सड़क सुरक्षा सप्ताह के उद्घाटन अवसर पर पहुंचे उप परिवहन आयुक्त

LUCKNOW:

जागरुकता अभियान लगातार जारी हैं। निवेदन किया जाता रहा है तो अब बस भय का ही रास्ता बचा है। शायद इसी रास्ते से चलकर लोग यातायात नियमों को मानना शुरू कर दें। यह कहना था उप परिवहन आयुक्त सड़क सुरक्षा गंगाफल का। सोमवार को 1090 चौराहे पर यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया था। सड़क सुरक्षा सप्ताह के अंतर्गत हुए इस प्रोग्राम में उन्होंने कहा कि दो पहिया वाहन चालकों से हेल्मेट पहनने के लिए कहना पड़ता है जबकि यह उनकी सुरक्षा का मामला है। लोग अपनी सुरक्षा के प्रति ही जागरुक नहीं हो रहे हैं। सिर्फ वे ही नहीं बल्कि चार पहिया वाहनों से चलने वाले सीट बेल्ट बांधना शान के खिलाफ समझते हैं। जबकि एक्सीडेंट होने पर यह सीट बेल्ट उनकी रक्षा करती है। उन्होंने बताया कि यातायात नियम लोगों की सुरक्षा के लिए होते हैं, इसके बावजूद लोग इनका पालन नहीं करते हैं। इसके लिए जागरुकता फैलाई गई अब तो सिर्फ इनफोर्समेंट का रास्ता ही बचा है। लोगों के धड़ाधड़ चालान कटे तब वह यातायात नियम मानने लगेंगे।

स्कूली बच्चों ने ली शपथ

कार्यक्रम के दौरान स्कूल से आए बच्चों को यातायात नियमों का पालन करने की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम का संचालन आरटीओ अजय कुमार त्रिपाठी ने किया जबकि इसका आयोजन एआरटीओ प्रशासन एके त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम में सड़क हादसे में कमी लाने को लेकर यहां मौजूद अधिकारियों ने अपने पक्ष रखे। कार्यकम में मौजूद केजीएमयू ट्रामा सेंटर के सर्जन संदीप तिवारी ने कहा कि खास बात यह है कि नियमों की अनदेखी करने वाले लोग पढ़े लिखे हैं। दुर्घटना में घायल होकर आने वाले भी शिक्षित ही अधिक होते हैं। सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी नियम इन्हें पता है फिर भी यह लोग उसे मानते नहीं है। कार्यक्रम के दौरान बताया कि सुरक्षित सड़क बनाने के 6.55 करोड़ दबाए पीडब्लूडी विभाग को दिए गए हैं। राजधानी में 37 ऐसी जगहों को चिन्हित किया गया है जहां अक्सर सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं।

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- यूपी में भी सीट बेल्ट लगाना जरूरी है क्या?

कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि मंडलायुक्त भुवनेश कुमार ने ऐसा वाकये के बारे में बताया कि जिसे सुनते ही लोग हंस पड़े। उन्होंने बताया कि मेरे एक मित्र अपनी कार चलाकर दिल्ली से लखनऊ मेरे घर आ रहे थे। यूपी में एंट्री लेने से पहले उन्होंने मुझसे फोन कर पूछा कि क्या यूपी में भी सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है? मेरी समझ में नहीं आया कि उन्हें क्या जवाब दूं। मैनें कहा कि यह तुम्हारी सुरक्षा का मामला है और यातायात नियमों में अनिवार्य है। यह सुनते ही लोग हंस पड़े।