RANCHI: टाटा रोड भुइयांडीह में पिछले दिन एक ओवरलोड यात्री बस का पती टूट गया और उसमें सवार करीब 40 यात्रियों की जान सांसत में आ गई। शुक्र है बड़ा हादसा टल गया। लेकिन, यात्री बसों में जिस तरह सीट से ज्यादा पैसेंजर्स के अलावा छतों पर ट्रांसपोर्टिग के सामान ढोये जा रहे हैं, इससे कभी भी बड़ा हादसा होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं, यात्री बसों में ट्रांसपोर्टिग के सामान ढोने से सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है।

सवारियों से अधिक लगेज

रांची से पटना, भागलपुर, पूर्णिया, कोलकाता आदि शहरों के लिए स्लीपर कोच बसें चलती हैं। इन बसों में सवारियों से अधिक मात्रा में लगेज भरा जाता है। बसों में यह लगेज न केवल अंदर बल्कि बसों की छत पर भी लाद दिया जाता है, जिससे इन बसों की ऊंचाई और भी अधिक हो जाती है। खासबात यह है कि सभी बसें तेज रफ्तार में चलती है और ऊंचाई अधिक होने के कारण कभी भी हादसे का शिकार हो सकती हैं। इस प्रकार बस संचालकों द्वारा अपने निजी स्वार्थ के लिए न सिर्फ यात्रियों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है, बल्कि विभाग को भी लाखों रुपए के टैक्स का चूना लगाया जा रहा है।

200 बसें खुलती हैं रांची से

राजधानी से करीब 200 बसों का प्रतिदिन संचालन होता है, जिनमें दो हजार से अधिक यात्री सफ र करते हैं। रांची में जगह-जगह से खुल रहीं अधिकतर बसों में कोई सुविधा नहीं है। यहां तक कि कई बसों में इमरजेंसी विंडो भी नहीं है। पहले भी बसों में कई बड़े हादसे हो चुके हैं, लेकिन बस संचालक इससे सबक लेने को तैयार नहीं हैं और अपनी मनमानी पर उतारू हैं।

बॉक्स।

क्या है नियम

नियम के अनुसार, बसों में लगेज ले जाने का प्रावधान सिर्फ यात्रियों के लिए ही है, वह भी निर्धारित है। लेकिन बस संचालकों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर निर्धारित सीमा से अधिक लगेज क्विंटल में ढोया जा रहा है। बस संचालकों यात्रियों के अलावा ट्रांसपोर्टिग के सामान भी धड़ल्ले से ढोये जा रहे हैं।

वर्जन

यात्री बसों में ट्रांसपोर्ट के सामान ढोने की लगातार शिकायतें मिल रही हैं। पहले भी कई मौकों पर बस संचालकों को ओवरलोडिंग और अवैध लोडिंग से बचने की चेतावनी दी गई थी, लेकिन बस संचालक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। जल्द ही बसों का चेकिंग अभियान चलाया जाएगा।

-नागेंद्र पासवान, डीटीओ, रांची