- जिला प्रोबेशन अधिकारी ने किया जवाब-तलब, नहीं दिया जबाव

-सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना कर चाइल्ड होम में रखे बच्चे

- एनजीओ के मंसूबों की पड़ताल कर रहा प्रशासन

Meerut: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन में इमैनुअल चैरिटी सेवा गु्रप का संचालक देवराज गोडा फंस गया है। जिला प्रोवेशन अधिकारी पुष्पेंद्र सिंह के लगातार कॉल के बाद शुक्रवार को एनजीओ संचालक कार्यालय में पेश हुआ। समाजसेवा की आड़ में धर्मातरण का कारोबार चला रहा एनजीओ संचालक प्रशासनिक अफसर को न तो संस्था के दस्तावेज दे पाया और न ही सवालों के जबाव। प्रशासन ने अब एनजीओ के खिलाफ शिकंजा कस दिया है।

क्या कहना है सुप्रीम कोर्ट का?

सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी कर देश में संचालित सभी चाइल्ड होम को जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय से अनुमति की हिदायत दी थी। कोर्ट ने 20 दिसंबर की डेड लाइन देते हुए कहा कि जो चाइल्ड होम इस अवधि तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट के आदेश के बाद शासन ने सभी जनपदों को फरमान जारी किया था कि बिना अनुमति के चल होम पर चाइल्ड होम पर शिकंजा कसा जाए। डीपीओ पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि इमैनुअल चैरिटी सेवा गु्रप ने विभाग ने परमीशन नहीं ली है और न ही परमीशन के लिए अप्लाई किया।

चाइल्ड होम का संचालन अवैध

शास्त्रीनगर के एफ ब्लॉक स्थित एनजीओ इमैनुअल चैरिटी सेवा गु्रप अवैध चाइल्ड होम का संचालन कर रहा है। संस्था के पास रजिस्ट्रेशन नहीं है तो वहीं शुक्रवार को निदेशक गोडा प्रोबेशन अधिकारी को विभाग का अनुमति पत्र नहीं दिखा पाया। धर्मांतरण की गतिविधियों में लिप्त एनजीओ संचालक की कुंडली खंगालने का काम प्रशासन कर रहा है। डीपीओ सिंह ने बताया कि मेरठ में अभी तक चार संस्थाओं ने चाइल्ड होम के संचालन की अनुमति के लिए आवेदन किया है।

सवाल जिनमें उलझा संचालक

- बच्चों का धर्मांतरण क्यों किया गया, आखिर बाइबिल के अलावा कोई और धर्मग्रंथ चाइल्ड होम में क्यों नहीं है?

- चाइल्ड होम में लड़का और लड़की दोनों को एक साथ क्यों रखा जा रहा है।

-बिना रजिस्ट्रेशन के चाइल्ड होम का संचालन कैसे हो रहा है?

-हिमाचल-उड़ीसा के बच्चों को क्यों रखा, मेरठ में गरीब बच्चे नहीं है क्या?

-पांच-छह साल से चाइल्ड होम चला रहे हो, फंडिंग कहां से होती है?

-विदेशी महिला कौन है, और यहां क्या कर रही है। वीजा किसने दिया?

-संस्था का विदेशी कनेक्शन बताओ, आउटसोर्सेस क्या हैं? चाइल्ड होम में क्या कोई भी आकर रहने लगेगा?

-एकाउंट डिटेल मुहैया कराओ, स्कूल रिकॉर्ड में हिंदू बच्चों के नाम ईसाई टाइटल के साथ क्यों लिखाए गए।

(प्रोबेशन अधिकारी ने नेशनल पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल केके शर्मा से सभी बच्चों का रिकॉर्ड तलब किया है.)

-लगातार फोन करने के बाद भी तीन दिन तक जिला प्रोबेशन कार्यालय क्यों नहीं पहुंचे।

-बच्चों को पढ़ा-लिखा कर कहां सेट करते हो, अब तक कितने बच्चों को स्वावलंबी बनाया, प्रमाण दो?

एनजीओ संचालक अनुमति संबंधी दस्तावेज मुहैया नहीं करा पाया है। एक दिन का समय मांगा है, संचालक यदि प्रोबेशन विभाग को सही दस्तावेज मुहैया नहीं करा पाया तो और बच्चों को चाइल्ड होम में रखने को उपयुक्त वजह नहीं बता पाया तो जबाव उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।

पुष्पेंद्र सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी, मेरठ