27 लोग घायल, बढ़ सकती है मृतकों की संख्या

काबुल (एएफपी)। मंत्रालय के प्रवक्ता वहीद मजरुह ने बताया कि अफगानिस्तान के निजी टीवी चैनल तोलो न्यूज के अनुसार इस हमले में कम से कम 27 लोगों के घायल होने की सूचना है। इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उपचार के दौरान इनकी हालत नाजुक बताई जा रही है। घायलों की गंभीर हालत देखते हुए बताया जा रहा है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।

पहले धमाके के कुछ मिनटों बाद हुआ दूसरा धमाका

समाचार एजेंसी एएफपी को काबुल के पुलिस प्रवक्ता हश्मत स्तानिकाजी ने बताया कि मौके पर संवाददाताओं को टारगेट करते हुए पहला धमाका किया गया इसके कुछ मिनटों बाद ही दूसरा धमाका हुआ। उन्होंने बताया कि हमलावर पत्रकार के भेष में भीड़ में घुसे और खुद को उड़ा लिया। सिक्योरिटी से संबंधित एक अन्य सूत्र ने दोनों हमलावरों के आत्मघाती होने की पुष्टि की है।

पहला धमाका मोटरसाइकिल सवार हमलावर ने किया

गृह मंत्रालय के अनुसार, पहला धमाका मोटरसाइकिल सवार हमलावर ने किया। इस आत्मघाती हमले में कम से कम चार लोगों की मौत और पांच अन्य घायल हो गए। स्तानिकाजी ने पत्रकारों के मारे जाने की पुष्टि की है लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उनकी संख्या क्या थी। एएफपी ने पुष्टि की है कि मृतकों में माराई के अलावा दो पत्रकार 1टीवी से और एक पत्रकार तोलो न्यूज से शामिल थे।

एएफपी में ड्राइवर से चीफ फोटोग्राफर बने थे माराई

माराई ने 1996 में एक चालक के तौर पर एएफपी में भर्ती हुए थे, यह वह साल था जब तालीबान ने अफगानिस्तान में सत्ता हथियाई थी। वाहन चलाने के साथ में वे तस्वीरें भी खींचते रहते थे। उन्होंने 2001 में अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान में अभियान सहित बहुत सारी खबरों की तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की थीं। 2002 में वे एएफपी में फुलटाइम फोटो स्ट्रिंगर के तौर पर काम करने लगे। बाद में वे तरक्की करते गए और ब्यूरो में चीफ फोटोग्राफर के पद पर पहुंच गए। उनके पीछे एक नवजात बच्ची सहित छह बच्चे रह गए हैं।

किसी ने भी नहीं ली है काबुल हमले की जिम्मेदारी

गृह मंत्रालय के अनुसार, अभी तक किसी ग्रुप ने काबुल में दोहरे आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। ये हमले स्थानीय समय के अनुसार सुबह 8 बजे अफगान इंटेलीजेंस सर्विस के मुख्यालय के नजदीक हुए थे। ये हमले अफगान सरकार के शांति वार्ता की पेशकश को ठुकराने के एक दिन बाद हुए हैं। तालीबान ने न सिर्फ शांति वार्ता की पेशकश ठुकरा दी बल्कि अमेरिकी सैन्य बलों और उनके आंतरिक मददगारों के खिलाफ हमलों की चेतावनी भी दी थी।

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