क्या हुआ तेरा वादा

तमाम मंच पर हमेशा ग्रीन दून की वकालत की जाती रही है, लेकिन यहां तो सब कुछ उल्टा-पुल्टा है। शहर में बन रहीं बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स, सड़कों के चौड़ीकरण और डेवलेपमेंट के नाम पर दर्जनों हरियालीयुक्त लींची, आम, सागौन, तुन, बबूल जैसे स्पिशीज के पेड़ों पर हर साल आरियां चलाई जा रही हैं। वह भी बिना रोक-टोक। आंकड़ों पर गौर करें तो 2011 और 2012 में दो सालों के भीतर प्राइवेट लैंड पर 1215 पेड़ को खतरनाक बताते हुए काट डाला गया।

 

Development की भेंट चढ़ गए

पिछले दस साल के भीतर ऐसी संख्या केवल 698 थी। ऐसे ही गवर्नमेंट लैंड पर दो साल के भीतर 411 पेड़ काटे गए और पिछले 11 साल के भीतर ऐसे पेड़ों की संख्या केवल 129 थीं। साफ है कि इन दो सालों के भीतर दून सिटी में 1626 पेड़ों पर आरियां चली, जबकि इससे पहले 11 साल में केवल 827 ही पेड़ काटे गए। कुल मिलाकर राज्य गठन से लेकर अब तक 12 साल के भीतर 512 लींची और आम के पेड़ों की बलि बिल्डिंग्स बनाने के अलावा कई और कामों के लिए दे दी गई।

 

10 साल के सारे records टूटे

कुल मिलाकर साल 2011 और 2012 यानी इन दो साल में शहर में पेड़ों पर ऐसे आरियां चली कि पिछले दस सालों के सारे रिकॉर्ड्स टूट गए। प्राइवेट ग्रीन ट्रीज, प्राइवेट डेड ट्रीज, प्राइवेट डेंजरस ट्रीज, पब्लिक डेंजरस ट्रीज, पब्लिक ग्रीन ट्रीज, पब्लिक डेड ट्रीज और कुल डेंजरस व डेड ट्रीज के नाम पर 4518 पेड़ का सफाया कर दिया गया। अकेले निजी जमीन पर खतरनाक पेड़ होने के बहाने पिछले साल 946 पेड़ का सफाया कर दिया गया। वहीं इसी साल निजी लैंड पर ही 800 हरे पेड़ को खत्म कर दिया गया।

 

Court में देंगे दस्तक

सिटीजन फॉर ग्रीन दून ने राजपुर रोड स्थित रेस्टोरेंट में आरटीआई के तहत मिली इंफॉर्मेशन का खुलासा करते हुए मीडिया को इस बाबत जानकारी दी। सिटीजन ग्रीन दून के मुख्य संयोजक डा। नितिन पांडे ने बताया कि उन्होंने कहा कि ये आंकड़े केवल कागजों के हैं, बाकी ऑफ द रिकॉर्ड का कोई जिक्र नहीं है।

2012 में कटे कुल पेड़

डेंजर्स पेड़--946

डेड पेड़--142

कंस्ट्रक्शन के नाम पर--351

बिना किसी रीजन के नाम पर--156

पर्सनल यूज के नाम पर--44

कुल फलों के पेड़--371

लींची के पेड़ कटे--136

आम के पेड़ कटे--211

दूसरे पेड़ कटे--1135

कुल पेड़ कटे---1639

'इस बात से ये साबित हो गया कि अधिकारियों को हरे-भरे पेड़ों की कोई फिक्र नहीं है। उन्होंने आम लोगों से अपील करते हुए साफ किया कि वे जल्द ही इस बारे में जनहित में हाईकोर्ट में दस्तक देने की तैयारी कर रहे हैं.'

-डा। नितिन पांडे, मुख्य संयोजक, सिटीजन ग्रीन दून