीं बोल पाया। लेकिन थोड़ी ही देर में सिपाही ने रिपोर्टर को भी दो सौ रुपए देने को कहा। उसका कहना था कि वो और भी पैसे दे सकता है। बस उसे छोड़ दिया जाए। इस पर रिपोर्टर ने सिपाही से कहा कोई बात नहीं भाई आप काम करो हम तो बस ऐसे ही खड़े हो गए थे।

डेढ़ साल पहले आए थे कैमरे
ट्रैफिक पुलिस की अधिकारियों से शिकायत रहती थी कि वाहन चालक चालान करने पर लडऩे के लिए उतारु हो जाते हैं। गाडिय़ां छोडऩे के लिए रसूखदार लोगों के फोन आते हैं। एक्स डीआईजी असीम अरुण ने इन सभी परेशानियों को देखते हुए दिल्ली की तर्ज पर आगरा की ट्रैफिक पुलिस को दस कैमरे उपलब्ध कराए। जो सिटी के मैन चौराहों पर एक-एक सिपाही को दिये गये।

फोटो चालन पहुंचता है घर
चौराहे पर स्टॉप लाइन और उसके बाद जेब्रा लाइन होती है। रेड लाइट होने पर वाहनों को स्टॉप लाइन पर रुकना पढ़ता है। जेब्रा लाइन पैदल निकलने वालों के लिए होती है। जो वाहन लाइन को क्रॉस करते हैं, ड्यूटी पर तैनात सिपाही कैमरे से उनकी फोटो खींच लेते हैं। कैमरा एक वीक के लिए सिपाही के नाम से इश्यू होता है।

डेली खींचते हैं सैकड़ों फोटो
ट्रैफिक सिपाही इन सारे कैमरों से एक दिन में सैकड़ों फोटो खींचते हैं। लेकिन ट्रैफिक लाइन में एक दिन में सौ के करीब फोटो चालान ही पहुंचते हैं। एक फोटो चालान पर 119/177 के तहत सौ रुपए जुर्माना होता है। जो आपके घर दस दिन में पहुंच जाता है। फोटो चालान पर ट्रैफिक लाइन से सौ रुपए की रसीद काटी जाती है। जुर्माना न भरने पर पुलिस उसकी चार्जशीट लगाकर कोर्ट भेज देती है।

 

REPORT BY: MD KHAN