RANCHI : मौसम में हो रहे बदलाव के कारण बीमारियां दस्तक दे रही हैं। मच्छरों की संख्या बढ़ने के साथ ही डेंगू के मरीज भी अस्पताल पहुंचने लगे हैं। दो महीने के अंदर डेंगू के दो मरीज रिम्स पहुंच चुके हैं। इनमें से एक अभी एडमिट है, जबकि इस साल तीन लोगों में डेंगू के लक्षण पाए गए थे। हालांकि रिम्स प्रशासन ने दो मरीजों की ही पुष्टि की है। 17 मई को रिम्स के डॉ विद्यापति के यूनिट में गढ़वा के वसीम खान को एडमिट किया गया है, जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। हो सकता है कि आनेवाले दिनों में डेंगू के मरीजों की संख्या और बढ़े, क्योंकि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भी डेंगू के मरीज हो सकते हैं। दूसरी ओर रिम्स प्रशासन का दावा है कि हमलोग किसी भी स्थिति से निबटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

पिछले साल 113 मरीज

रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ एनपी साहू ने बताया कि पिछले साल रिम्स में 113 डेंगू के मरीज आए थे। सिर्फ सारंडा से एक साथ डेंगू के 20 मरीज आए थे। उन्होंने बताया कि इस साल मार्च में एक पेशेंट आया है और दो दिन पहले एक पेशेंट आया है। उन्होंने बताया कि रिम्स में अगर कोई मरीज ऐसा आता है, जिसका सिम्पटम डेंगू से मिलता है तो उसे 24 घंटे के अंदर ही पता चल जाता है कि डेंगू है या नहीं। डेंगू का टेस्ट रिम्स में होता है और 24 घंटे में ही रिपोर्ट आ जाती है। डॉ साहू ने बताया कि रिम्स में ट्रीटमेंट और जांच के साथ ही मरीजों को दवा भी मुफ्त में दी जाती है।

पुणे से आती है एलाइजर किट

डॉ एनपी साहू ने बताया कि एलाइजर टेस्ट रिम्स में होता है, जिससे पता चलता है कि डेंगू की रिपोर्ट पॉजिटिव है या निगेटिव। उन्होंने बताया कि डेंगू की जांच के लिए एलाइजर किट पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से आती है। तीन दिन तक फीवर रहने के बाद ही डेंगू के टेस्ट के लिए ब्लड क्लेक्ट किया जाता है।

मच्छरों को नहीं लेते सीरियसली

रिम्स में इस साल आनेवाले डेंगू के दोनों मरीज स्टेट से बाहर जॉब करते हैं। मार्च में जो पेशेंट आया वो दिल्ली और दो दिन पहले जो पेशेंट आया है वो विशाखापत्तनम में जॉब करता है। घर आने पर दोनों बीमार पड़े और रिम्स आने पर पता चला कि डेंगू है। डॉक्टर्स कहते हैं कि जो लोग मच्छरों को सीरियसली नहीं लेते वे डेंगू से पीडि़त हो रहे हैं।

चार मशीन के भरोसे fogging

रांची में हर साल डेंगू मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन नगर निगम ने इसके लिए कुछ खास तैयारी अभी तक नहीं की है। रांची के भ्भ् वार्ड में सिर्फ चार फॉगिंग मशीन ही काम कर रही है। इस कारण हर इलाके में फॉगिंग संभव नहीं है। अगर रांची नगर निगम अभी से अलर्ट नहीं हुआ तो बरसात के शुरू होते ही डेंगू मरीजों की संख्या बढ़ सकती है।