बस पांच रुपए। जी हां एमजीएम हॉस्पिटल में सिर्फ पांच रुपए में एक पेशेंट को मेडिसीन अवेलेबल करा दी जाती है। ये हम नहीं खुद एमजीएम के सुपरिंटेंडेंट कह रहे हैं। मेडिसिन के लिए जरूरत है सालाना दो से तीन करोड़ रुपए की, लेकिन फंड अलॉटमेंट हो रहा है सिर्फ एक करोड़ रुपए का। सिर्फ मेडिसिन ही नहीं यहां के दूसरे अन्य डिपार्टमेंट का भी यही हाल है। हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट  कहते हैं कि पेशेंट को अगर नॉर्मल पेन किलर और एंटीबायोटिक भी दी जाए तो उसका खर्च 5 रुपए से ज्यादा हो जाता है। ऐसे में इतने कम पैसों में पेशेंट्स के लिए मेडिसिन की व्यवस्था कर पाना इंपॉसिबल है।

पर पेशेंट 5 रुपए

एमजीएम हॉस्पिटल में आज भी प्रत्येक पेशेंट की मेडिसिन के लिए 5 रुपए खर्च किए जाने का प्रोविजन है। हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा हॉस्पिटल के ओपीडी मे आने वाले एक पेशेंट के मेडिसिन के लिए महज 5 रुपए मुहैया कराए जाते हैैं। हेल्थ डिपार्टमेंट का कुछ ऐसा ही हिसाब इनडोर पेशेंट के लिए भी है। एमजीएम में एडमिट  पेशेंट कोमेडिसीन के लिए 20 रुपए प्रति पेशेंट दिए जाते हैैं।

20 रुपया इनडोर पेशेंट के लिए

हॉस्पिटल में एडमिट पेशेंट के मेडिसिन पर सैकड़ों रुपए खर्च किए जाते हैैं। मगर इनडोर में एडमिट होने वाले हर पेशेंट के मेडिसिन की व्यवस्था के लिए हॉस्पिटल को महज 20 रुपए मिलते हैं। जबकि मार्केट में मेडिसिन्स की कीमत को देखते हुए इस रकम पर आश्चर्य होता है.  सुपरिंटेंडेंट कहते हैं कि इन पेशेंट्स को ऐसी कई मेडिसिन्स देनी पड़ती हैैं जिसके एक टैब्लेट या इंजेक्शन की कीमत सैक्शंड फंड से कहीं ज्यादा होता है।

कैसे हो ट्रीटमेंट

हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा पेशेंट के मेडिसिन के मद में दिए जाने वाले इतने कम फंड की वजह से पेशेंट को प्रॉब्लम तो होती ही है। साथ ही डॉक्टर भी अक्सर चक्कर में पड़ जाते हैैं। ओपीडी में आने वाला पेशेंट चाहे वो किसी भी डिजिज से पीडि़त हो, उसे मेडिसिन प्रिस्क्राइब करते वक्त डॉक्टर्स को भी 5 रुपए की सीमा का ख्याल रखना पड़ता है। मगर प्रैक्टिकली देखा जाए, तो 5 रुपए की मेडिसिन में छोटी से छोटी बीमारी का ट्रीटमेंट करना भी मुश्किल है।

होती है प्रॉब्लम

हेल्थ डिपार्टमेंट के इस रवैये का खामियाजा आखिरकार पेशेंट्स को ही भुगतना पड़ता है। कम फंड मिलने की वजह से हॉस्पिटल में अक्सर मेडिसिन्स की किल्लत बनी रहती है। सफिशिएंट फंड नहीं होने की वजह से हॉस्पिटल में लाइफ सेविंग ड्रग्स भी सही मात्रा में अवेलेबल नहीं रहता। ऐसे में गवर्नमेंट हॉस्पिटल में फ्री ट्रीटमेंट के लिए आने वाले पेशेंट को  मेडिसिन अवेलेबल नहीं रहने की वजह से मार्केट से मेडिसिन खरीदने पड़ते हैैं।

फंड है नाकाफी

हॉस्पिटल के ओपीडी में हर साल करीब 3 लाख 60 हजार पेशेंट्स ट्रीटमेंट के लिए आते हैैं। वहीं साल भर मे इनडोर पेशेंट्स की संख्या भी लगभग 1 लाख 44 हजार  है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट द्वारा इनके मेडिसिन के लिए 2 से 3 करोड़ रुपए फंड की रिक्वायरमेंट बताई जा रही है। मगर हॉस्पिटल को मेडिसिन के  लिए सिर्फ 1 करोड़ रुपए अलॉट किए गए हैैं। सुपरिंटेंडेंटने इस फंड को नाकाफी बताते हुए फंड का एलॉटमेंट बढ़ाने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट को लेटर भी लिखा गया है।

सुपरिंटेंडेंट कर रहे है रेट बढ़ाने की वकालत

एक तरफ जहां पेशेंट को मेडिसिन के लिए एमजीएम हॉस्पिटल में जूझना पड़ता है। वहीं एमजीएम सुपरिंटेंडेंट दूसरी अन्य सुविधाओं को बढ़ाने पर उतारू है। हॉस्पिटल में अभी एक्स रे सिंगल प्लेट के लिए 51 रुपए, एक्स रे डबल प्लेट के लिए 101 रुपए लिए जाते हैैं। वहीं अल्ट्रासाउंड फुल एबडोमेन का चार्ज 300 है, तो हाफ एबडोमेन के लिए 150 लेने का रूल है। ईसीजी, ऑपरेशन और पैथोलॉजी जैसी फैसिलिटी पेशेंट को फ्री में दी जाती है। बात अगर एम्बुलेंस की करें, तो नॉन एसी एम्बुलेंस के लिए पर किलोमीटर 3 रुपए लिए जाने का प्रोविजन है। एसी एम्बुलेंस के लिए ये चार्ज 5 रुपए है। हॉस्पिटल के पेइंग वाड्र्स के लिए चार्ज भी कुछ इसी तरह के हैैं। पेइंग वार्ड के लिए गवर्नमेंट इम्प्लाइज से जहां 7.5 रुपए लिए जाते हैैं, वहीं आम आदमी के लिए ये रेट 20 रुपए हैं। लेकिन हॉस्पिटल सुपरिंटेंडेंट इस रेट को बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने इस रेट को बढ़ाए जाने की मांग करते हुए हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को लेटर भी लिखा है।

For your information

- ओपीडी के एक पेशेंट के मेडिसिन के लिए मिलते हैैं 5 रुपए

- इनडोर पेशेंट के लिए मिलते हैैं 20 रुपए

- ओपीडी मेंरोज आने वाले पेशेंट की संख्या- करीब 1 हजार

-ओपीडी में एक साल में आने वाले पेशेंट की संख्या-    करीब 3 लाख 60 हजार

-इनडोर में एडमिट होने वाले पेशेंट की संख्या-    करीब 400

- इनडोर में एक साल में एडमिट होने वाले पेशेंट की संख्या-    करीब 1 लाख 44 हजार

-मेडिसिन के लिए लास्ट इयर अलॉट हुआ फंड-    1 करोड़

- मेडिसिन के लिए फंड की डिमांड-    2 से 3 करोड़

डिफरेंट टेस्ट और फैसिलिटिज के रेट

एक्स रे सिंगल प्लेट-    51 रुपए

एक्स रे डबल प्लेट-    101 रुपए

अल्ट्रासाउंड फुल एबडोमेन- 300 रुपए

अल्ट्रासाउंड हॉफ एबडोमेन-    150 रुपए

सिटी स्कैन-    800 रुपए

इसीजी-    फ्री

पैथोलॉजी-    फ्री

ऑपरेशन-    फ्री

एम्बुलेंस नॉन एसी-    3 रुपए प्रति किलोमीटर

एम्बुलेंस एसी-    5 रूपए प्रति किलोमीटर

पेइंग वार्ड (गवर्नमेंट इम्प्लाइज)- 7.50 रुपए

पेइंग वार्ड- 20 रुपए

क्वोट

मेडिसिन के लिए मिलने वाले इतने कम फंड की वजह से सही ट्रीटमेंट करना काफी मुश्किल होता है। मेडिसिन के लिए कम से कम 2 से 3 करोड़ रुपए फंड की जरूरत है, मगर हमें सिर्फ 1 करोड़ रुपए अलॉट हुए। दूसरे सुविधाओं के रेट को रिवाइज करने की जरूरत है। हेल्थ डिपार्टमेंट को इसके  लिए लेटर भी लिखा भी गया है. 

डॉ शिव शंकर प्रसाद, सुप्रिटेंडेंट, एमजीएम हॉस्पिटल