बार-बार बदल रहे थे लोकेशन

एसएसपी दीपक कुमार के मुताबिक, हत्याकांड के बाद इंस्पेक्टर कृष्णानगर अंजनी कुमार पांडेय, इंस्पेक्टर हुसैनगंज राजकुमार सिंह और इंस्पेक्टर हजरतगंज आनंद शाही के नेतृत्व में पुलिस की तीन टीमें गठित की गई थीं। वारदात के बाद से आरोपियों ने अपने मोबाइल फोन स्विचऑफ कर रखे थे, लिहाजा उनकी लोकेशन ट्रेस नहीं हो पा रही थी। उन्होंने बताया कि सूरज ने रविवार रात अपना मोबाइल फोन ऑन किया तो पता चला वह महोबा में मौजूद है। जानकारी मिलने पर पुलिस टीम को महोबा रवाना किया गया लेकिन, तब तक आरोपी बांदा जा पहुंचे। पुलिस टीम उनके पीछे वहां पहुंची लेकिन, वे वहां से भी भाग निकले।

कोर्ट कैंपस की निगरानी आई काम

एसएसपी ने बताया कि इसी बीच आरोपियों ने अपने वकीलों से फोन पर बात की। जिसमें उन्होंने कोर्ट में सरेंडर के लिये कागज तैयार करने को कहा। यह पता चलते ही सोमवार को पुलिस की टीमें कोर्ट के बाहर उनकी निगरानी में लगा दी गईं। पर, वकीलों के बायकॉट के चलते आरोपी कोर्ट नहीं पहुंचे। मंगलवार को सुबह से ही पुलिस टीमें एक बार फिर से कोर्ट कैंपस के बाहर आरोपियों का इंतजार कर रही थीं। इसी दौरान दोपहर तीन बजे आरोपी विक्रम सिंह और सूरज शुक्ला कोर्ट परिसर में घुसते हुए नजर आये। हालांकि, वे अंदर पहुंच पाते इससे पहले ही सादी वर्दी में तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें वहां दबोच लिया।

7 लाख के विवाद की बात कुबूली

अरेस्टिंग के बाद आरोपी सूरज शुक्ला ने बताया कि उसके और वैभव के बीच सात लाख रुपये के लेनदेन का विवाद था। शनिवार को वैभव ने ही फोन कर उसे बातचीत के लिये बुलाया था। लेकिन, सूरज ने अकेले जाना मुनासिब नहीं समझा और अपने दोस्त हिस्ट्रीशीटर विक्रम सिंह को साथ ले लिया। बातचीत के दौरान उन दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। इसी बीच विक्रम ने बिना कुछ सोचे-समझे वैभव पर गोली चला दी। जिससे उसकी मौत हो गई। सूरज ने बताया कि हत्या के बाद उसने अपने घर पर कॉल किया और घटना की जानकारी दी। इसके साथ ही उसने पिता से घर में रखे 30 लाख रुपये भी हटाने को कहा। लेकिन, जब तक रुपये ठिकाने लगा पाते इससे पहले ही पुलिस उसके घर जा पहुंची और रकम बरामद कर ली।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नजीर बना हासिल की रिमांड

एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि अमरपाल शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और कुलकर्णी बनाम सीबीआई के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने 167 सीआरपीसी के तहत आरोपियों को बिना जेल भेजे व डिफेंस के वकीलों को बिना नोटिस जारी किये सीधे पुलिस कस्टडी रिमांड पर भेजने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इन्हीं दोनों आदेशों को नजीर बनाते हुए सरकारी वकील ने सीजेएम कोर्ट के समक्ष अर्जी दाखिल की कि आरोपियों से अब तक हत्याकांड में प्रयुक्त असलहा जब्त नहीं किया जा सका है। साथ ही सूरज शुक्ला के घर से बरामद 30 लाख रुपयों के बारे में भी पूछताछ की जानी है। इसलिए आरोपियों की सात दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड दी जाए। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में किये गए आदेश को नजीर मानते हुए आरोपियों की तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड स्वीकृत कर दी।  एसएसपी ने बताया कि आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के दौरान ही पुलिस कस्टडी रिमांड मिलने का प्रदेश का पहला मामला है। इस प्रक्रिया व सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में किए गये इन दो आदेशों को प्रदेश के सभी जनपदों की पुलिस को भेजा जायेगा। ताकि, वे भी ऐसे मामलों में आरोपियों की पुलिस कस्टडी रिमांड आसानी से हासिल कर सकें।

यहां छिपाया असलहा और गाड़ी

एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि आरोपियों ने पूछताछ के दौरान कबूला है कि फरार होने में इस्तेमाल गाड़ी व असलहा बुंदेलखंड इलाके में छिपाया है। बरामदगी के लिए पुलिस टीम को रवाना कर दिया है।

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