- नहीं बदले गए टूटे स्लीपर, कॉशन लगाकर 20 किमी। प्रति घंटा की स्पीड से गुजारी जा रही ट्रेनें

BAREILLY:

मीरगंज में थर्सडे को कोयले से लदी मालगाड़ी के डिरेलमेंट का कारण पता चल गया है। मामले की जांच के लिए फ्राइडे को ट्रैफिक इंजीनियर, सीएनडब्ल्यू की टीम मीरगंज पहुंची। जांच अधिकारी पूरे दिन हादसे के प्रमुख बिन्दुओं पर साक्ष्य जुटाने में जुटे रहे। डिवीजन रेलवे मैनेजर को सौंपी अपनी ज्वॉइंट रिपोर्ट में डिरेलमेंट का कारण एक्सेल टूटना बताया है।

20 किमी। पहले ही जाम हो गया था एक्सेल

ट्रैफिक इंजीनियर और सीएनडब्ल्यू के अधिकारियों ने बताया कि यह एक्सेल 20 किलोमीटर पहले कही जाम हुआ होगा फिर गर्म होकर टूट गया। इसकी जांच कैरिज एन्ड वैगन से भी कराई जाएगी। ताकि, यह पता चल सके कि मालगाड़ी चलने से पहले इंजीनियर की टीम ने क्या-क्या चीजें चेक की थीं।

कॉशन पर गुजारी जा रही हैं ट्रेनें

मीरगंज स्टेशन मास्टर अख्तर हुसैन ने बताया फाटक संख्या 376 से 377 के बीच लगभग एक किलोमीटर तक कॉशन देकर 20 किमी। प्रति घंटा की स्पीड से ट्रेन निकाली जा रही हैं। टूटे हुए स्लीपर एक या दो दिन में बदल दिए जाएंगे।

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चार हादसों के बाद आई ट्रेनिंग की याद

नॉर्दर्न रेलवे मुरादाबाद डिवीजन के 8 रेलवे स्टेशनों के 26 लोको पायलट को रेल संरक्षा एवं सुरक्षा का पाठ पढ़ाया जाएगा। प्रशिक्षण केंद्र चंदौसी में बरेली, देहरादून, हरिद्वार, लक्सर, नजीबाबाद, बालामऊ और खुर्जा रेलवे स्टेशन के सीनियर लोको पायलट को ट्रेनिंग दी जाएगी, जो कि ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद अन्य लॉबी में अपने साथी लोको पायलट को रेल संरक्षा और सुरक्षा का पाठ पढ़ाएंगे।

एक महीने तक चलेगी ट्रेनिंग

रेल हादसे को कम करने के लिए एक महीने तक ट्रेनिंग दिए जाने का काम चलेगा। 13 अप्रैल से 16 मई तक चलने वाले ट्रेनिंग प्रोग्राम में रेल संचालन से संबंधी जानकारी दी जाएगी। ताकि, डिरेलमेंट की घटनाओं को कम किया जा सके।