- पहाड़ में वाहनों का संकट, नई बसों का नहीं हुआ रजिस्ट्रेशन

- अनुबंध के आधार पर संचालित की जाने वाली एक दर्जन नई बसें पहुंची आईएसबीटी

- बिना रजिस्ट्रेशन के नहीं हो पा रहा संचालन, आईएसबीटी में शोपीस बनी नई बसें

देहरादून, रोडवेज के बेड़े में अनुबंध पर हाल ही में शामिल की गईं ऑर्डनरी बसें आईएसबीटी में धूल फांक रही हैं. बसों को यहां पहुंचे करीब दो हफ्ते हो चुके हैं. इलेक्शन के दौरान में पहाड़ से लेकर प्लेन तक बसों का टोटा रहा, पैसेंजर परेशान रहे, लेकिन इन बसों को रूट पर नहीं दौड़ाया गया. बताया जा रहा है कि इन बसों का रजिस्ट्रेशन ही बस मालिकों द्वारा अभी तक नहीं कराया गया है, इस कारण इन्हें रूट पर संचालित नहीं किया जा रहा.

बसों का नहीं हुआ रजिस्ट्रेशन

रोडवेज के बेड़े में शामिल की गईं करीब एक दर्जन नई बसों में से किसी का भी अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. लेकिन, निगम ने इन्हें आईएसबीटी पर खड़ा कर दिया. इन बसों के संचालन के लिए ड्राइवर भी तैनात कर दिये गए थे.

नई बसों का पार्किग पर कब्जा

नई बसें आईएसबीटी की पार्किग में कब्जा जमाए हैं, जबकि पहले से संचालित हो रही बसों को पार्क करने की दिक्कत हो रही है. ऐसे में बसें आईएसबीटी से बाहर खड़ी करनी पड़ रही हैं, जिससे पैसेंजर्स को भी दिक्कत हो रही है.

अफसर बोले जल्द होगा रजिस्ट्रेशन

परिवहन निगम के अधिकारियों का कहना है कि नई बसें आ चुकी हैं, लेकिन अभी रोडवेज के बेड़े में विधिवत शामिल नहीं की गई हैं. पहले बसों का रजिस्ट्रेशन कराया जाना है, जो बस मालिक की ही जिम्मेदारी है. रोडवेज के बेड़े में 12 ऑर्डनरी और 4 वॉल्वो बसें शामिल की गई हैं.

ड्राइवर, कंडक्टर का संकट

निगम में पहले से ही ड्राइवर-कंडक्टर्स की शॉर्टेज है. अधिकारियों की ओर से जो बसें पहले से अनुबंध पर ऑपरेट की जा रही हैं, उन में निगम के कंडक्टर सेवा दे रहे हैं. 424 ड्राइवर-कंडक्टर की नियुक्ति का मामला कोर्ट में लंबित है. ऐसे में बसें ज्यादा और कर्मचारी कम हो गए हैं.

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रोडवेज के बेड़े में 200 नई बसें आनी थीं. इनमें से अभी अनुबंध के आधार पर 12 ऑर्डनरी बसें मिली हैं. 7 मई से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है, ऐसे में समय रहते निगम को नई बसों की व्यवस्था करनी चाहिए.

दिनेश गुसांई, प्रदेश महामंत्री

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अनुबंध पर संचालित की जाने वाली करीब 12 नई बसें आईएसबीटी पहुंच चुकी हैं, इनका रजिस्ट्रेशन अभी नहीं हुआ है, यह कार्यवाही बस ओनर द्वारा ही कराई जानी है.

दीपक जैन, जीएम, परिवहन निगम