- फेफड़े की टीबी है सबसे डेंजरस

- बिहार में टीबी के सबसे अधिक पेशेंट हैं

PATNA: टीबी खतरनाक रूप से बढ़ रही है। एक आंकड़े के मुताबिक देश में सबसे अधिक टीबी के केसेज बिहार में है। इसमें सबसे खतरनाक टीबी टाइप फेफडे़ की टीबी या पल्मुनरी टीबी है। इसका एक पेशेंट कम से कम दस या उससे अधिक लोगों को इंफेक्ट कर सकता है। अगर शुरुआती दौर में पेशेंट ट्रीटमेंट के लिए नहीं जाता है तो फिर डॉक्टरों के लिए कंट्रोल करना कठिन हो जाता है। और ड्रग रेसिस्टेंट होने के कारण ट्रीटमेंट की गुंजाइश घटती जाती है।

टीबी के खतरनाक स्टेजेज

फेफड़े की टीबी अधिक खतरनाक है। क्योंकि इसमें मेडिसीन का स्कोप घटता जाता है। डॉ दिवाकर तेजस्वी के मुताबिक अनडायग्नोस टीबी तेजी से स्प्रेड कर रही है। यह टीबी के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है। प्राइमरी केसेज का पांच परसेंट एमडीआर आइडेंटिफाई हो रहा है। मेडिसीन छोड़ देने से यह क्7 परसेंट तक हो जाता है।

- इवनिंग में तेज फीवर, छाती में दर्द, खांसने में ब्लीडिंग होना, भूख नहीं लगना आदि टीबी के लक्षण हैं।

- दो सप्ताह से अधिक खांसी हो तो बलगम की जांच कराएं।

-साधारण टीबी में छह से नौ माह दवाई चलती है।

- ठीक से डायग्नोस न हो या बीच में मेडिसीन छूट गई हो तो एमडीआर में बदल जाता है।

-इसका ट्रीटमेंट ख्ब् से ख्8 माह चलता है।

-इसके बाद का स्टेज एक्सडीआर है इसका सक्सेस रेट ख्भ् परसेंट से कम है।

-थर्ड स्टेज है टीडीआर, इसमें पेशेंट की मौत निश्चित है।

- गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की रिवाइज्ड टीबी कंट्रोल प्रोग्राम ख्0क्क् के मुताबिक बिहार में टीबी के 7म्,ब्8ब् रजिस्टर्ड केसेज हैं।