-बार्डर लाइन पर्सनालिटी डिस्आर्डर महिलाओं में ज्यादा

-व्यक्तित्व में संतुलन खोने से हो रही बीमारी

-बच्चों को बचपन से ही करें गाइड

LUCKNOW: कोई चीज बहुत अच्छी लगती है तो उसे लगता है कि इससे अच्छा कुछ और है ही नहीं और खराब लगती है तो इससे खराब कुछ नहीं। इसे ही बार्डर लाइन पर्सनालिटी डिस्आर्डर कहते हैं। कोई व्यक्ति जब अपने व्यक्तित्व में संतुलन खो देता है। तो यह मानसिक दिक्कत होती है जो पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होती है। इसलिए बचपन से ही बच्चों पर ध्यान दें और उनमें सूझबूझ की क्षमता विकसित हो इसका ध्यान रखें। विशेष तौर से बेटियों के लिए विशेष ध्यान दें। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चल रही इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी की 71 वीं नेशनल कांफ्रेंस में शुक्रवार को विश्व प्रसिद्ध मनोचिकित्सक सलमान अख्तर ने यह जानकारी दी।

अपनों की कमजोरी दिखाई देती है साफ

सलमान अख्तर ने कहा कि कई बार आपको अपने सगे की हर कमजोरी साफ दिखाई देती है, पहले आखिर क्या देखा था? यानी यह कोई जरूरी नहीं कि आपको जो व्यक्ति या चीज सबसे ज्यादा अच्छी लगती है वह सबसे अच्छी हो या सबसे खराब हो। बच्चों को बताएं कि कोई यह कहें कि वह तुमसे प्यार नहीं करता तो उसे भी अहसास करवाएं कि केवल तुम ही हीरो नहीं हो और भी बच्चे हैं जो अच्छे हैं। उन्होंने कहा कि एकल परिवार जहां मम्मी-पापा दोनों जॉब करते हैं वह बच्चों को यह सब नहीं सिखा पाते। ऐसे में प्यार की भूख बच्चों में रहती है। वह जल्दबाजी के रिलेशन बनाते हैं फिर धोखा खाते हैं।

विश्व स्तर पर युवाओं में बढ़ रही दिक्कतें

विश्व मनोरोग एसोसिएशन की अध्यक्ष व आस्ट्रेलिया की मनोचिकित्सक डॉ। हेलेन हरमैन ने कहा कि युवाओं में मानसिक रोग होने की संभावना ज्यादा होती है। डॉ। हेलेन हरमैन ने युवा मानसिक स्वास्थ्य में बड़ी चुनौतियों और युवा मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक वैश्रि्वक साझेदारी विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसी अन्य आयु वर्ग की तुलना में युवा उम्र में मानसिक बीमारियों की सम्भावना अधिक होती है जबकि इस आयु वर्ग की मानसिक चिकित्सा सेवाओं तक पहुंच खराब है। युवाओं के जीवन में व्यवधान को कम करने और भविष्य में मानसिक विकलांगता को काम करने के लिए पहले से ही हस्तक्षेप करने की आवश्यकता होती है।

जिम सप्लीमेंट बना सकते हैं नपुंसक

मुंबई से आई डॉ। दर्पण कौर ने बताया कि रिसर्चेज में निकलकर आया है कि जिम में बॉडी बिल्डिंग के लिए प्रयोग किए जाने वाले सप्लीमेंट बहुत खतरनाक हैं। इनमें स्टीरायड होते हैं। इनके कारण पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसी समस्याएं हो रही हैं। महिलाओं को भी दिक्कते होती हैं। आपकी बॉडी बिल्डिंग में मदद करने का दावा करने वाले ये सप्लीमेंट युवाओं को बर्बाद कर रहे हैं। इसके अलावा डायबिटीज, हाइपरटेंशन वाले मरीजों में भी यौन रोगों से संबंधित समस्याएं बढ़ी हैं। इसलिए इन बीमारियों को दवाओं व लाइफ स्टाइल की सहायता से नियंत्रित रखें।

डिप्रेशन से युवा प्रभावित

नूर मंजिल लखनऊ के डॉ। हेमंत नायडू ने बताया कि डिप्रेशन ऐसी समस्या है जिससे युवा और वृद्ध सभी परेशान हैं। डिप्रेशन के शिकार सबसे अधिक 20 से 40 की उम्र के लोग हैं। किशोरावस्था में भी यह समस्या बढ़ रही है। परीक्षा में नंबर कम आने, जॉब की प्रॉब्लम, गर्ल फ्रेंड या ब्वॉयफ्रेंड की टेंशन जैसी समस्याएं डिप्रेशन का कारण बन रही हैं।

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मिलते जुलते रहें, बीमारियों से दूर रहेंग

केजीएमयू के साइकियाट्री विभाग के पूर्व एचओडी डॉ। हरजीत सिंह ने बताया कि 60 से अधिक उम्र के लोगों में डिप्रेशन और एंजाइटी की समस्या बढ़ रही है। एकल परिवार या बेटे बहू दोनों के वर्किंग होने पर कोई घर पर न होने से अकेलापन बढ़ता है। आप अपनी लाइफ स्टाइल को व्यवस्थित रखें। रोजाना वाकिंग, सुबह का नाश्ता, लंच डिनर जरूर करें। लोगों से मिलते जुलते रहें। मुस्लिम हैं तो नमाज पढ़ते रहें और हिंदू हैं तो पूजा के साथ गायत्री मंत्र का जाप करें। दिल्ली स्थित एम्स ने इस पर शोध किया था, जिसमें निकलकर आया कि नमाज और गायत्री मंत्र से एंजाइटी और अन्य मानसिक समस्याएं दूर होती हैं।