रहस्यमयी है आगरा का किला

यमुना के किनारे बना किला भी खजाने के मामले में कम रहस्यमयी नहीं है। एक्सपट्र्स का मानना है कि इस किले में अकूत संपत्ति छिपी हुई है। इतिहासविदों कहते हैैं कि यह किला चौहान वंश के राजपूतों के पास था। 1080 ई। में महमूद गजनवी ने इस पर कब्जा किया था। बाद में दिल्ली सल्तनत के प्रथम सुल्तान सिकंदर लोदी, उसके बेटे इब्राहिम लोदी उसके बाद बाबर और फिर हुमांयू का राज तिलक भी इसी किले में हुआ। हुमांयू को हराकर शेरशाह सूरी ने इस पर कब्जा किया और बाद में यह किला अफगानों के कब्जे में चला गया। अकबर ने आगरा किले से ही अपनी राजधानी संचालित की थी। औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को इसी किले के उस हिस्से में कैद कर रखा था जहां से ताजमहल दिखता था।

अकबर टॉम्ब भी नहीं क म

1605 ई। से इसका निर्माण खुद अकबर ने शुरु कराया था। इसके कंप्लीट होने से पहले ही अकबर की मौत हो गई। अकबर के बेटे जहांगीर ने इसका पूरा निर्माण करवाया था। अकबर का मकबरा यही बनाया गया। पांच मंजिला यह मकबरा जितना सुन्दर है इसका कैम्पस भी उतना ही रहस्यमयी है। इतिहासविदों का मानना है कि इस मकबरे के आसपास बने बगीचों वाली जगह पर ही कुछ टीलानुमा स्थल भी हैैं। साथ ही साथ इसमें कुएं और बाबड़ी भी बनी हुई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यहां खुदाई करें तो खजाना निकलने की पूरी संभावना है।

रामबाग में भी कुछ हो सकता है

यमुना नदी के किनारे बनाया गया रामबाग भी छिपे हुए खजाने के मामले में कुछ कम नहीं है। मुगल उद्यान रामबाग का निर्माण मुगल शासक बाबर ने कराया था। कहा जाता है कि इमरजेंसी के टाइम के यूज के लिए शासक अपने आसपास खजाना जरूर रखते थे।  

हाइवे पर स्थित पत्थर का घोड़ा

मुगल शासक जहांगीर के हरम (रनिवास) के अधीक्षक इतवारी खां ने इसका निर्माण 1605 ई। में कराया। मस्जिद के साथ ही यहां एक लाल पत्थर का घोड़ा बना था। इतिहास के जानकार बताते हैैं कि अगर इस पत्थर घोड़ा मॉन्युमेंट्स की चाहरदीवार के अंदर अगर खुदाई कराई जाए तो कुछ न कुछ तो निकल सकता है।

यहां घर-घर में खजाना

लोगों का तो ये भी कहना है आगरा सिटी के घर-घर में खजाना छिपा हो सकता है। मोतीकटरा एरिया के रेजीडेंट अतुल कुमार बताते हैैं कि कलेक्ट्रेट से चंद कदमों की दूरी पर स्थित इस पुरानी रिहायश और आसपास की जमीन के अंदर खजाने के छिपे होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

गुपचुप तरीके से निकला माल

सोर्सेस से पता चला कि नेशनल हाइवे से सटे हुए सराय बेगा गांव में भी गुपचुप तरीके से कुछ लोग माल पर हाथ साफ कर चुके हैैं। यहां लोगों को कहना है कि तकरीबन बीस साल पहले एरिया के ही एक व्यक्ति के हाथ सोने और चांदी के सिक्के लग चुके हैैं। लोग बताते हैैं कि यह ठाकुर बेगा सिंह की हवेली है। हवेली अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है।

यहां भी हो सकता है माल

-माईथान

-बेलनगंज

-राजामंडी

-लोहामंडी

-नाई की मंडी

-सौंठ की मंडी

-मोतीकटरा

-ताजगंज आदि एरियाज

डॉ। तरुण शर्मा, इतिहासविद्

आगरा का अपना इतिहास है। मुगलों से पहले भी यह समृद्ध शहर था। यहां तमाम जगहों पर अगर खुदाई की जाए तो खजाना मिलने की संभावना है। खुदाई में अगर प्राचीन छोटी से वस्तु भी निकलती है तो वह भी इतिहास के लिए एक अनमोल धरोहर ही होती है।

टीकम सिंह, लोकल रेजीडेंट

सराय बेगा गांव और पत्थर घोड़ा का प्राचीन इतिहास रहा है। यहां पर भी अगर एएसआई ध्यान दे तो हो सकता है कि जमीन के नीचे खजाना निकल आए।