पैरी का दर्द

31 साल के परविन्दर यानि पैरी ने अपने क्रिकेट जीवन की शुरूआत सचिन तेंदुलकर को देखकर ही की, बल्ला हाथ में थामा को आंखों में बस सचिन की तस्वीर बसी थी। उनकी स्टेट ड्राइव, कवर ड्राइव, पैडल स्वीप को जैसे पैरी अपनी रग-रग में उतारना चाहते थे। अब जब सचिन संन्यास ले रहे हैं तो वो मायूस हैं, क्योंकि सचिन के अंतर्राष्ट्रीय करियर के पहले मैच को बड़ी मासूमियत से निहारने वाले परविन्दर को सचिन की आखिरी पारी ही नहीं आखिरी टेस्ट देखने का मौका नहीं मिल पा रहा है। परविन्दर के मन में टीस है इस वक्त मुंबई में चल रहे टेस्ट मैच को नहीं देख पाने की।

ये है कारण

दरसअल, परविन्दर राजकोट में मौजूद हैं, जहां यूपी अपना रणजी मुकाबला सौराष्ट्र के साथ खेल रही है। मैच गुरुवार से ही शुरू हुआ है। ऐसे में जब मैच चल रहा होता है परविन्दर भी मैदान पर मौजूद होंगे। ऐसे में पैरी सचिन की आखिरी इनिंग्स को नहीं देख सकेंगे। तसल्ली से बैठकर क्रिकेट के लीजेंड के हर शॉट पर तालियां नहीं बजा पाएंगे। यह दुख तब और बढ़ जाएगा अगर सचिन अपने करियर का आखिरी शतक ठोक दें।

सचिन के लिए क्या बोलूं

राजकोट से आईनेक्स्ट संग फोन पर विशेष बातचीत में यूपी के इस कलात्मक दाहिने हाथ के बल्लेबाज पैरी ने बताया कि सचिन के बारे में बहुत कुछ कहना चाहता हूं, लेकिन शब्द ही नहीं मिल पा रहे हैं। वो मेरे रोल मॉडल हैं, मैं उन्हें देखकर ही बड़ा हुआ हूं, लेकिन अब सहम सा गया हूं, ये सोचकर ही अजीब लगता है कि सचिन अब कभी मैदान पर नजर नहीं आएंगे।

 

जब निहारते रह गए पैरी

हर क्रिकेटर का सपना होता है कि उसे अपने रोल मॉडल से एक बार मिलने का मौका मिले। परविन्दर की जिंदगी में भी ये मौका आया। जब 2005-06 सेशन में रणजी ट्रॉफी जीतने वाली यूपी की टीम का मुकाबला मुंबई की टीम से हुआ। इस मुकाबले में सचिन भी खेले और परविन्दर को पहली बार उनके साथ खेलने का मौका मिला। पैरी ने बताया कि वह पहली बार सचिन को सामने पाकर सिर्फ निहारते ही रह गए। पैरी ने कहा कि उनकी शख्सियत में एक चार्म सा है। उनसे बात करने की हिम्मत भी की लेकिन फिर डर गया और बात नहीं कर पाया, लेकिन उनसे वाकई न सिर्फ क्रिकेट सीखा बल्कि एक अच्छा इंसान बनना भी सीखा।

सचिन की खासियत

परविन्दर ने कहा कि सचिन की खासियत यही है कि वो हर मैच को बड़ी ही गंभीरता से लेते हैं। फिर चाहे वो कोई भी मैच हो। पैरी ने कहा कि वो हर मैच से पहले उसी तरह तैयारी करते हैं। सचिन रोहतक के गांव लाहली में अपना आखिरी रणजी मैच खेलने से मना भी कर सकते थे, लेकिन वो वहां गए। यही इस इंसान को असाधारण बना देता है। सिर्फ लोग उनका क्रिकेट की वजह से ही नहीं एज ए ह्यïूमन बिंग भी रिगार्ड करते हैं। पैरी ने कहा कि उनकी नजर में वो एक लिविंग लीजेंड हैं।