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KANPUR। ट्रेन में वेटिंग या फिर आरएसी टिकट के साथ सफर करने वाले पैसेंजर्स की परेशानी कम करने के लिए रेलवे ने अहम कदम उठाया है। क्योंकि अब पैसेंजर को अपनी टिकट की स्थिति जानने के लिए टीटीई को पूरी ट्रेन में ढूंढने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। रेलवे ने ट्रेन में तैनात टीटीई की बर्थ स्थाई कर दी है। पैसेंजर्स की कम्पलेन के बाद रेलवे ने ये फैसला लिया है.

 

राजधानी व एक्सप्रेस ट्रेन में शुरू

रेलवे ने यह सुविधा राजधानी, शताब्दी समेत मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में शुरू कर दी है। इसके लिए रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर पैसेंजर मार्केटिंग विक्रम सिंह ने सभी जोन व मंडलों को कामर्शियल सर्कुलर जारी किया है। संभावना जताई जा रही है कि पत्र मिलने के बाद एक सप्ताह के अंदर सभी ट्रेनों में टीटीई की बर्थ स्थाई हो जाएगी। इस सुविधा से लाखों पैसेंजर्स को काफी राहत मिलेगी.

 

किस ट्रेन में कौन सी बर्थ है बुक

अधिकारियों के मुताबिक मेल एक्सप्रेस और महामना एक्सप्रेस के सेकेंड एसी कोच ए-क् में भ् नंबर बर्थ, एसी थर्ड में बी-क् कोच की 7 नंबर बर्थ, स्लीपर क्लास की हर दूसरे कोच में 7 नंबर बर्थ टीटीई के लिए रिजर्व कर दी गई है.

 

राजधानी व शताब्दी में टीटीई की बर्थ

राजधानी, दूरंतो, शताब्दी में सेकेंड एसी में ए-क् कोच की भ् नंबर बर्थ, एसी थर्ड में बी-फ्, बी-भ् और बी-7 कोच में 7 नंबर बर्थ टीटीई के लिए बुक रहेगी। गरीब रथ में जी-क्, जी-फ्, जी-भ् और जी-7 कोच में 7 नंबर बर्थ टीटीई के लिए होगी।

शताब्दी सिटिंग में सी-1, सी-3, सी-5 व सी-7 कोच की 1 नंबर बर्थ टीटीई के लिए रिजर्व रहेगी।

 

स्लीपर कोच में रहेगा स्कॉर्ट

रेलवे ने टीटीई की बर्थ स्थायी करने के साथ ही यात्रियों की सुरक्षा के लिए ट्रेन में चलने वाले स्कॉर्ट सिपाही की बर्थ भी स्थायी कर दी है। मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के स्लीपर कोच में एस-क् कोच की म्फ् नंबर बर्थ सिपाही के लिए रिजर्व की गई है। यात्री मदद के लिए एस-क् कोच की म्फ् नंबर बर्थ में जाकर सिपाही से मदद ले सकता है। आदेश के अनुसार जिस ट्रेन में जीआरपी व आरपीएफ दोनों का स्कॉर्ट चलता है। उस ट्रेन में स्कॉर्ट सिपाहियों के लिए एक भी बर्थ रिजर्व नहीं की गई है।

 

'यात्रियों की सुविधा को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने यह फैसला लिया है। सफर के दौरान यात्रियों को टीटीई व स्कॉर्ट सिपाही की मदद के लिए पूरी ट्रेन में उन्हे तलाशना पड़ता था। जिससे अब छुटकारा मिल जाएगा.'

- गौरव कृष्ण बंसल, सीपीआरओ, एनसीआर