- सिटी के विभिन्न एरियाज में धड़ल्ले से कारों के शीशों पर चढ़ाई जा रही ब्लैक फिल्म

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: ट्रैफिक पुलिस की सख्ती कम होते ही कारों के शीशों पर काली फिल्म चढ़ाने का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। हद तो ये कि ये काम डीएम के आवास से चंद कदमों की दूरी पर ही धड़ल्ले से चल रहा है। वहीं, ट्रैफिक पुलिस है कि इन काली फिल्म चढ़ाने वालों से लेकर ऐसे वाहन चालकों पर कार्रवाई करने में दिलचस्पी ही नहीं दिखा रही है।

चालान काटने में ही बिता दिए दिन

सिटी की सुमेर सागर रोड, गोलघर काली मंदिर के सामने स्थित दुकानों पर छोटी गाडि़यों के शीशों पर 400 और बड़ी गाडि़यों पर 700 रुपए तक काली फिल्म लगवाने में लोग खर्च कर रहे हैं। पुलिस दोपहिया वाहन चालकों के खिलाफ हेलमेट न पहनने पर कार्रवाई तो कर रही, लेकिन ब्लैक फिल्म चढ़ी कारों या बस वालों को नहीं पकड़ रही। आलम यह है कि ट्रैफिक पुलिस ने पिछले छह माह में ज्यादातर दिन दो पहिया वाहनों के चालान काटने में ही बिता दिए। दिल्ली में हुए निर्भया कांड और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गोरखपुर पुलिस ने भी शहर के ज्यादातर वाहनों से फिल्म हटवा दी थी। वहीं कुछ दिन पहले पुलिस ने वाहनों की जांच तो की लेकिन वाहनों से काली फिल्म उतरवाकर चालकों को छोड़ दिया।

जाम पर ही रहता है पूरा जोर

पहले गाडि़यों के शीशों पर 40 और 60 प्रतिशत पारदर्शिता वाली फिल्म लगाई जाती थी। इसका उल्लंघन कर लोग ऐसी फिल्में लगाने लगे, जिसमें पारदर्शिता नहीं होती। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए कि कार के शीशे पर किसी प्रकार की फिल्म और मैटेरियल चस्पा नहीं किया जा सकता। लेकिन ट्रैफिक पुलिस काली फिल्म को लेकर सख्त नजर नहीं आती। कहने के लिए फिल्म लगवाने पर रोज 5-6 चालान बन रहे हैं। इसके लिए दो-तीन चौराहे तय हैं। वहां भी कार तभी रोकते हैं, जब वह सिग्नल क्रॉस करती हैं। गोरखपुर ट्रैफिक पुलिस का पूरा जोर फिलहाल जाम से निपटने पर ही है।

वर्जन

ऐसा नहीं है कि केवल दो पहिया वाहनों के चालान काटे जा रहे हैं। जहां भी हमें ब्लैक फिल्म लगी गाडि़यां दिखाई देती हैं, उनके भी चालान काटे जाते हैं।

- आदित्य प्रकाश वर्मा, एसपी ट्रैफिक