-वूमेन पावर लाइन में हर रोज आने वाली शिकायतों में लगातार हो रहा इजाफा
-2012 में 271 शिकायतें तो अब हर रोज आ रही हैं 619 शिकायतें
-प्रदेश के महानगर छेड़खानी में अव्वल, छोटे जिलों में हालात कमोबेश बेहतर
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LUCKNOW: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तिकरण व सुरक्षा को लेकर तमाम क्षेत्रों में बहस-मुबाहिसों का दौर जारी है। हर कोई महिलाओं को समान अधिकार और सम्मान की वकालत करता दिख रहा है। लेकिन, समाज की हकीकत इससे बिलकुल जुदा है। महिला सुरक्षा को लेकर तमाम दावों के विपरीत प्रदेश में छेड़खानी का आंकड़ा दिन-दूनी, रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। वूमेन पावर लाइन के आंकड़ों पर गौर करें तो साफ पता चलता है कि महिलाओं के हित के लिये चाहे जितनी योजनाएं बना ली जाएं लेकिन, जब तक मनचलों की हरकतों पर लगाम लगाने की कोई सख्त रणनीति नहीं बनेगी तब तक हालात में सुधार का दावा बेमानी ही साबित होगा।
छह साल में शिकायतें तीन गुनी
वूमेन पावर लाइन की शुरुआत पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने वर्ष 2012 में की थी। सरकार की मंशा थी कि महिलाओं व युवतियों के साथ होने वाली टेलीफोनिक छेड़खानी की शिकायत के लिये उन्हें किसी थाने के चक्कर न लगाने पड़ें और महज टोलफ्री नंबर 1090 पर एक कॉल कर उन्हें पुलिस की मदद मिल जाए। प्रदेश की महिलाओं व युवतियों ने इस सेवा को हाथों-हाथ लिया और कुछ ही समय में देश में अपनी तरह की अकेली यह हेल्पलाइन बेहद लोकप्रिय हो गई। वर्ष 2012 में हर रोज 271 शिकायतें दर्ज की जाती थीं। लेकिन, छह साल बीतते-बीतते यह संख्या तीन गुनी हो गई। वर्तमान में पावर लाइन में हर रोज आने वाली शिकायतों की संख्या 619 तक जा पहुंची है।
महानगर छेड़खानी में अव्वल
माना जाता है कि महानगरों में रहने वाले लोग ज्यादा पढ़े-लिखे व समझदार होते हैं। पर, छेड़खानी की शिकायतों की संख्या इस बात को झुठलाती प्रतीत होती हैं। जिलेवार शिकायतों की संख्या पर गौर करें तो पता चलता है कि बीती 28 फरवरी तक सबसे ज्यादा छेड़खानी की घटनाएं प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सामने आई। पावर लाइन की शुरुआत से अब तक कुल 9.38 लाख शिकायतों में से 1.68 लाख शिकायतें अकेले लखनऊ से दर्ज हुई हैं। इसी तरह कानपुर नगर से अब तक 43 हजार से अधिक शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। इलाहाबाद से 35,673 तो वाराणसी से 35,299 वहीं, गोरखपुर से 24,296 शिकायतें दर्ज की गई हैं।
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सबसे ज्यादा छात्राएं बन रही शिकार
मनचलों व शोहदों की सबसे ज्यादा शिकार छात्राएं हो रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि कुल शिकायतों में करीब आधी शिकायतें प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाली छात्राओं ने दर्ज कराई हैं। यह संख्या करीब 4.39 लाख तक पहुंच चुकी है। वहीं, दूसरे नंबर पर नॉन वर्किंग वूमेन हैं, जिनकी शिकायतों की संख्या करीब 3.54 लाख है। वर्किंग वूमेन द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों की संख्या करीब 1.26 लाख है।
वर्जन
पहले जो शिकायतें मिलती थीं उसमें पीडि़ता बताती थी कि वह इससे बीते छह या आठ महीनों से परेशान हैं। लेकिन, अब वे तुरंत और खुलकर अपनी बात बोलती हैं। जागरूक्ता में बढ़ोत्तरी की वजह से भी शिकायतों की संख्या में इजाफा देखा गया है।
- बबिता सिंह, डिप्टी एसपी, वूमेन पावर लाइन
वर्षवार प्रतिदिन शिकायतें
वर्ष शिकायतें
2012 271
2013 390
2014 429
2015 429
2016 532
2017 598
2018 619