Triple murder

बनारस-जौनपुर की सीमा पर स्थित फूलपुर का इलाका मंडे की सर्द सुबह में गर्माया हुआ था। वजह थी इलाके में मिली एक ही परिवार की तीन लाशें। इनमें से एक विवाहिता की थी तो दूसरी उसकी छह माह की मासूम बच्ची थी तो तीसरी उसकी महज सात साल की भतीजी की थी। ये मर्डर किसने किये ये सवाल तो अभी अनुत्तरित हैं लेकिन गांव के सीवान में दिन भर हवा में तैरते जवाब इस बात का इशारा कर रहे थे कि ये किसी खास अपनों का किया करतूत था। अंदर चलिए तो हम सुनाएं इस वारदात की दास्तां

फूलपुर में विवाहिता, उसकी दूधमुंही बेटी और सात साल की भतीजी की हत्या

ऑनर किलिंग की ओर इशारा कर रहे हालात, हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए विवाहिता को लटकाया पेड़ से

VARANASI : फूलपुर थाना एरिया के कठिरांव लठियां गांव में रविवार की रात विवाहिता उसकी दूधमुंही बच्ची और मासूम भतीजी की निर्ममता से हत्या कर दी गयी। घटना को कुछ और ही रंग देने के लिए विवाहिता को घर से दो किलोमीटर दूर पेड़ से लटका दिया गया। लेकिन लाश खुद हत्या का सूबूत चीख-चीखकर दे रही थी। साथ ही अपनों को इस क्रूर कृत्य के लिए जिम्मेदार बता रही है। घटनाक्रम इशारा कर रहा है कि समाज में सभ्यता का मुखौटा पहनने वाले अपनों ने ही इज्जत की खातिर यह खूनी खेल खेला है।

रह रही थी मायके में

कठिरांव लठियां निवासी कैलाश पटेल की विवाहित बेटी कान्ति पटेल (ख्ख् वर्ष) अपनी दो माह की पुत्री कृष्णा के साथ मायके में रह रही थी। परिवार का कहना है कि रविवार की शाम वह अपने भाई सुनील की बेटी खुशी (सात वर्ष) के साथ कमरे में सो रही थी। रात्रि साढे़ सात बजे जब परिवार के लोग उसे खाना खाने के लिए जगाने गये तो वह नहीं मिली। बेड़ पर पड़ी खुशी की ओर किसी ने ध्यान दिए बिना कान्ति की तलाश शुरू कर दी। लगभग आधे घंटे बाद खुशी की मां शीला देवी फिर कान्ति के कमरे में पहुंची। खुशी को जगाने की कोशिश की तो देखा उसकी सांसे थम चुकी है। इसके बाद घर में कोहराम मच गया। पूरी रात खोज के बाद भी कान्ति और उसकी बेटी का कहीं पता नहीं चला।

सुबह नजर आयी मां-बेटी की लाश

सुबह ग्रामीण शौच के लिए सीवान की ओर गए तो महुआ के पेड़ से कपड़े के फंदे के सहारे लटकती विवाहिता की लाश नजर आयी। थोड़ी ही दूर पर एक कम्बल में लिपटी दूधमुंही की लाश पड़ी थी। यह बात जंगल में आग की तरफ फैल गयी। मौके पर लोगों की भीड़ जुटने लगी। थोड़ी देर बाद कैलाश पटेल पहुंचे। उन्होंने मरने वाली की पहचान अपनी बेटी कान्ति और पास में पड़ी दूधमुंही की लाश कृष्णा के रूप में की। तीन मौत की जानकारी होने पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर भागे हुए पहुंचे। एसएसपीआर डॉ। एके पांडेय, सीओ, एसडीएम भी आ गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए फोरेंसिंक टीम को बुलाया गया।

हत्या को बता रहे आत्महत्या

पुलिस और कान्ति का परिवार पूरे मामले को हत्या के बाद आत्महत्या का रंग देने में लगा रहा है। उनका कहना था कि कान्ति अपनी भतीजी खुशी की गला दबाकर हत्या करने के बाद बेटी को लेकर घर से निकल गयी। पेड़ के नीचे बेटी कृष्णा की भी गला दबाकर हत्या की। उसे वहीं छोड़कर खुद पेड़ पर जा चढ़ी। साथ लाए कपड़े के टुकड़े से फंदा बनाया। फांसी लगाकर जान दे दी। रात को घना कोहरा होने की वजह से घर वाले उसकी तलाश नहीं कर सके। पुलिस और परिजनों की यह बात किसी को पच नहीं रही थी। हालात कुछ और कहानी बयां कर रहे थे। जिस पेड़ की डाल से कान्ति की लाश लटक रही थी वह लगभग क्फ् फुट ऊंचा था। मुंह में कपड़ा ठूंसा हुआ था। दोनों हाथ को भी मजबूती से कपड़े से बांधा गया था। उसकी साड़ी खुलकर जमीन से छू रही थी।

सबकुछ नहीं था ठीक

कान्ति की शादी तीन साल पहले

जलालपुर (जौनपुर) के रहने वाले जर्नादन पटेल से हुई थी। वह मुम्बई में रहकर इलेक्ट्रिशियन का काम करता था। एक साल बाद कान्ति का गौना हुआ। दो महीने ससुराल में रहने के बाद पति उसे साथ लेकर मुम्बई चला गया। पांच-छह महीने बाद गर्भवती कान्ति को मायके पहुंच गया। मायके में ही दो महीने पहले बेटी कृष्णा का जन्म हुआ। जनार्दन को कान्ति के चरित्र पर शंका थी। वह बेटी को भी नाजायज औलाद कहते दोनों से कोई सम्बंध नहीं रखना चाहता था।

दो दिन पहले लौटी थी मुम्बई से

एक सप्ताह पहले गांव का झुल्लन राजभर मुम्बई जा रहा था। कान्ति भी अपनी बेटी को लेकर उसके साथ मुम्बई पति के पास चली गयी। इस बात को लेकर जर्नादन बुरी तरह से नाराज हो गया। बात जब हद से आगे बढ़ गयी तो कान्ति ने पूना में रहने वाले अपने भाई सुनील को फोन करके बुलाया। उसने दोनों को समझाया और साथ रहने के लिए राजी किया। उसके जाने के बाद फिर पति-पत्नी के बीच फिर झगड़ा शुरू हो गया। जानकारी होने पर जनार्दन बहन और भांजी को लेकर अपने घर ले आया। ख्7 दिसम्बर को कान्ति के घर लौटने के बाद परिवार की एक बार फिर शांति छिन गयी। उस दिन के बाद से लगातार घर में किचकिच होती रही।

मृतका के खिलाफ हत्या का मुकदमा

कान्ति के पास एक मोबाइल था। इससे वह घंटों-घंटों किसी से बात करती थी। मौत के बाद से उसका मोबाइल गायब है। फूलुपर एसओ संजीव कुमार मिश्र के अनुसार मोबाइल पुलिस के हाथ नही लगी है। बरामदगी में पुलिस जुटी हुई है। मोबाइल कॉल डिटेल व पीएम रिपोर्ट आने के बाद घटना के बारे में स्थिति स्पष्ट हो पायेगी। पुलिस ने पिता कैलाश पटेल की तहरीर पर कान्ति के खिलाफ हत्या की रपट दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है।

जवाब चाहते हैं सवाल

-परिजनों और पुलिस की कहानी को सच मानें तो कान्ति ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम क्यों दिया?

-जिस खुशी को कान्ति बेहद प्यार करती थी उसे मारने की क्यों जरूरत पड़ी?

-कान्ति ने अगर खुशी को कमरे में मारा तो अपनी बेटी और खुद को मारने के लिए घर से दो किलोमीटर दूर क्यों गयी?

-फांसी लगाने वाली कान्ति के मुंह में कपड़ा किसने ठूंसा?

-मजबूत कपड़े से हाथ बंधे होने के बावजूद कान्ति ने फांसी कैसे लगायी

-साढ़े पांच फुट की कान्ति क्फ् फुट ऊंचे डाल तक कैसे पहुंच गयी?

-रात में भतीजी की हत्या और कान्ति के बेटी सहित गायब होने के बावजूद फैमिली ने पुलिस या गांव वालों को क्यों नहीं बताया?

कौन है हत्यारा?

-हालात से यह बात साफ हो रही है कि खुशी, कान्ति और उसकी दूधमुहीं बच्ची की हत्या की गयी है

-यह स्पष्ट हो रहा है कि तिहरे हत्याकांड को घर में ही अंजाम दिया गया है

-घर में कान्ति के फैमिली मेम्बर्स के अलावा और कोई नहीं था

-यह तय है कि घटना में एक से अधिक लोग शामिल थे

-शारीरिक रूप से स्वस्थ कान्ति और उसकी बेटी को घर से दो किलोमीटर दूर ले जाना किसी एक व्यक्ति के वश की बात नहीं है

-लाश को ऊंची पेड़ की डाल तक पहुंचाने के लिए भी एक से अधिक लोग चाहिए होंगे

-गांव के लोग इसे ऑनर किलिंग बता रहे हैं

पहले हो चुकी है ऑनर किलिंग की घटना

फूलपुर थाना एरिया में ऑनर किलिंग का एक मामला अगस्त माह में सामने आया था। घमहापुर में एक परिवार ने झूठी शान में क्8 वर्षीय युवती की हत्या कर उसकी लाश को गांव से दूर नहर के किनारे गाड़ दिया। वह क्ख्वीं की स्टूडेंट थी। उसका दोष इतना था कि वह गांव के एक लड़के से प्रेम कर बैठी थी। परिवार के मना करने बाद भी उसने युवक से रिश्ता नहीं तोड़ा था। इस मामले में युवती के दादा और भाई को पुलिस ने ऑनर किलिंग के मामले में अरेस्ट करके जेल भेज दिया था।