-निलंबित इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी समेत आधा दर्जन से अधिक पुलिस कर्मी हैं आरोपी

-2010 में कांग्रेसी नेता को नकली नोट बरामदगी के झूठे केस में फंसाया था

-सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेसी नेता को मिली थी क्लीन चिट, आरोपी पुलिस वालों पर दर्ज हुआ था मुकदमा

-निलंबित होने के बाद से फरार थे सभी आरोपी, दो सिपाहियों ने जिलाजज कोर्ट में सरेंडर कर जेल गए

KANPUR : कलक्टरगंज में कांग्रेसी नेता संजीव अवस्थी को नकली नोट के फर्जी केस में फंसाने के मामले में बुधवार को फरार पुलिस कर्मियों में दो सिपाहियों ने जिला कोर्ट में सरेंडर किया। दोनों ने अंतरिम जमानत के लिए कोर्ट से अपील की। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। जहां उनको मुलाहिजा बैरक में रखा गया। अब मामले में क्फ् अक्टूबर को सुनवाई होगी। इस दौरान अन्य आरोपी पुलिस कर्मी भी गुपचुप तरीके से कोर्ट के बाहर मौजूद रहे। माना जा रहा है कि अगले दो से तीन दिन में अन्य आरोपी भी सरेंडर कर सकते हैं।

क्या था मामला

घंटाघर में ख्0क्0 में तत्कालीन कलक्टरगंज इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी ने मंजूश्री टॉकिज के बगल से बांदा के कांग्रेसी नेता संजीव अवस्थी और उनके ड्राइवर की गिरफ्तारी दिखाई थी, जबकि इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी ने कांग्रेसी नेता को अमौसी एयरपोर्ट के बाहर से उठाया था। पुलिस ने उनके पास से करीब साढ़े तीन लाख के नकली नोट बरामद दिखाए। पुलिस ने अगले दिन झूठी कहानी गढ़कर कांग्रेसी नेता को नकली नोट का सौदागर बनाकर जेल भेज दिया। ये मामला मीडिया की सुर्खियों में भी रहा था। कांग्रेसी नेता करीब तीन महीने से ज्यादा समय तक जेल पर रहे। जिसके बाद वो हाईकोर्ट से बेल मिलने पर जेल से छूट गए।

सुप्रीम कोर्ट में खुली थी पुलिस पोल

कांग्रेसी नेता ने जेल से छूटने के बाद सीनियर एडवोकेट प्रशान्त भूषण और कामिनी जायसवाल के जरिए सुप्रीम कोर्ट में रिट दाखिल की। उन्होंने खुद को बेकसूर बताते हुए फर्जी फंसाए जाने का हवाला दिया। उन्होंने कोर्ट में बताया कि वो तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ दर्ज आय से अधिक सम्पत्ति और ताज कारीडोर के मामले में पैरोकारी कर रहे थे। पैरोकारी से रोकने के लिए पुलिस ने दबाव बनाने के लिए फर्जी कहानी गढ़कर उनकी गिरफ्तारी दिखायी। उन्होंने तत्कालीन डीजीपी करमवीर सिंह, प्रमुख सचिव फतेह बहादुर सिंह, नवनीत सहगल, शशांक शेखर, इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी, दरोगा दिलीप वर्मा समेत आधा दर्जन से अधिक पुलिस कर्मियों पर फर्जी गिरफ्तारी का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईओडब्लू के इंस्पेक्टर अशोक तिवारी ने मामले की जांच कर सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की। जिसमें पुलिस की पोल खुल गई। विवेचक ने कोर्ट को बताया कि घटना के दिन कांग्रेसी नेता और इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी समेत अन्य पुलिस कर्मियों के मोबाइल की लोकेशन अमौसी एयरपोर्ट पर थी, जबकि पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी घंटाघर से दिखायी है। कांग्रेसी नेता दिल्ली स्थित बैंक से सात लाख रुपए निकाले थे। पुलिस कांग्रेसी नेता को दूर खड़ाकर कार की तलाशी ली और असली नोट निकालकर नकली नोट की गड्डियां उसमें रख दीं।

आरोपी पुलिस कर्मियों पर दर्ज हुआ मुकदमा

जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेसी नेता को क्लीन चिट देते हुए इंस्पेक्टर समेत आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई का आदेश दिया। साथ ही आरोपी आईपीएस और आईएएस के खिलाफ शासन को जांच कर कार्रवाई के लिए कहा था। जिसके चलते इंस्पेक्टर समेत सभी पुलिस कर्मियों को निलंबित कर मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही थी, लेकिन वे कामयाब नहीं हो रहे थे। जिससे उनको फरार घोषित कर दिया गया था। इधर, पुलिस को गच्चा देकर बुधवार को आरोपी सिपाही मो। हाफिज और राजकरन सिंह सेंगर ने जिला जज की कोर्ट में सरेंडर कर दिया। उन्होंने अंतरिम बेल के लिए अपील कोर्ट से की, लेकिन जिलाजज से उसे खारिज कर क्फ् अक्टूबर की डेट लगा दी।