RANCHI: राज्य में हर साल लाखों पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन देखभाल के अभाव में अधिकतर सूख जा रहे हैं। सरकार हर वर्ष राज्य को हरा-भरा करने के लिए कई नई परियोजनाएं शुरू कर रही हैं, लेकिन विभाग की लापरवाही का नतीजा है कि झारखंड का वन क्षेत्र लगातार कम हुआ है। हर साल मुख्यमंत्री जन वन योजना शुरू होती है। लाखों पौधे वन विभाग लगाने का दावा करता है। कुद पौधे लगाकर विभाग के लोग भूल जाते हैं कि पौधों की देखभाल भी जरूरी है। ऐसे में ये पौधे बड़े होकर पेड़ बनने से पहले ही सूख जा रहे हैं।

पौधे लगे, पर नहीं हुए बड़े

रांची में सड़क चौडीकरण के नाम पर अधिकतर पेड़ काट दिए गए। उनकी जगह पर वन विभाग की ओर से नाममात्र पेड़ लगाए गए। लेकिन उनका सही से देखभाल नहीं किया गया और वो बड़े नहीं हो पाए। पेड़ लगाने के नाम पर बस खानापूर्ति की गई है। विभाग की इसी लापरवाही का नतीजा है कि शहर वीरान हो गया।

यहां के पेड़ बडे नहीं हुए

बिरसा चौक से राजेंद्र चौक तक करीब क्00 से अधिक पेड़ काट दिए गए। वन विभाग ने भ्00 पेड़ लगाने का वादा किया। वादा पूरा तो नहीं किया, वहीं जो पेड़ लगाए वे भी देखभाल नहीं होने के कारण सूख गए। यही हाल रांची पटना रोड का भी है, सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पेड़ काटे गए, लेकिन अभी तक उनकी जगह नए पेड़ नहीं लगाए गए हैं।

भ् करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाने का लक्ष्य

राज्य सरकार ने पूरे राज्य में पांच करोड़ से अधिक पेड़ लगाने का लक्ष्य तय किया है। इसके बाद प्रदेश हरा-भरा राज्य हो सकता है। पिछले दो साल से मुख्यमंत्री जन वन योजना शुरू कर प्रदेश को हरा भरा करने का काम किया गया है। इतने बड़े स्तर पर चलने वाला पौधरोपण अभियान प्रदेश में लगातार घटते वन क्षेत्र की ओर वन विभाग की संवेदनशीलता दिखाता है। कहीं भ्रष्टाचार तो कहीं उपेक्षा के चलते अभियान की मंशा पूरी होती नहीं दिखती।

विभाग के पास नहीं है जानकारी

वन विभाग के पास हर वर्ष लगाए जाने वाले पौधों की जानकारी का लेखा-जोखा तक नहीं है। इसके अलावा जितने पेड़ लगे हैं, उनकी स्थिति क्या है यह किसी को पता नहीं है। जबकि पौधों की खास निगरानी के लिए सभी क्षेत्रीय वन अधिकारियों की टीम काम कर रही है।

नियम का पालन नहीं

पेड़ लगाने के कुछ नियम सरकार ने तय किए हैं, लेकिन रांची में इस नियम को फॉलो नहीं किया जा रहा है। नियम कहते हैं कि फु टपाथ बनाते समय पेड़ के आसपास म् बाई म् फीट जगह छोड़ी जानी चाहिए। लेकिन, खुद सरकारी विभाग इन नियमों की परवाह नहीं करते। कई जगह तो जहां कंक्रीट के रोड बनते हैं, उनसे सटे ही पेड़ लगा दिए जाते हैं। इस कारण से भी पेड़ मर रहे हैं। पेड़ों के आसपास कंक्रीट जमीन होने से बारिश का पानी रिस कर नीचे नहीं जा पाता और ऐसे में पेड़ सूख जाते हैं। सीमेंट और पेड़ के बीच जो थोड़ी सी जगह छोड़ी जाती है, उसमें बारिश के दिनों में अक्सर पानी भर जाता है, ये पानी जब नीचे नहीं जाता तो अंदर ही अंदर पेड़ को गला देता है।