- प्राइवेट ठेकेदार नहीं करवाते हैं ठीक ढंग से साफ-सफाई

<- प्राइवेट ठेकेदार नहीं करवाते हैं ठीक ढंग से साफ-सफाई

BAREILLY:

BAREILLY:

देश में रेलवे आवागमन का एक बेहतर साधन है। इसलिए उसे देश की लाइफ लाइन भी कहा जाता है, लेकिन ट्रेन से रेलवे ट्रैक और स्टेशन तक फैली गंदगी, उसकी साख पर बट्टा लगा रही है। अधिकतर यात्रियों की यही शिकायत होती है कि ट्रेन और टॉयलेट साफ नहीं होते हैं। जबकि, इसमें सुधार के लिए रेलवे ने तमाम प्रयास किए हैं। ठेकेदार पर लगाम कसने के लिए हेल्प लाइन नम्बर भी जारी किए गए हैं। इसके बावजूद सामान्य ही नहीं वीआईपी ट्रेनों में भी गंदगी पसरी रहती है।

ट्रेन में दिखी हर जगह गंदगी

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने अपने अभियान 'यात्रीगण कृपया ध्यान न दें' की अगली कड़ी में ट्रेनों और प्लेटफार्म की साफ-सफाई को परखा। प्लेटफार्म नम्बर-ख् पर आकर रुकी पाटलीपुत्र-चंडीगढ़ एक्सप्रेस में काफी गंदगी देखने को मिली। कोच से लेकर टॉयलेट तक रद्दी कागज, मूंगफली के छिलके बिखरे पड़े थे। कोच नम्बर-7 का और बुरा हाल था। वॉश बेसिन के नीचे कूड़ेदान की बजाय एक कागज का बॉक्स पड़ा था। जो कि रेलवे ने नहीं शायद किसी यात्री ने ही मानवता के नाते रख दिया था।

गंदगी पर हो चुका है हंगामा

गंदगी का यह आलम सिर्फ पाटलीपुत्र-चंडीगढ़ एक्सप्रेस में ही नहीं बल्कि, बाकी ट्रेनों में भी है। जिसकी शिकायत आए दिन एसएस से यात्री करते हैं। सबसे बुरा हाल ट्रेनों के टॉयलेट का रहता है, जिसकी सफाई ठीक से नहीं की जाती है। लिहाजा, टॉयलेट पीले ही पड़े रहते हैं। गंदगी के चलते कई बार यात्री टॉयलेट जाने से भी कतराते हैं। 9 नवम्बर ख्0क्7 को सहरसा से आनंद विहार जाने वाली सुपरफास्ट स्पेशल ट्रेन के टॉयलेट गंदा होने पर यात्री हंगामा भी काम चुके हैं। बरेली जंक्शन पर यात्रियों ने टॉयलेट दिखाने के बहाने स्टेशन मास्टर को बंधक बना लिया था। आरपीएफ ने काफी मशक्कत के बाद स्टेशन मास्टर को छुड़वाया था।

प्लेटफार्म भी रहता है गंदा

ट्रेन के अलावा प्लेटफार्म पर भी गंदगी रहती है। जिस वजह से मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं। वहीं खाने-पीने की लगी ठेली वाले कूड़ेदान का इस्तेमाल नहीं करते हैं। लिहाजा, खाने-पीने के बाद प्लास्टिक और कागज की प्लेट व गिलास बाहर ही पड़े रहते हैं। हालांकि, रेलवे ने प्लेटफार्म की साफ-सफाई के लिए प्राइवेट कंपनी को ठेका दे रखा है। फिर, भी उसका कोई खास फायदा नहीं दिख रहा है।

ट्रेनों के कोच एक बारगी सही भी होते हैं। लेकिन टॉयलेट इस्तेमाल करने का मन ही नहीं करता है। टॉयलेट की साफ-सफाई के लिए रेलवे को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

रणधीर सिंह, यात्री

मैं पाटलीपुत्र-चंडीगढ़ से बरेली किसी काम से आया हूं। ट्रेन में काफी गंदगी थी। जिसकी मैंने स्टेशन मास्टर से शिकायत भी की। स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत का दावा करने वाली रेलवे को बेहतर सर्विस देने की जरूरत है।

अभय कुमार, यात्री