- जीडीए की एक कालोनी में लगने थे दो ट्रांसफॉर्मर

- दो माह पहले से अफसरों के यहां घूम रही है फाइल

GORAKHPUR : एक आम धारणा है कि सरकारी काम हमेशा लेटलतीफ रहता है। इसके पीछे होती है अफसरों की हीलाहवाली। विभागों के बीच आपसी खींचतान में केवल पब्लिक का नुकसान होता है। पब्लिक के साथ ऐसा ही कुछ नुकसान बिजली विभाग जीडीए की जनहित फाइलों के साथ कर रहा है। दो ट्रांसफार्मर की फाइल दो माह से बिजली विभाग में चक्कर लगा रही है, लेकिन बिजली विभाग कभी पैसे के लिए तो कभी जगह के लिए, फाइल को घुमा रहा है।

सिद्धार्थ नगर विस्तार में लगने थे दो ट्रांसफॉर्मर

दस साल पहले रामगढ़ एरिया में जीडीए ने छह कॉलोनियां डेवलप की। इन कॉलोनियों के सभी प्लाट बिक गए। जिन लोगों ने कॉलोनी में प्लाट लिया और घर बनवाया, उनके सामने प्रॉब्लम खड़ी हो गई। इन कॉलोनियों न रोड थी, न ही बिजली की कोई व्यवस्था। आखिरकार ख्0क्फ् में तीन कॉलोनियों में तो सब कुछ ठीक हो गया, लेकिन तीन कॉलोनियों में बिजली आज भी अस्थाई कनेक्शन से जल रही है। इनमें से सिद्धार्थनगर विस्तार कॉलोनी में अगस्त माह में जीडीए ने दो ट्रांसफार्मर लगाने के लिए इस्टीमेट बनाकर बिजली विभाग को दिया। जिस पर बिजली विभाग ने पहले पैसे की मांग की। जीडीए ने सितंबर माह में बिजली विभाग को लगभग क्0 लाख रुपए दे भी दिया। अब लगभग एक माह के बाद भी बिजली विभाग ट्रांसफॉर्मर नहीं दे रहा है और ट्रांसफॉर्मर लगाने की जगह की मांग कर रहा है। वहीं जीडीए का कहना है कि हम कॉलोनी डेवलप कर रहे हैं ऐसे में हम ट्रांसफॉर्मर लगाने की जगह चिन्हित करेंगे, बिजली विभाग क्यों चिन्हित करेगा।

दो हजार घरों को ढंग से मिलती बिजली

जीडीए में अगर ये दो ट्रांसफॉर्मर लग जाते तो लगभग ख् हजार घरों में सही से बिजली सप्लाई होती। अभी तक यहां लोगों को बांस-बल्ली और अस्थाई रूप से लिए गए कनेक्शन के भरोसे बिजली सप्लाई हो रही है। दूर से बिजली लाने में इन घरों को हर साल केबल बदलने के लिए करीब क् हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। अगर कोई बंदर इन तारों पर कूद जाए या जानवर बांस की बल्लियां गिरा दे तो सप्लाई ठप हो जाती है।

कुछ लोगों ने कंप्लेंट की थी कि हमारे यहां लो वोल्टेज की प्रॉब्लम है। इसके बाद ट्रांसफॉर्मर लगाने की कवायद शुरू हुई थी। इस्टीमेट तैयार का बिजली विभाग को दे दिया गया है। अब उनको ट्रांसफॉर्मर लगाना है।

पंकज त्रिपाठी, एक्सईएन जीडीए, बिजली विभाग