सहायता केन्द्र से चलता है धंधा

रिंग रोड चौराहे पर गुजरने वाले हैवी व्हिकल के ट्रैफिक बिना किसी रोकटोक के निकालने के लिये जानकीपुरम एरिया स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस हेल्प बूथ बनाया गया थाडिपार्टमेंट की मंशा थी कि इस बूथ पर तैनात किये जाने वाले ट्रैफिक कर्मी न सिर्फ यातायात को सुगम बनाये रखेंगे बल्कि इन वाहनों के ट्रैफिक रूल्स के वायलेशन पर भी लगाम लगा सकेंगेपर, इस ऑफिसर्स की इस मंशा को वहां तैनात किये जाने वाले ट्रैफिक कर्मियों ने ही पलीता लगा दियायही ट्रैफिक बूथ अब अवैध वसूली के धंधे का अड्डा बन गया है

Goods vehicles are soft target

बूथ पर तैनात ट्रैफिक कर्मियों की फौज केवल गुड्स व्हिकल्स यानी ट्रक और मिनी ट्रक को ही अपना शिकार बनाती हैवे इन ट्रकों को चेकिंग के बहाने रोकते हैं और कागज हाथ में आते ही उन्हें लेकर बूथ के भीतर बैठे टीएसआई तक पहुंचा देते हैंघबराया ड्राइवर जब उस ट्रैफिककर्मी के पीछे-पीछे बूथ में पहुंचता है तो शुरू होता है उसके ट्रक को बंद करने या सीज करने की धमकी देकर डराने का सिलसिलाइसके बाद ट्रक ड्राइवर चाहे जितनी भी मिन्नतें करे लेकिन बिना 'एंट्री फीसÓ दिये उसका आगे बढ़ पाना नामुमकिन है.

वसूली के लिए जान पर खेल जाते हैं

अवैध वसूली से तंग आ चुके ट्रक ड्राइवर अक्सर ट्रैफिक कर्मियों को देखकर अपनी गाड़ी भगाने की कोशिश करते हैं, पर इन ट्रैफिक कर्मियों में वसूली के लिये ट्रकों को रोकने का जुनून भी ऐसा है कि अपनी जान जोखिम में डालने से गुरेज नहीं करतेट्रकों को रोकने के दौरान यह ट्रैफिक कर्मी इस तरह के स्टंट दिखाते हैं कि बॉलीवुड फिल्मों का हीरो भी अगर इन्हें देखे तो वह भी दांतो तले उंगली दबा ले

मंथली पास की भी सुविधा

वसूली के इस अवैध कारोबार ने भी कॉरपोरेट कल्चर को अपना लिया हैजो ट्रक लखनऊ रिंग रोड से अक्सर गुजरते हैं उनके लिये मंथली एंट्री पास की सुविधा भी अवेलेबल हैपास का रेट भी ट्रक के टायर्स पर निर्भर करता हैजहां छह टायर के ट्रक के लिये एक महीने का एंट्री पास 520 रुपये में बनता है वहीं, 10 टायर के ट्रक के लिये यही पास 760 रुपये में बनता हैएक बार पास बनवा लेने पर ट्रक ड्राइवर को पूरे महीने लखनऊ की सीमा में कहीं भी कोई वसूली नहीं देनी पड़ती और वह सिर्फ रोके जाने पर यही पास दिखाकर बेरोकटोक आगे बढ़ सकता है

डयूटी लगाने पर भी वसूली

ट्रैफिक सोर्सेज के मुताबिक, 'मलाईदारÓ मानी जाने वाली रिंग रोड पर ड्यूटी लगवाने के लिये भी इन कॉन्सटेबल्स और होमगार्ड को अपनी जेब ढीली करनी पड़ती हैहर कॉन्सटेबल को हर रोज 100 रुपये और होमगार्ड को हर रोज 50 रुपये की फीस अदा करनी पड़ती हैइस 'फिक्स चार्जÓ के अलावा टीआई (लाइन), टीएसआई (ड्यूटी) और हवलदार मेजर की 'सेवा-सत्कारÓ का खर्च भी अलग से उठाना पड़ता है.

पहले भी लग चुके हैं दाग

वसूली के अलावा ट्रैफिक कर्मियों पर लूटपाट के भी आरोप लग चुके हैंअभी जल्द की ही बात है जब गाजीपुर के पॉलिटेक्निक चौराहे पर ट्रैफिक कॉन्सटेबल रंजीत यादव और चंद्रशेखर ने पंजाब के एक ट्रक ड्राइवर को दिनदहाड़े वसूली के लिये रोका थाजब ड्राइवर ने उन्हें वसूली देने से मना किया तो उन लोगों ने ड्राइवर को पीट-पीटकर उसका सिर फोड़ दिया और उसके पास मौजूद 35 हजार रुपये लूटकर फरार हो गयेहंगामा होने पर दोनों आरोपी कॉन्सटेबल्स को सस्पेंड कर दिया गया और उनका ट्रांसफर चुनार कर दिया गया था

वसूली के चक्कर मे दो ट्रकों के बीच कार दबी

लखीमपुर निवासी विलेज डेवलपमेंट ऑफिसर राजेश वर्मा वाइफ रीता वर्मा, छोटे भाई दिनेश व दो भतीजे नीरज व अंकित के साथ कार से अपनी ससुराल बाराबंकी जा रहे थेगुरुवार शाम करीब 6 बजे इंजीनियरिंग कालेज चौराहे पर उनकी कार दो ट्रकों के बीच में चल रही थी, प्रत्यक्षदर्शियो के मुताबिक, इसी दौरान ट्रैफिक का संचालन कर रहा ट्रैफि क कॉन्सटेबल वसूली के लिये अचानक आगे चल रहे ट्रक के सामने आ गयाड्राइवर को भी अचानक ट्रक रोकना पड़ाजिस पर कार चला रहे दिनेश ने तो कार को रोक लिया, लेकिन पीछे आ रहे ट्रक ने उनकी कार में जोरदार टक्कर मार दीइस हादसे में सभी कार सवार बाल-बाल बच गये लेकिन कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईउधर, घटना के बाद आरोपी ट्रैफिक कर्मी मौके से भाग निकलाआसपास के लोगों ने बताया कि वसूली के चलते वहां पर रोज ही इस तरह की घटनायें होती रहती हैं