- आईजीआईएमएस पहुंचकर हेल्थ मिनिस्टर ने पेशेंट्स से पूछा हाल

- आई नेक्स्ट की मुहिम का गवर्नमेंट पर हुआ असर

PATNA : लगातार तीन दिनों तक आईजीआईएमएस का सच दिखाने के बाद हेल्थ मिनिस्टर इस हॉस्पीटल में पहुंचे। हेल्थ मिनिस्टर रामधनी सिंह यहां कई पेशेंट्स से मिले। हॉस्पीटल के डॉक्टरों व अन्य स्टाफ्स को एड्रेस करते हुए मिनिस्टर ने कहा कि यह संस्थान प्रगतिशील संस्था साबित होगी। डॉक्टरों की सक्रियता से ही संस्थान आगे बढ़ेगा। संस्थान के डायरेक्टर के हर नए प्रपोजल में हमारा समर्थन रहेगा। आने वाले समय में यह बिहार का पॉपुलर संस्थान बनेगा। मौके पर आईजीआईएमएस के डायरेक्टर एनआर विश्वास ने कहा कि हमें उम्मीद है हेल्थ मिनिस्टर हमारे हॉस्पीटल को पूरी तरह हेल्प देंगे ताकि इसे एक आइडियल हॉस्पीटल बना सकें।

वार्डो में घूमकर जाना हाल

पेशेंट्स का हाल जानने के लिए हेल्थ मिनिस्टर कई वार्डो में भी गए। कई पेशेंट्स से उन्होंने पूछा कि आप कैसे हैं? ठीक से इलाज हो रहा है ना? कोई दिक्कत तो नहीं है ना? हॉस्पीटल में एडमिट एमएलसी असलम आजाद से भी वे मिले। मेडिसीन डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर जहां बनना है उसका भी उन्होंने इंस्पेक्शन किया। डायरेक्टर को उन्होंने निर्देश दिया कि हर पेशेंट का ख्याल रखा जाए। कंप्लेन नहीं आनी चाहिए, लेकिन कहां चूक गए हेल्थ मिनिस्टर आगे पढि़ए।

इधर चूक गई मिनिस्टर साहब की नजर

शिवशंकर यादव चंपारण के मोतिहारी के रहने वाले हैं। उन्हें गले का कैंसर है। आईजीआईएमएस एडमिनिस्ट्रेशन ने उन्हें गवर्नमेंट हॉस्पीटल में ले जाने को कह दिया है। वे बरामदे पर पड़े थे कि तभी उधर से हेल्थ मिनिस्टर रामधनी सिंह गुजरे। लेकिन रास्ते के किनारे पड़े मिनिस्टर साहब की नजर इन पर नहीं पड़ी। हॉस्पीटल एडमिनिस्ट्रेशन तो उन्हें साइनिंग हॉस्पीटल दिखाने में ही लगा रहा। सबसे गजब की बात तो यह कि पेशेंट के बेटे की ओर से लगाई गई गुहार का अब तक कोई असर नहीं हुआ।

हेल्थ मिनिस्टर से मिले शिवशंकर यादव के पुत्र नंदू यादव

कैंसर पेशेंट शिवशंकर यादव पर मिनिस्टर साहब की नजर नहीं पड़ी, लेकिन शिवशंकर यादव के बेटे नंदू यादव पेशेंट के कागजात के साथ हेल्थ मिनिस्टर की ओर लपके। मिनिस्टर रामधनी सिंह ने पेशेंट को देखने का निर्देश दिया, लेकिन पेशेंट को सामने में हां और पीछे में ना का रास्ता दिखा दिया गया।

मुझे आईजीआईएमएस से एक पैसे की मदद नहीं मिली है। उल्टे मेरा हजारों रुपए पिता के कैंसर के इलाज में खर्च हो चुका है। क्7 जांच बाहर से करानी पड़ी। इसमें ही सिर्फ ख्7 हजार रुपए खर्च हो गए। इलाज में छह कट्ठा जमीन बेच दिए। बीपीएल कैटेगरी से हैं। लाल कार्ड है। स्कोर क्ख् है, लेकिन अब हॉस्पीटल ने इलाज करने से भी इंकार कर दिया है। क्या करें? कहां जाएं? नर्स नाक से पाइप भी नहीं निकाल रही है। कह रही है कि डॉक्टर से जाकर कहो। मंत्री जी से मिले थे। उन्होंने शाही जी से मिलवा दिया। शाही जी ने कहीं और भेज दिया, जहां डॉक्टर ने यहां से ले जाने के लिए कह दिया है।

- शिवशंकर यादव, पेशेंट का बेटा

इस पेशेंट को ट्रीटमेंट के लिए ख्0 हजार रुपए दिलवाए गए हैं। पेशेंट के पास रुपए नहीं हैं।

- डॉ। एसएस शाही, स्पोक्स पर्सन, आईजीआईएमएस

बीपीएल मरीजों की मदद का नियम क्या है

तीन दस्तावेज, पहचान पत्र, एड्रेस प्रूफ व इनकम सर्टिफिकेट सर्किल ऑफिसर के यहां से बना होना चाहिए। ट्रीटमेंट करने वाले डॉक्टर का स्टीमेट होना चाहिए। ऐसे पेशेंट को मैक्सिमम ख्0 हजार रुपए देने का अधिकार संस्थान के डायरेक्टर को है। हेल्थ मिनिस्ट्री के डायरेक्टर इन चीफ डेढ़-तीन लाख रुपए मुख्यमंत्री चिकित्सा कोष से दे सकते हैं।