बढ़ रहा है coaching का craze
एग्जाम में सक्सेस की गारंटी देने का दावा करने वाले कोचिंग क्लासेस सिटी में तेजी से तेजी से अपनी पकड़ बना रहे हैं। सफलता की आशा लिए सैकड़ो की संख्या में स्टूडेंट्स साकची, बिष्टुपुर सहित सिटी के डिफरेंट एरियाज में फैले इन कोचिंग्स को ज्वाइन कर रहे हंै। हैरानी की बात है कि इन कोचिंग्स को ज्वाइन करने वाले ज्यादातर बच्चे अच्छे स्कूल्स के स्टूडेंट्स होते है। साकची स्थित तिवारी क्लासेज के संचालक दीपक झा ने बताया कि गवर्नमेंट स्कूल्स में टीचर्स की कमी और पढ़ाई के लोग स्टैैंडर्ड की वजह से करीब 40 पर्सेंट बच्चे साइंस और मैथ्स की कोचिंग करते है पर बाकि के 60 पर्सेंट इंग्लिश स्कूल्स के स्टूडेंट होते हैैं।

कर रहे हैं हजारों खर्च
एशियन डेवलपमेंट बैैंक द्वारा जारी किए गए एक रिपोर्ट के अनुसार 2007-08 के दौरान अर्बन और रुरल एरियाज में रहने वाले स्टूडेंट के कोचिंग के लिए एक साल में 1456 से लेकर 2349 रुपए तक खर्च किए गए। 2008 में किए गए एक सर्वे में कंट्री में कोचिंग सेक्टर का साइज 6.4 बिलियन बताया गया है। सिटी में भी पिछले कुछ सालों में इस बिजनेस ने तेजी से अपनी जड़े जमाई है। क्लास 8 से लेकर इंजीनियरिंग, एमबीए, एमबीबीएस सहित डिफरेंट कंपीटिटीव एग्जाम की तैयारी कराने वाले इन कोचिंग्स में दो हजार से लेकर चालीस हजार रुपए तक खर्च किए जा रहे हैं।

Education system पर सवाल

एडीबी की रिपोर्ट के अनुसार कंट्री में प्राइमरी स्कूल्स में पढऩे वाले 60 पर्सेंट और मिडिल स्कूल के 83 पर्सेंट स्टूडेंट प्राइवेट ट्यूशन लेते हैं। प्राइवेट ट्यूशन के इस बढ़ते डिमांड के लिए स्कूल्स में घटते शिक्षा के स्तर को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। साकची स्थित जीआईबीएम इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर अशोक प्रसाद ने बताया की आज हर फील्ड में बढ़ते कट थ्रोट कंपीटिशन के बीच कई स्कूल्स स्टूडेंट्स को प्रोपर गाइडेंस नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में बच्चे खुद को अपडेट रखने के लिए कोचिंग क्लासेज का सहारा ले रहे हैं। साकची स्थित कोचिंग सेंटर में मैथ्स टीचर जी के चौधरी ने बताया कि उनके पास आने वाले स्टूडेंट्स में कई ऐसे होते हैं जिनके फंडामेंटल््स तक क्लियर नहीं होते। उन्होंने इसे स्कूल्स की डिफेक्टिव हो रही एजुकेशन बताते हुए इसे कोचिंग के प्रति स्टूडेंस में बढ़ते इंटरेस्ट का वजह बताया।

Private tuitions की बढ़ी demand
पिछले कुछ सालों में स्टेट में एजुकेशन का तेजी से प्राइवेटाइजेशन हुआ है। बात स्कूल की हो या ट्यूशन की प्राइवेट सेक्टर ने तेजी से पैर फैलाया है। 2009 से 2012 के दौरान स्टेट में प्राइवेट ट्यूशन लेने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में चार पर्सेंट से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है। 2009 में जहां स्टेट के 26.3 पर्सेंट बच्चे प्राइवेट ट्यूशन ले रहे थे वहीं 2012 में ये संख्या बढक़र 30.6 हो गई। ट्यूशन लेने वालों में प्राइवेट स्कूल्स के स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा हंै। रिपोर्ट के अनुसार 2012 में प्राइवेट स्कूल्स के 45.8 पर्सेंट ट्यूशन अटेंड कर रहे थे वही गवर्नमेंट स्कूल्स के 27.8 पर्सेंट बच्चों ने पेड ट्यूशन अटेंड किया।

Family भी हैं जिम्मेदार
प्राइवेट कोचिंग पर स्टूडेंट्स की बढ़ती निर्भरता के लिए एक्सपर्ट पैरेंट्स को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जी के चौधरी ने बताया कि अक्सर पैरेंट्स बच्चो की पढ़ाई पर ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला भाड़ लेते हंै। उन्होंने कहा कि बच्चे की घर पर गाइडेंस के बजाय उन्हे कोचिंग क्लासेज में भेज दिया जाता है। ऐसे में स्टूडेंट भी सेल्फ स्टडी के बजाय कोचिंग्स पर डिपेंडेंट हो जाते हैं।

आज हर फील्ड में कट थ्रोट कंपीटिशन है। ऐसे में कई बार स्टूडेंट्स दूसरों से आगे रहने के लिए प्राइवेट ट्यूशन का सहरा लेते हंै। सिटी में भी ये सोच दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
अशोक प्रसाद , डायरेक्टर, जीआईबीएम

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in

National News inextlive from India News Desk