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-किस दिन, किस कंपनी और कब दिया गया फैक्टर की रहेगी रिपोर्ट

-वजन के हिसाब से चढ़ाया जाएगा मरीज को फैक्टर

RANCHI (3 Nov): रिम्स में फैक्टर (वॉयल, जो इंटरनल ब्लीडिंग रोकता है)की सप्लाई प्रभावित होने से हीमोफीलिया मरीजों को होने वाली परेशानी खत्म होने वाले है। अब एक क्लिक में पेशेंट्स को फैक्टर चढ़ाया जा सकेगा। इसके लिए झारखंड के सभी हीमोफीलिया मरीजों को आधार से लिंक किया जाएगा, जिससे फैक्टर की सारी डिटेल ऑनलाइन हो जाएगी। मरीज को चढ़ाए गए फैक्टर का बैच नंबर, कंपनी और डोज भी मेंशन रहेगा। मरीज देश के किसी भी कोने में इलाज के लिए जाएंगे तो उन्हें केवल आधार नंबर दिखाना होगा। एक क्लिक पर उनकी सारी डिटेल अवेलेवल होगी। यह जानकारी हीमोफीलिया सोसायटी के सेक्रेटरी संतोष कुमार जायसवाल ने दी।

 

ऑनलाइन होगी मरीज की डिटेल

श्री जायसवाल ने बताया कि मरीज की पूरी डिटेल ऑनलाइन हो जाएगी। वहीं यह भी पता लगाया जा सकेगा कि एक महीने में मरीज को कितना फैक्टर चढ़ाया जा चुका है। रिकार्ड में यह भी बताया जाएगा कि मरीज को बॉडी के किस पार्ट में ब्लीडिंग होती है। इसके बाद उसे वजन के हिसाब से फैक्टर का डोज देश भर में कहीं भी दिया जा सकेगा।

 

गलत फैक्टर की आशंका होगी खत्म

अभी हीमोफीलिया के मरीजों के लिए ट्रीटमेंट चार्ट लागू कर दिया गया है, जिसमें डॉक्टर का रिमा‌र्क्स भी होगा कि मरीज की स्थिति फिलहाल क्या है। वहीं उसे एक महीने में कितना फैक्टर किस कंपनी का दिया गया। इससे मरीज को गलत फैक्टर दिए जाने की आशंका ही खत्म हो जाएगी। चूंकि रिम्स में कुछ महीने पहले मरीजों को जो फैक्टर चढ़ाया गया था, उसकी स्टिकरिंग कर दी गई थी। ऐसे में दवा किसी और कंपनी की थी और उसका लेबल किसी और कंपनी का था। जिसके बाद ड्रग कंट्रोलर डिपार्टमेंट की टीम ने सैंपल कलेक्ट कर टेस्ट के लिए भेज दिया था।

 

हीमोफीलिया सोसायटी रखेगी फैक्टर पर नजर

सिस्टम आनलाइन हो जाने के बाद हीमोफीलिया सोसायटी के लोग देश के किसी भी कोने से मरीजों पर नजर रख सकेंगे। इसके अलावा फैक्टर की अवेलिविलिटी भी पता कर सकेंगे। ऐसे में स्टॉक कम होते ही फैक्टर की डिमांड कर दी जाएगी। हाल के दिनों में रिम्स में फैक्टर की सप्लाई प्रभावित होने से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।