-प्रदेश के मरीजों को खिलाई जा रही घटिया दवाएं

-मेरठ और इलाहाबाद में बांट रहे तमिलनाडु की दवाएं

LUCKNOW:

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में गरीब मरीजों का इलाज दूसरे प्रदेशों के सरकारी अस्पताल में सप्लाई की जाने वाली दवाओं के भरोसे चल रहा है। अस्पतालों में बिहार, राजस्थान और तमिलनाडु में सप्लाई की जाने वाली दवाएं दी जा रही हैं। लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर और कानपुर में बिहार, राजस्थान की पैरासिटामाल मिलने की जानकारी के बाद अब सहारनपुर में बिहार, इलाहाबाद और मेरठ, मथुरा सहित कई जिलों में तमिलनाडु की दवाएं सप्लाई होने की जानकारी आई है। इन दवाओं की क्वॉलिटी पर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि बिना जांच दवा नहीं दी सकती फिर भी प्रदेश भर में दूसरे प्रदेशों से दवाएं आ रही हैं।

घटिया दवाएं गरीबों को

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार वर्तमान सरकार में बहुत सी दवाओं की पिछले आठ माह में भी आरसी जारी नहीं हो सकी है। जिसके बाद जिलों में दूसरे प्रदेशों की दवाएं मंगाने का आर्डर जारी हो गया। लेकिन इसी आड़ में जिनकी आरसी है वह दवाएं भी विभिन्न जिलों में मंगाकर मरीजों को खिलाई जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक बड़ी संख्या में घटिया दवाओं का स्टाक जिन्हें राजस्थान और तमिलनाडु ने रिजेक्ट कर दिया उन्हें यूपी के गरीब मरीजों को खिलाया जा रहा है।

दबा दी जांच

शायद इसी कारण से रायबरेली, सीतापुर, लखनऊ और कानपुर देहात में बिहार व राजस्थान की सीरप की गुणवत्ता जांच दबा दी गई। यही नहीं प्रमुख सचिव द्वारा जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश को भी रायबरेली और लखनऊ के अधिकारियों ने इग्नोर कर दिया।

मेरठ, इलाहाबाद में तमिलनाडु की दवाएं

मेरठ और आगरा मंडल के जिलों में एंटी फंगल के रूप में यूज होने वाली क्लोट्रिमाजोल क्रीम सप्लाई की जा रही है। इसे उज्जैन मध्य प्रदेश के सुपर फार्मुलेशंस प्रा। लि। ने तमिलनाडु के अस्तपालों में मरीजों को देने के लिए बनाया है। इनमें तमिलनाडु गवर्नमेंट सप्लाई नाट फार सेल लिखा है। इसके अलावा सुल्तानपुर में भी बिहार सप्लाई की पैरासिटामॉल मिली हैं।

खड़े कर रहे प्रश्न

उधर इलाहाबाद के अस्पतालों में तमिलनाडु गवर्नमेंट सप्लाई की सोडियम बाई कार्बोनेट टेबलेट दी जा रही हैं। पता चला है कि सोडियम बाई कार्बोनेट टेबलेट भी दो दर्जन जिलों में सप्लाई की गई है। जिसके कारण मरीज दूसरे प्रदेश की दवा होने पर प्रश्न भी खड़े कर रहे हैं।

रायबरेली में पकड़ी थीं 46 सौ सीरप

सबसे पहले सितंबर में बिहार के सरकारी अस्पतालों में बच्चों को दिया जाने वाला पैरासिटामॉल सीरप रायबरेली के जिला अस्पताल में बच्चों को बांटते हुए पकड़ा गया था। वहां पर 46 सौ सीरप बिहार और राजस्थान के सरकारी अस्पतालों से लाकर दिए गए थे। ड्रग इंस्पेक्टर ने शिकायत मिलने पर छापा मारकर पांच हजार सीरप बैन कर दिए थे और वितरण पर रोक लगा दी थी। यहां पर 5 हजार सीरप आए थे और चार सौ वितरित कर दिए गए थे। इसके बाद लखनऊ और सीतापुर में भी भारी मात्रा में सीरप पकड़ी गई थी। लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ।

बिना जांच कैसे पहुंच रही दवा

हर जिले में दवाएं आने के बाद उसकी जांच की जाती है और उसके बाद ही अस्पतालों में भेजी जाती हैं। दवाओं में यूपी गवर्नमेंट सप्लाई लिखी दवाएं ही सरकारी अस्पतालों में वितरित की जा सकती हैं। यदि दूसरे प्रदेशों का स्टांप लगा है तो दवाओं की सप्लाई वापस कर दी जाती है। लेकिन जिलों के अधिकारी आंखे मूंदकर ये दवाएं अस्पतालों में वितरित कर रहे हैं।

रायबरेली ने नहीं दिया जवाब

रायबरेली में पैरासिटामाल पकड़े जाने पर डीजी हेल्थ ने मामले की हफ्ते भर में रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन रायबरेली के सीएमएस ने दो माह बाद भी अपनी रिपोर्ट नहीं भेजी है।

अधिक एल्कोहल की मात्रा

बिहार व राजस्थान सप्लाई की पैरासिटामाल सीरप में एल्कोहाल की मात्रा अधिक मिली थी। लेकिन अधिकारियों ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। क्योंकि बिना आरसी के दवाएं मंगाई गई थीं और यदि कार्रवाई हो है तो कई बड़े अफसर फंस सकते हैं।

जिन दवाओं की आरसी नहीं हो सकी है उन्हें दूसरे प्रदेश की आरसी से लेने का प्राविधान है। उसमें दवाएं उनकी शर्तो के आधार पर आती हैं। लेकिन यदि हमारी आरसी पर दूसरे प्रदेश के लिए बनी दवाएं सप्लाई की जा रही हैं तो गलत है।

डॉ। पद्माकर सिंह, डीजी हेल्थ