- मीरानपुर कटरा के पास ट्रैक में मिला 6 इंच लम्बा गैप

BAREILLY:

देश की आजादी के जश्न में खलल डालने के लिए बीते दो दिनों में ट्रेन पलटाने की बड़ी साजिश सामने आई। दो दिन पहले विशारतगंज में ट्रैक पर रखे पम्पिंग सेट से टकराकर ट्रेन पलटने से बची थी, तो मंडे रात लखनऊ-दिल्ली रेल खंड पर मीरानपुर कटरा में पटरी काटी गई थी। टूटी पटरी से ट्रेनें गुजरती रहीं। इस बीच सिग्नल प्वाइंट बनना बंद हो गया। जब ट्रैक चेक किया गया तो पटरी में छह इंच का गैप मिला, तो अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। संयोग था कि कोई हादसा नहीं हुआ।

टूटी पटरी के जगह मिला टुकड़ा

मीरानपुर कटरा-बिलपुर रेलवे स्टेशन के बीच रात को टूटी पटरी से ही ट्रेनें गुजारी गई। वह तो अच्छा हुआ जब प्वाइंट नहीं बना तो कर्मचारी को मौके पर भेजा गया। पटरी टूटी देखकर ट्रेनें रोक दी गईं। करीब दो घंटे तक मरम्मत कार्य चला। सुबह 4 बजे ट्रेनें रफ्तार भर सकीं। मीरानपुर कटरा स्टेशन मास्टर के मुताबिक मंडे की रात करीब दो बजे लखनऊ की ओर से डीसीएन (मालगाड़ी) गुजराने को सिग्नल दिया गया। जब लूप लाइन से मेन लाइन जोड़ने को प्वाइंट बनाया तो दिक्कत हुई। प्वाइंट नहीं बना। जिससे ग्रीन सिग्नल भी नहीं हुआ। स्टेशन मास्टर ने रेल कर्मचारी को मौके पर भेजा। स्टेशन मास्टर ने फिर से प्वाइंट बनाने का प्रयास किया। प्वाइंट बन गया। सिग्नल भी ग्रीन हो गया। इतनी देर में पोर्टर कर्मचारी मौके पर पहुंच गया। उसने देखा, प्वाइंट के स्थान पर करीब 6 इंच लंबा पटरी का टुकड़ा दूर पड़ा था। दोनों पटरियों के बीच बड़ा गैप था। पोर्टर ने स्टेशन मास्टर से रेल संचालन रोकने को कहा।

रोकी गई आधा दर्जन ट्रेनें

मालगाड़ी, रक्सौल, सुहेलदेव सहित आधा दर्जन ट्रेनों को तिलहर, कटरा, बंथरा आदि स्टेशनों पर रोका गया। बिलपुर रेलवे स्टेशन से चार सदस्यीय टैक्निकल टीम को भेजा गया। टूट पटरी के टुकड़े को ट्रैक से जोड़ा गया। इस बीच 15-20 के कॉशन पर धीरे-धीरे ट्रेनें गुजारी गई। ट्यूजडे सुबह 4 बजे ट्रैक पर क्लिप प्लेट बांधी जा सकी। इसके बाद ट्रेनों ने रफ्तार भरी। मीरानपुर कटरा स्टेशन मास्टर का कहना है। पटरी के टूट जाने से प्वाइंट बनने में दिक्कत हो रही थी। मौके पर कर्मचारी को भेजा गया तो पटरी टूटने की जानकारी हुई। सुबह चार बजे तक मेंटीनेंस कार्य चला। ट्रेनों को कॉशन पर गुजारा गया था।

ट्रैक पर पड़ा था पम्पिंग सेट

तीन दिन पहले विशारतगंज में रेलवे ट्रैक पर पम्पिंग सेट पड़ा मिला था। जिससे अमृतसर-हावड़ा टकरा गई थी। ट्रैक पर पम्पिंग सेट पहुंचा कैसे। बड़ा सवाल है। क्योंकि, बारिश में खेतों की सिंचाई तो हो नहीं रही है। ऐसे में, जाहिर सी बात है कि किसी अराजकतत्व की यह साजिश थी।

पहले भी हो चुका है हादसा

बता दें कि इससे पहले भी ट्रेनों को टूटे ट्रैक पर दौड़ाने का काम रेलवे कर चुका है। 13 जनवरी 2018 को बरेली यार्ड और रसुईया के बीच ट्रैक टूट गया था। जिस पर सत्याग्रह एक्सप्रेस को गुजार दिया गया था। वहीं पिछले वर्ष अक्टूबर में बरेली जंक्शन पर फ्रैक्चर ट्रैक से डबल डेकर को गुजारने का मामला सामने आ चुका है।