RANCHI : धर्म परिवर्तन कर ईसाई बने आदिवासियों को अब रिजर्वेशन समेत एसटी के नाम पर मिलने वाली अन्य सुविधाएं नहीं मिलेंगी। इसके लिए एसटी को जारी किए जाने वाले कास्ट सर्टिफिकेट में बदलाव किया जाएगा। इस बाबत राज्य सरकार ने एडवोकेट जेनरल अजीत कुमार से कहा है कि वे यह बताएं कि जिनके पास एसटी का कास्ट सर्टिफिकेट हैं और बाद में जिन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया है, उनको रिजर्वेशन व अन्य सुविधाओं का लाभ कैसे समाप्त किया जाए। एडवोकेट जेनरल ने सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश की बेसिस पर अपना मंतव्य सरकार को भेज दिया है। इसमें उन्होंने इसे लागू करने की सलाह दे दी है। ऐसे में सरकार जल्द ही इस बाबत आदेश जारी कर देगी।

रीति-रिवाजों से हो चुके दूर

एडवोकेट जेनरल ने राज्य सरकार को जो मंतव्य सौंपा है उसके अनुसार आदिवासी जो अपना धर्म परिवर्तन कर चुके हैं और उसके रीति-रिवाज से दूर हो चुके हैं उनको मिल रहा रिजर्वेशन तत्काल खत्म किया जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासी अब अपने कल्चरल को फॉलो नहीं करते हैं। ऐसे में इन्हें आदिवासी के नाम पर दी जानी वाली सारी सुविधाएं बंद कर देनी चाहिए।

मिल रही थी कई शिकायतें

राज्य सरकार को ऐसी सूचनाएं प्राप्त हो रही थी कि धर्म बदलने के बाद भी कई आदिवासी नौकरी व पढ़ाई में रिजर्वेशन समेत अन्य सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। जबकि, धर्म परिवर्तन के बाद वे इसके लिए योग्य नहीं थे। ऐसे में एडवोकेट जेनरल से मंतव्य लेकर धर्म बदलने वालों को एसटी के नाम पर मिल रही सुविधाएं समाप्त करने की पहल की जा रही है।

इश्यू हो चुके कास्ट सर्टिफिकेट की भी समीक्षा

सरकार ने इश्यू हो चुके एसटी कास्ट सर्टिफिकेट का भी रिव्यू करेगी, जिसका धर्म बदलने के बाद भी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी बेसिस पर नौकरी व शिक्षा के साथ अन्य सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। समीक्षा के बाद इन कास्ट सर्टिफिकेट को भी रद किया जाएगा।

कास्ट सर्टिफिकेट के लिए न्यू गाइडलाइन जल्द

एसटी के लिए जारी किए जाने वाले कास्ट सर्टिफिकेट के लिए जल्द ही न्यू गाइडलाइन जारी किया जाएगा। इसमें ऐसे कई नए कॉलम जोड़े जाएंगे, जिसका फायदा सिर्फ यहां के वास्तविक आदिवासियों को ही मिल सकेगा। इसमें आदिवासी धर्म, संस्कृति और रीति-रिवाजों को मानने वालों को ही एसटी का कास्ट सर्टिफिकेट इश्यू किया जाएगा। इसमें इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि अगर कोई आदिवासी है तो उसके घर में शादी-विवाह, मुंडन समेत अन्य संस्कारों में आदिवासी परंपरा व रीति-रिवाजों का पालन हो।