- नारखी के गांव में आठ दिन से फैला है बुखार, स्वास्थ्य विभाग बेखबर

- दो की मौत के बाद गांव में दहशत, आगरा लेकर जा रहे हैं मरीजों को

नारखी। स्वास्थ्य विभाग की विफलता फिर सामने आई है। नारखी के रामगढ़-उम्मरगढ़ गांव में पिछले आठ दिन से बुखार फैला हुआ है। घर-घर में चारपाई पड़ी है। मरीज कराह रहे हैं तो कई मरीजों को तीमारदार लेकर आगरा की दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों को खबर नहीं। टूंडला एवं एत्मादपुर के प्राइवेट चिकित्सकों के पास में मरीज उपचार करा रहे हैं। कुछ मरीज टूंडला सीएचसी से दवाएं लेकर भी आए हैं, लेकिन इसके बाद भी टूंडला सीएचसी ने इस गांव में बुखार फैलने की तरफ ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी। गुरुवार को एकच् बच्चे एवं अधेड़ की मौत के बाद गांव में बुखार की दहशत व्याप्त हो गई है तथा अब ग्रामीण मरीजों को लेकर आगरा की दौड़ लगा रहे हैं।

जनपद के बॉर्डर पर स्थित गांव पिछले दिनो एटा से नारखी में आया है। गांव में दो दर्जन से ज्यादा लोग बुखार से पीडि़त हैं। पिछले आठ दिन से गांव में बुखार फैल रहा है। एक परिवार के बाद दूसरा परिवार बुखार की चपेट में आ रहा है। बुखार को लेकर अभी तक ग्रामीण ज्यादा ¨चतित नहीं थे, लेकिन गुरुवार को विशाल की मौत के बाद गांव में बुखार की दहशत फैल गई है। 14 वर्षीय विशाल पुत्र सतीश कुमार कक्षा सात का छात्र है। उसे तीन दिन पूर्व बुखार आया था। परिजन विशाल को टूंडला में एक प्राइवेट चिकित्सक के यहां ले गए। वहां से दवा लेकर आए, लेकिन गुरुवार की शाम को विशाल ने बुखार से कराहते हुए दम तोड़ दिया। परिजनों की माने तो बुखार के दौरान ही उसे उल्टी हुई तथा उसकी मौत हो गई। इस घटना से गांव सहमा ही था। वहीं गुरुवार की शाम को ही गांव के 42 वर्षीय कृष्णगोपाल पुत्र नंदपाल प्रजापति की भी मौत की खबर आई। कृष्णगोपाल को बुखार से पीडि़त होने के बाद में परिजन उपचार के लिए एत्मादपुर के एक चिकित्सक के पास ले गए थे। उपचार के दौरान ही कृष्णगोपाल ने दम तोड़ दिया। उनका भी शव गुरुवार को गांव में पहुंचा। इससे ग्रामीणों में भय व्याप्त हो गया है। गांव में पहुंचने पर कई घरों में मरीज चारपाई पर कराहते हुए नजर आए। नरायन देवी, रेशमा देवी, अनेक सिंह, मुन्नीलाल, सावित्री देवी बुखार से पीडि़त है।

वहीं गांव की राजवती, शशी देवी, महादेवी, जगदीश, नरायन देवी, गुड्डी देवी, रीना, पुष्पा देवी, राजकुमारी, दौलत सिंह, घनश्याम सिंह, हरेंद्र कुमार सहित कई अन्य मरीजों का उनके परिजन टूंडला, नगला बीच एवं आगरा में प्राइवेट चिकित्सकों के यहां उपचार करा रहे हैं। ग्रामीणों की माने तो गांव में अभी तक चिकित्सकों की कोई टीम नहीं आई है। सरकारी अस्पताल टूंडला सीएचसी से भी कई मरीज दवा लेकर आए, लेकिन उससे फायदा नहीं मिला।

मरते वक्त भी कहा पढ़ाई मारी गई :

विशाल की मौत से गांव में गम का माहौल है। कई परिवारों में शुक्रवार को भी चूल्हा नहीं सुलगा। वह पढ़ाई में होशियार था। परिजनों की माने तो कभी छुट्टी नहीं करता था। बुखार आया तो स्कूल में टेस्ट थे। वह हर रोज एक ही बात कहता रहता था दोनो टेस्ट छूट गए। पढ़ाई मारी गई। मां बदहवास हालत में कह रही थी मेरा बेटा गुरुवार को अंतिम वक्त में भी एक ही बात कह रहा था पढ़ाई मारी गई।

आखिर कहां है स्वास्थ्य विभाग का अमला :

कहने को स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं चल रही हैं। आशा से लेकर एएनएम की टीम गांव-गांव में तैनात है, लेकिन इसके बाद में भी गांव में बुखार फैलने एवं अन्य बीमारियां फैलने की खबर आखिर महकमे तक क्यों नहीं पहुंचती? यह अपने आप में सवाल है। गांव उम्मरगढ़ के ग्रामीण 8 दिन से बुखार का प्रकोप होने की बात कर रहे हैं। अगर तीन दिन पहले भी बुखार का प्रकोप बढ़ा है तो क्या तीन दिन में कोई भी एएनएम एवं आशा इस गांव में नहीं पहुंची। क्या इस दौरान किसी भी अभियान के तहत गांव में कोई भी नहीं आया।