लगजरी बसों में यात्रियों की संख्या आधी रह गई

माल भाडे़ से होने वाली कमाई में भी भारी गिरावट

प्रबंधन ड्राइवर-कंडक्टर्स के माथे मढ़ रहा दोष

देहरादून

उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में यात्रियों का लगेज भाड़ा बढ़ाने से सवारियां ही कम पड़ गई। खासकर लग्जरी बसों में तो यात्री आधे ही रह गए। लंबी दूरी की बसों में यात्री किराए से ज्यादा सामान का भाड़ा हो गया है। ऐसे में हल्द्वानी, दिल्ली, चंडीगढ, जयपुर, कटरा जाने वाली वॉल्वो बसें खाली चल रही हैं। घाटा हुआ तो कंडक्टर बदले गए, वे भी आउटडेटेड निकले। कोई स्मार्ट फोन नहीं रखता, किसी को ऑपरेट करना नहीं आता तो किसी के पास पोस्टपेड सिम नहीं था। ऐसे में बाहरी राज्यों तक चल रही बसों में यात्री रोडवेज से संपर्क ही नहीं साध पा रहे।

पैसेंजर से ज्यादा लगेज का भाड़ा

सबसे ज्यादा मुश्किल परिवहन निगम की लग्जरी बसों के संचालन में हो रही है। दून से चलने वाली 42 से अधिक लग्जरी बसों में लगेज बॉक्स काफी बड़ा है। ऐसे में परिवहन निगम यात्रियों के अलावा पार्सल बुकिंग कर उसका भी ट्रांसपोर्टेशन करता है। प्रबंधन का दावा है कि माल भाड़ा कम होने के कारण इस बसों को ड्राइवर-कंडक्टर्स के खिलाफ शिकायत मिल रही थी कि उन्होंने बसों को लोडिंग ट्रक बना दिया है। बसों में यात्रियों से अधिक सामान भरा होने के कारण बस का ऐवरेज भी कम आ रहा था और मालभाड़ा कम होने की वजह से कमाई भी कम हो रही थी। ऐसे में परिवहन निगम प्रबंधन ने मई में माल भाड़ा बढ़ाकर दोगुना कर दिया। इसके लिए 25 से 100 किलो के बीच चार कैटेगिरी तय कर दी। 100 किलो माल का भाड़ा यात्री किराए से भी 10 प्रतिशत तक अधिक हो गया। ऐसे में इन बसों में माल भाड़े के लिए यात्रा करने वालों की संख्या घट गई।

प्रयोगशाला बन गया परिवहन निगम

लग्जरी बसों में यात्रियों की संख्या कम हुई तो परिवहन निगम अधिकारियों ने कंडक्टर बदल दिए। सीनियॉरिटी के आधार पर लग्जरी बसों में सबसे सीनियर कंडक्टर लगाए गए। मामला और बिगड़ गया। सीनियर कंडक्टर स्मार्ट फोन चलाना ही नहीं जानते, जबकि रोडवेज इन बसों के लिए ऑनलाइन टिकट बुक करता है और कंडक्टर्स को भी इसकी डिटेल स्मार्ट फोन पर एप के जरिए दी जाती है। ऐसे में पैसेंजर्स से कम्यूनिकेशन भी टूट गया। जम्मू में अन्य राज्यों की प्रीपेड सिम काम नहीं करता। बदले गए कंडक्टर्स के पास पोस्टपेड सिम नहीं है, ऐसे में वैष्णो देवी जाने वाले उन्हें कॉल कर बस की लोकेशन और डिटेल तक पता नहीं कर पा रहे। मजबूरन लोग निजी ट्रेवल एजेंसी या ट्रेन का रुख कर रहे हैं।

यात्री भाड़ा 1581, माल भाड़ा 1731

उदाहरण के लिए

देहरादून से कटरा यात्री किराया 1581 माल भाड़ा 1731

देहरादून से दिल्ली यात्री किराया 735 माल भाड़ा 764

यात्री किराए से भी अधिक माल भाड़ा होने से

सामान लेकर यात्री करने वालों का मोहभंग

लंबे रुट की बसों में अधिकतर यात्री सामान लेकर भी यात्रा करते हैं। नौकरी पेशा लोग घरेलू सामान भी पैक कर इन बसों में साथ लेकर चलते हैं। माल भाड़ा बढ़ जाने से अब यात्री रोडवेज बसों के बजाय निजी टूर ऑपरेटर्स को प्रिफर कर रहे हैं।

हेल्पर ही नहीं लगजरी बसें भी गंदी:

रोडवेज के बेडे में लगजरी बसें प्राइवेट फर्मो की हैं। अनुबंध की शर्त में हर लगजरी बस में एक हेल्पर का भी प्रावधान है। यात्र रूट पर जहां स्टे होता है,वहां बस की सफाई के लिए हेल्पर नहीं होने से यात्रियों को गंदगी के बीच सफर करना पड़ता है। जबकि बस मालिक को हेल्पर के बदले पेमेंट भी किया जा रहा है।

माल भाड़ा जस्ट डबल, इनकम आधी से भी कम :

रोडवेज की देहरादून से हर दिन करीब 400 बसे दिल्ली व अन्य लंबे रूट पर चलती हैं। इनमें पैसेंजर्स के अलावा सामान से करीब 50 लाख रुपए मंथली इनकम हो रही थी। रोडवेज ने मई में मालभाड़ा जस्ट डबल कर दिया। मालभाड़ा बढ़ाने से इन रूट्स पर पार्सल की बुकिंग को कम हो गई पैंसेजर भी घट गए। ऐसे में 50 लाख मंथली इनकम आधी से भी कम हो गई। पहले से ही घाटे की मार झेल रही रोडवेज का घाटा इससे कम होने के बजाय बढ़ गया।

कंडक्टर-ड्राइवर्स ने लगजरी बसों को लोडिंग व्हीकल बना दिया था। इस लिए मालभाड़ा बढ़ाया गया है। इससे पैसेजर्स की संख्या घटने जैसा कोई इश्यू अभी मेरे सामने नहीं आया है.फिर भी जांच कराते है।

दीपक जैन,जीएम रोडवेज