- किसने कितना अच्छा काम किया, देना होगा हिसाब

- मुख्य सचिव करेंगे आईएएस के काम का मूल्यांकन

- एसीआर में मुख्य सचिव द्वारा की जाती है टिप्पणी

ashok.mishar@inext.co.in

LUCKNOW: अप्रैल के महीने में जहां हर नौकरीपेशा व्यक्ति को अप्रेजल की चिंता सताने लगती है तो वहीं दूसरी ओर आईएएस अफसर भी इससे अछूते नहीं है। हर साल की तरह इस बार भी आईएएस अफसरों के काम का मूल्यांकन करने की कवायद शुरू हो गयी है। मुख्य सचिव ने उनसे साल भर में किए गये कामकाज का ब्योरा मांग लिया है। अब अफसर भी दिन-रात एक करके उन कामों की जानकारियां बटोर रहे हैं जिन्हें वे अपनी उपलब्धियों में शुमार कर सकें। इसी आधार पर उनका वार्षिक मूल्यांकन होगा।

मुख्य सचिव खुद लिखते हैं टिप्पणी

दशकों से चले आ रहे इस रिवाज को आज भी देश की शीर्ष सेवाओं में जारी रखा गया है। इसके जरिए अफसरों का एसीआर (वार्षिक चरित्र पंजिका) तैयार किया जाता है। जो अफसर बेहतरीन कार्य करते हैं, उनके बारे में मुख्य सचिव खुद उनकी एसीआर में अपने हाथों से टिप्पणी लिखते हैं। बाद में यह मुख्यमंत्री के पास जाती है। इस आधार पर उन्हें ग्रेड भी दिया जाता है। मुख्य सचिव की एसीआर पर मुख्यमंत्री टिप्पणी लिखते हैं। वहीं नकारा अफसरों के बारे में एसीआर पर टिप्पणी की जाती है जिसका खमियाजा उन्हें बची हुई सेवा के दौरान भुगतना पड़ता है। उनकी एसीआर लंबित हो जाती है। प्रमोशन में भी खासी मुश्किलें आती है। मुख्य सचिव द्वारा की गयी टिप्पणियों को अधिकारियों की कार्यकुशलता का प्रमाण माना जाता है। इससे भविष्य में उनका अच्छी जगह ट्रांसफर, पोस्टिंग, केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति, प्रमोशन आदि में मदद मिलती है। केन्द्र सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती भी एसीआर के आधार पर ही की जाती है।

विकास एजेंडा लागू करने वाले अधिकारी आगे

उच्च स्तरीय सूत्रों के मुताबिक पिछले साल हुए मूल्यांकन में प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पण्डा, एपीसी प्रवीर कुमार, अमित गुप्ता समेत कई आईएएस अफसरों के कामकाज को बेहतर पाया गया था। इस बार भी इस फेहरिस्त में नवनीत सहगल, देबाशीष पण्डा, संजय अग्रवाल, अनूप चंद्र पांडेय, अरविंद कुमार, अमित गुप्ता, कंचन वर्मा, महेश गुप्ता, रिग्जियान सैम्फिल, भुवनेश कुमार, जीएस नवीन कुमार पार्थ सारथी सेन शर्मा, आलोक कुमार, सुहास एलवाई, प्रांजल यादव, राजशेखर, आरके गोस्वामी आदि आगे चल रहे है। तमाम ऐसे जिलों के डीएम भी बेहतर ग्रेडिंग के दावेदार हैं जिन्होंने समाजवादी पेंशन योजना, डीबीटीसी, कन्या विद्या धन, मिड-डे-मील इत्यादि योजनाओं को लागू कराने में लीक से हटकर काम किया।

गोपनीय रखी जाती है एसीआर

आईएएस समेत तमाम सेवाओं के अधिकारियों व कर्मचारियों की एसीआर को पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है। केवल संबंधित अधिकारी को साल में एक बार उसे देखने की अनुमति होती है ताकि वह अपनी कमियों को दूर करके एसीआर को सुधार सके। इसके बाद ही उसके प्रमोशन की राह आसान हो पाती है। केन्द्र सरकार भी महत्वपूर्ण पदों पर उन्हीं अफसरों की तैनाती करती है, जिनका एसीआर बेहतर होता है। सेवा विस्तार के मामले में भी इसका खासा ध्यान रखा जाता है जिसके बाद ही केन्द्र सरकार इसकी अनुमति प्रदान करती है।

कम राजस्व वसूली कराने वाले अफसरों पर रहेगी नजर

वार्षिक मूल्यांकन में कम राजस्व वसूली करने वाले जिलों के डीएम निशाने पर रहेंगे। हाल ही में राज्य सरकार ने साफ कर दिया था कि कम राजस्व वसूली करने वाले डीएम के एसीआर में इस बाबत टिप्पणी की जाएगी। वहीं राज्य सरकार के विकास एजेंडे को पूरा कराने में लापरवाही बरतने वाले अफसर भी निशाने पर होंगे। मुख्यमंत्री ने हाल ही में आईएएस अधिकारियो के सम्मेलन में इस बाबत उन्हें आगाह भी किया था। वहीं सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को अमली जामा पहनाने वाले अफसरों को सराहना भी मिलेगी।