- परिवहन निगम अब बसों में टिकट देने के लिए कैशलेस व्यवस्था शुरू करने के लिए देगा यह सुविधा

- अब तक सफर के लिए लेना पड़ता था स्मार्ट कार्ड

LUCKNOW : कैश की किल्लत को खत्म करने के लिए अब परिवहन निगम जल्द ही रोजवेज बसों में ई-वॉलेट के जरिए टिकट की सुविधा देने जा रहा है। इससे जहां यात्रियों को सुविधा तो होगी ही साथ ही कंडक्टर्स को भी काफी आसानी होगी। निगम ने यात्रियों को कैशलेस सफर कराने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए मंडे को निगम के अधिकारियों एक कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक भी की।

कैश का झंझट खत्म

रोडवेज की बसों में सफर करने वाले यात्री अब मोबाइल से टिकट खरीद सकेंगे। टिकट के लिए वह अपने मोबाइल में उपलब्ध वॉलेट फ्री चार्ज, मोबी क्विक, पेटीएम, स्टेट बैंक बडी, आईसीआईसीआई पॉकेट, पेयू और रेड लॉ समेत जो भी सुविधा है, उससे भुगतान कर सकेंगे। इससे भुगतान लेने के लिए परिचालकों को एक मशीन दी जाएगी जिससे यह टिकट लेने पर परिचालक आश्वस्त हो सके कि यात्री द्वारा दी गई धनराशि परिहवन निगम के खाते में आ गई है।

ऑनलाइन सुविधा पहले से ही

परिवहन निगम में पहले से सीट आरक्षित कराने पर ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध है, लेकिन सफर के दौरान यात्रियों को नकद धनराशि चुकानी पड़ती है या फिर स्मार्ट कार्ड का प्रयोग करना पड़ता है। स्मार्ट कार्ड के लिए भी उसे बस अड्डे पर इसमें धनराशि रीचार्ज करानी पड़ती है, लेकिन रोडवेज की बसों में सफर करने वाले यात्रियों में अब तक मात्र पांच प्रतिशत लोग ही स्मार्ट कार्ड का सफर कर रहे हैं जबकि 95 प्रतिशत लोग कैश देकर टिकट ले रहे हैं।

दो हजार के नोट से बढ़ी दिक्कतें

परिवहन निगम के अधिकारियों के अनुसार अब मार्केट में 2000 का नोट आने से परिचालकों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। सफर के दौरान अधिकांश यात्री परिचालकों को दो हजार का नोट देते हैं भले ही टिकट की धनराशि सौ रुपए ही क्यों ना हो। ऐसे में दो या तीन यात्रियों से दो हजार रुपए की धनराशि लेने के बाद यदि परिचालक उन्हें फुटकर धनराशि वापस कर दे तो उसके पास धनराशि नहीं बचती है। जिससे अन्य यात्रियों और परिचालकों, दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिस तरह लोग दुकानों पर मोबाइल से धनराशि का भुगतान कर रहे हैं, उसी तरह से अब बसों में सफर के दौरान भी यात्री टिकट की धनराशि का भुगतान कर सकेंगे।

कोट

इससे यात्रियों और परिचालकों दोनों को आसानी रहेगी। इसके लिए कंपनी से बातचीत हुई है। जैसे ही इसकी तकनीकी दिक्कतें दूर हो जाएंगी, इसे लागू किया जाएगा।

- के रविन्द्र नायक

एमडी, उप्र। राज्य सड़क परिवहन निगम