-सिम तो अलॉट कर दी लेकिन स्मार्टफोन को लेकर रगड़ा

-किसी ने अपने मोबाइल में डाली सिम तो किसी ने किया कोई ओर इंतजाम

BAREILLY: अपराधियों पर नजर रखने के लिए पुलिस त्रिनेत्र एप का इस्तेमाल करेगी, लेकिन त्रिनेत्र को सिग्नल ही नहीं मिल रहे हैं। क्योंकि सिग्नल तो तभी मिलेगा जब सिम मोबाइल में पड़ेगा। लखनऊ से सिम तो भेज दिए गए हैं, लेकिन मोबाइल के बारे में कोई जिक्र नहीं किया है, जिसके चलते थानों में टेंप्रेरी व्यवस्था की जा रही है। कहीं थाना प्रभारी के मोबाइल में एक्स्ट्रा सिम डाली गई है तो कहीं किसी ऑपरेटर ने अपने मोबाइल में सिम डाला है। इसी तरह से डाटा फीडिंग का काम किया जा रहा है।

ऑपरेटर को दिया है सीयूजी

त्रिनेत्र एप में क्रिमिनल्स का डाटा फीड किया जा रहा है। थाना प्रभारी अपने सीयूजी नंबर से इसे ऑपरेट कर सकेंगे। सभी थाना प्रभारियों को पासवर्ड दिया जा रहा है। इसके अलावा फीडिंग का काम सीसीटीएनएस के तहत वर्क करने वाले ऑपरेटर्स को करना है। जब भी कोई क्रिमिनल थाने में अरेस्ट होकर आएगा तो इसका रिकॉर्ड तुरंत फीड किया जाएगा। सभी थानों में ऑपरेटर के लिए सीयूजी नंबर उपलब्ध करा दिया गया है। इस नंबर को चलाने को लेकर कई ऑपरेटर थाना प्रभारी से मोबाइल के बारे में मांग कर रहे हैं तो थाना प्रभारी अलग-अलग तरीके से इसका हल निकाल रहे हैं।

अलग-अलग तरीके से किया इंतजाम

एक थाना प्रभारी ने थाने की स्टेशनरी के लिए आने वाले मद से मोबाइल फोन का इंतजाम किया है। एक थाना प्रभारी ने अभी अपने मोबाइल में दूसरी सिम डाली है, उसी के जरिए डाटा फीडिंग करायी है। एक थाना में ऑपरेटर ने ही अपने स्मार्टफोन में दूसरा सिम डाल दिया है। एक थाना प्रभारी ने अभी अपनी पॉकेट से ही रुपए देकर फोन खरीदा दिया है, लेकिन अक्सर थाना प्रभारी व ऑपरेटर का ट्रांसफर हो जाता है, जिसकी वजह से डाटा की फीडिंग में दिक्कत आ सकती है।

एक क्लिक पर अपराधी की कुंडली

त्रिनेत्र को सीसीटीएनएस के तहत डीसीआरबी से भी लिंक किया गया है। सारा रिकार्ड डीसीआरबी पर फीड हो रहा है। डीसीआरबी को एससीआरबी से लिंक किया गया है। पूरे प्रदेश में करीब 5 लाख अपराधियों का रिकार्ड फीड हो चुका है। अब थानों में किसी भी अपराधी के पकड़े जाने पर उसका रिकार्ड तुंरत इसी एप के जरिए फीड किया जाना है, जिसके चलते किसी भी अपराधी की कुंडली कभी भी सर्च की जा सकती है। एप में बस नाम, पता, व फोटो डालनी होगी तो उस क्रिमिनल की पूरी हिस्ट्री सामने आ जाएगी।

तीन तरफ से अपराधी की फोटो

अक्सर देखने में आता है कि कई वारदातों में लोग कहते हैं कि उन्होंने अपराधी को भागते देखा है, लेकिन कोई कहता है कि बाएं से देखा है तो कोई कहता है दाएं से। इसी वजह से अपराधी के पकड़े जाने पर उसका एक फोटो फ्रंट से और दो फोटो लेफ्ट-राइट फेस के लिए जा रहे हैं, ताकि फोटो की मिलान तुरंत हो जाए। इस एप के जरिए अपराधी पहले कहां-कहां जेल गया है, किस-किस मामले में उसे जेल हुई है। वह जेल से कब छूटा है, इसका भी रिकार्ड फीड किया जा रहा है।

-5 लाख अपराधियों का डाटा फीड प्रदेश में

-4300 अपराधी बरेली के, जिनका रिकार्ड तैयार

-29 थाने हैं बरेली डिस्ट्रिक्ट में