- मेरिट और पसंद के आधार पर किए गये तबादले

- ग्राम्य विकास मंत्री और आयुक्त भी रहे मौजूद

39 अफसरों का ट्रांसफर

- 22 परियोजना अधिकारी, जिला ग्राम्य विकास अधिकारी,

- 03 मुख्य विकास अधिकारी

- 05 उपायुक्त मनरेगा

- 04 उपायुक्त एनआरएलएम

- 04 संयुक्त विकास आयुक्त

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LUCKNOW : ब्लैक बोर्ड में लिखकर किया गया तबादला, आप भी चौंक गए, लेकिन यह अनोखा प्रयोग हुआ सूबे के ग्राम्य विकास विभाग में जहां चुनाव आयोग के निर्देश के बाद तीन वर्षो से एक ही जगह पर जमे अधिकारियों का तबादला किया जाना था। विभागीय मंत्री डॉ। महेंद्र सिंह ने अनोखी पहल करते हुए मेरिट के आधार पर उनको मनपसंद जगह तैनाती दी। ब्लैक बोर्ड पर उनके नाम के आगे मेरिट में मिले नंबरों को लिखा गया और उनकी तैनाती की पसंदीदा जगह पूछी गयी। फिर क्या था, बिना किसी सिफारिश या मान-मनौव्वल के उनको वहां पोस्ट कर दिया गया।

पारदर्शिता के लिए उठाया कदम
मंगलवार को गन्ना संस्थान में आयोजित बैठक में जिलों में तीन वर्ष से अधिक समय तक कार्य कर चुके 39 अफसरों का तबादला किया गया। इनमें 22 परियोजना अधिकारी, जिला ग्राम्य विकास अधिकारी, तीन मुख्य विकास अधिकारी, पांच उपायुक्त मनरेगा, चार उपायुक्त एनआरएलएम एवं चार संयुक्त विकास आयुक्त शामिल हैं। बैठक में तबादले की पारदर्शी प्रक्रिया को अपनाते हुए अधिकारियों द्वारा किए गये विकास कार्यो एवं कार्यप्रणाली को ध्यान में रखते हुए मेरिट तैयार की गयी थी। इसके बाद वरीयता सूची के आधार पर उनको पसंदीदा जिलों में तैनाती दी गयी। इस अवसर पर ग्राम्य विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ। महेंद्र सिंह, प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव, आयुक्त एनपी सिंह एवं योगेश कुमार की मौजूदगी में अधिकारियों को नई जगह तैनाती का प्रमाण पत्र भी सौंपा गया। मुख्य विकास अधिकारियों के तबादले में मुख्यालय में तैनात श्रीकृष्ण त्रिपाठी को औरैया, उमेश कुमार तिवारी को संभल और दिनेश कुमार सिंह को कासगंज भेजा गया है। जबकि संभल में तैनात शंभूनाथ तिवारी को मुख्यालय में तैनाती दी गयी है।

किसी राज्य में नहीं ऐसी परंपरा
ग्राम्य विकास विभाग में तबादलों का यह जो तरीका अपनाया गया है, ऐसा देश के किसी भी राज्य में अब तक सामने नहीं आया है। जिन अधिकारियों का तबादला किया जाना था, उनको खासतौर पर बैठक में आमंत्रित किया गया और खुली बैठक में ही उनके कामकाज के आधार पर दिए गये नंबर ब्लैक बोर्ड पर लिखे गये जो बाकी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए मिसाल बन गये। इसके बाद सबके सामने उनसे तैनाती की पसंदीदा जगह पूछी गयी। पहले स्थान पर आने वाले अधिकारी को उसकी पहली पसंद की जगह और दूसरे स्थान पर आए अधिकारी को उसकी पसंद की दूसरी जगह पर तबादला कर दिया गया।

चुनाव ट्रांसफर सीजन से पहले होने जा रहा है। आयोग ने भी तीन वर्षो से एक जगह तैनात अधिकारियों को हटाने को कहा है। इस सूची में जिनका नाम शामिल था उनको आज बुलाया गया और परफॉर्मेस के आधार पर उनको पसंदीदा जगह भेजा गया। यह परंपरा हमने पिछले वर्ष शुरू की थी। दरअसल ट्रांसफर एक कलंक के टीके की तरह बन चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का यह जीता-जागता नमूना है।

- डॉ। महेंद्र सिंह, ग्राम्य विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)