- थानों से नहीं हिलना चाहते SO के कारखास

- कवायदों के बावजूद तबादलों में फंस रहा पेंच

GORAKHPUR: जिले में थानों पर वर्षो से तैनात कांस्टेबल्स के जुगाड़ के आगे एसएसपी के आदेश भी बेमानी साबित हो रहे हैं। ऐसे पुलिस कर्मचारियों के तबादले के कई बार निर्देशों के बावजूद वे जुगाड़ की बदौलत थानों पर जमे हुए हैं। जबकि पहुंच के अभाव में तमाम लोगों ने नई जगहों पर आमद करा ली है। वैसे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बड़ी संख्या में तबादले किए गए हैं। जो बच गए हैं, उनकी लिस्ट तैयार की जा रही है।

ऊंची पहुंच के आगे फीके आदेश

जिले के हर थाना पर कुछ ऐसे सिपाही हैं जिनके लिए नियम-कानून कोई मायने नहीं रखता। अपनी ऊंची पहुंच की बदौलत ऐसे पुलिस कर्मचारी मनमाने तरीके से ड्यूटी करते हैं। एक ही जगह पर कई साल से जमे हुए हैं। तबादले का आदेश जारी होने पर ये लोग किसी न किसी जुगाड़ की बदौलत आदेश निरस्त करा लेते हैं। बता दें, सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की वार्षिक स्थानांतरण नीति के तहत मुख्य सचिव ने पत्र भेजकर पुलिस कर्मचारियों के लिए भी तबादला नीति को लागू करने के लिए कहा था। लेकिन इस आदेश पर भी ठीक से अमल नहीं हो पा रहा है। पुलिस विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि सौ से अधिक सिपाही अभी भी पूर्वत बने हुए हैं।

पीआरवी या ट्रैफिक, कहीं नहीं गए सिपाही

जिले में एक ही थाना पर तैनात सिपाहियों के तबादले के कई प्रयास हो चुके हैं। 2016 में डायल-100 योजना के तहत पुलिस रिस्पॉन्स व्हीकल के लिए पुलिस कर्मचारियों की जरूरत पड़ी। इसके लिए जिले के 80 पुलिस कर्मचारियों के ट्रांसफर किए गए। इनमें ज्यादातर उनको भेजा गया जो एक जगह तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके थे। लेकिन पीआरवी के लिए होने वाले टेस्ट में सामूहिक रूप से सिपाही फेल हो गए। अनुशासनहीनता मानते हुए अधिकारियों ने कार्रवाई की। लेकिन इसके बाद भी तमाम सिपाही लौट आए। वहीं, चुनाव के बाद सीएम सिटी में ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया गया। पूर्व एसएसपी रामलाल वर्मा ने थानों पर जमे 50 सिपाहियों के तबादले कर दिए। लेकिन ट्रैफिक में जाने की जगह सिपाही कोई न कोई बहाना खोजते रहे। इनमें 20 से अधिक सिपाही पूर्वत बने रहे।

यह है नियम-कानून

पुलिस विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि जिले और थाना पर तैनाती का नियम है। हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल के लिए एक जिले में कुल तैनाती का कार्यकाल 12 साल तय है। एक बार जिले में आमद कराने के बाद वह 12 साल तक काम कर सकते हैं। लेकिन एक थाना में उनकी तैनाती का सिर्फ तीन साल का कार्यकाल निर्धारित किया गया है। तीन साल के बाद उनके कार्यक्षेत्र में फेरबदल होना चाहिए। पुलिस कर्मचारी री-पोस्टिंग न करा सकें, इसका भी ध्यान रखा जाए। लेकिन इस नियम को दरकिनार करके पुलिस कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं।

खूब चल रहा अटैचमेंट का खेल

पुलिस विभाग में तबादला होने पर जुगाड़ खूब चलता है। किसी न किसी बहाने पुलिस कर्मचारी थानों, चौकियों से नहीं जाना चाहते हैं। खासकर थानों के कारखास, जिनके भरोसे पूरी व्यवस्था चलती है। कारखास सिपाही कई बार अपने प्रभारी के तबादले के बाद उनके साथ ही नई जगह पर चले जाते हैं। विभाग में अटैचमेंट का खेल भी खूब चलता है। तबादले पर कहीं दूर न जाना पड़े इसलिए वह लोग जुगाड़ लगाकर किसी न किसी ऑफिस से अटैच हो जाते हैं। पुलिस विभाग के आधा दर्जन ऑफिस में अटैच्ड पुलिस कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। हालांकि उनके थानों पर तैनात न होने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता।

वर्जन

जिले में एक जगह पर तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके सिपाहियों के तबादले किए जा रहे हैं। इसकी सूची तैयार कराई जा रही है। जो लोग बच गए हैं, उनको जल्द ही हटा दिया जाएगा। नियमानुसार सबका ट्रांसफर किया जाएगा।

- राजेंद्र प्रसाद पांडेय, एसएसपी