यह था मामला
पल्लवपुरम फेस वन डबल स्टोरी एफडी-96 में रहने वाला अप्पू पुत्र शंकर दो दिसंबर को एक युवती के अपहरण के मामले में आरोपी था। इसको पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद हवालात में रखा हुआ था। युवक को जेल भेजने के बजाय दो दिन तक उससे सेटिंग होती रही। अब सवाल ये है, परिजनों के अनुसार क्या अप्पू से सेटिंग नहीं हो पाई थी, या फिर पुलिस ने दूसरी पार्टी से कर ली? जो अप्पू ने अचानक रात में हवालात के अंदर रोशनदान से लटककर फांसी लगा ली। वो भी कंबल फाड़ कर बनाई गई रस्सी से। वह ऊपर भी चढ़ गया और फिर लटक भी गया। पता तब चला जब उसकी आखिरी सांसे चल रही थीं.

बचता तो कोई और भी फंसता
हवालात के अंदर का सीन देखने से साफ है कि वह ऊपर तो चढ़ सकता था, लेकिन फांसी पर लटकना संभव नहीं था। चढऩे के लिए भी उसको सहारा चाहिए था। सबसे बड़ा सवाल ये कि हवालात में फिरोज नाम का युवक भी मौजूद था। इसके बावजूद उसने कंबल फाड़ लिया, फिरोज को पता नहीं चला, वह रोशनदान पर चढ़ गया और उसने फंदा तैयार कर लिया। ऐसे में साफ है कि अप्पू अगर बच जाता तो ना जाने कौन-कौन फंसता.

पीएम का सीन
अप्पू को हवालात से रात में बारह बजे थाने के सामने सीएचसी में ले जाया गया। पुलिस के अनुसार उसकी सांसे चल रही थीं, लेकिन जब उसको जिला अस्पताल लाया गया तो वह डेड था। अस्पताल में उसके मृत पहुंचने की एंट्री है। इसके बाद उसको पीएम के लिए भेज दिया। पीएम किया गया और सीन हैंंिगग का था। गले पर एक चौड़े पट्टे का सा निशान था। जिसके चलते उसकी गला घुटने से मौत हुई थी। डॉक्टर की मानें तो एक व्यक्ति को फांसी लगाने के लिए मुकम्मल जगह चाहिए। जो हवालात में नहीं होती। उसके गले पर बना निशान कंबल का नहीं हो सकता.

सवाल मांग रहे जवाब
- अप्पू को दो दिन तक पकड़कर हवालात में क्यों रखा गया।
- 24 घंटे में कोर्ट में पेश करने का प्रावधान है, फिर पेश क्यों नहीं किया.
- हवालात में कंबल फट रहा था तो फिरोज को क्यों नहीं पता चला.
- कंबल के कपड़े को बांधने के लिए मशक्कत करनी पड़ी होगी.
- कंबल के बने फंदे से अप्पू की गर्दन निकल गई और फंदा ज्यों त्यों रहा.
- फंदे को बिना काटे ही उसकी गर्दन कैसे निकाल ली गई।
- फंदे को नीचे भी नहीं खींचा गया ना ही खोला गया।
- अप्पू को सीएचसी में ले जाया गया, किसी प्राइवेट अस्पताल में नहीं.
- सवाल ये कि अप्पू की मौत फांसी पर लटकने से हुई या फिर उसको लटकाया गया.
- गले में चौड़ा निशान कुछ बयां करता है, आखिर वह क्या चीज थी जिससे उसको मारा गया.
- पीएम करने वाले डॉक्टर भी इस मामले में संदेह व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन वे कुछ बोल नहीं सकते.
- कंबल के फंदे की लंबाई और अप्पू की लंबाई फांसी लगाने लायक नहीं है।
- रोशनदान में कंबल बांधने के लिए अप्पू की लंबाई भी काफी होनी चाहिए थी.
- देखने से साफ है कि अप्पू बिना सहारे रोशनदान तक पहुंच ही नहीं सकता था.

पुलिस वाले जाएंगे जेल
अप्पू को अगर पुलिस वालों ने आत्महत्या के लिए उकसाया भी है तो उनका जेल जाना तय है। सभी आरोपियों को आईपीसी की धारा 306 के अनुसार दस साल तक की सजा और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। मामला हत्या में तब्दील हो जाता है यानि धारा 302 लगती है तो आजीवन कारावास और जुर्माना भी हो सकता है.

"हवालात में हत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपियों को दस साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। पुलिस वालों को इस मामले में जेल जाना पड़ सकता है."
- अनिल बख्शी, वरिष्ठ अधिवक्ता