आगरा। एनजीटी के डंडे के बाद शुरू हुई कार्रवाई में एडीए की कारगुजारी दिन व दिन खुलती जा रही है। एडीए अधिकारियों ने अपने काले कारनामे छिपाने की भरसक कोशिश की, लेकिन उच्च अधिकारियों की नजर से यमुना के डूब क्षेत्र में बनी बिल्डिंग्स को नहीं बचा सके। इन्हीं रिहायशी प्रोजेक्ट्स में से एक को एडीए सचिव ने सील करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन अधिकारियों को भी चिह्नित किया जा रहा है, जो इस प्रोजेक्ट को बचाने के लिए फाइलों को दबाए बैठे रहे।

नहीं है नक्शा पास

एडीए सूत्रों की मानें तो दयालबाग, पोइयाघाट के पास बने एक रिहायशी प्रोजेक्ट के 200 डुप्लेक्स भवन यमुना के डूब क्षेत्र में बने हैं। जिनका नक्शा पास नहीं है। एडीए सचिव कैप्टन प्रभांशु श्रीवास्तव ने इन्हें सील किए जाने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद इन भवनों के खिलाफ ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी हो सकती है।

अधिकारियों ने किया था दौरा

हाल ही में एनजीटी के नोटिस के बाद जिलाधिकारी, एडीए वीसी, एडीए सचिव आदि अधिकारी यमुना के डूब क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंचे थे। उस दौरान इन दो सौ डुप्लेक्स पर अधिकारियों की नजर पड़ी थी। सूत्रों की मानें तो तभी इस कार्रवाई की पटकथा लिखी जा चुकी थी।

निरीक्षण में देखने को मिले अधिक निर्माण

निरीक्षण के बाद आला अधिकारियों ने मामले से संबंधित फाइल को तलब किया। इसमें सारी हकीकत सामने आ गई। इसके बाद कमिश्नर प्रदीप भटनागर ने यमुना के डूब क्षेत्र का दौरा किया था। जिसमें 58 अस्वीकृत मानचित्रों के बाद किए निर्माणों की सूची उन्हें दी गई थी, लेकिन उससे कहीं अधिक निर्माण निरीक्षण में देखने को मिले थे।

कमिश्नर के तेवर देख उड़े होश

कमिश्नर ने इस पर नाराजगी व्यक्त की थी। उन्होंने फिर से डूब क्षेत्र की पैमाइश किए जाने के निर्देश दिए थे। कमिश्नर के कड़े तेवर देख एडीए अधिकारियों के होश उड़ गए। परिणामस्वरूप उन फायलों को निकाला गया, जिन्हें वर्षो पहले दबाया जा चुका था। उस फाइल में दयालबाग के एक बिल्डर का नाम सामने आया।

बिना नक्शा पास कराए बेच दिए

यमुना के डूब क्षेत्र में दयालबाग के इस बिल्डर ने बगैर एडीए से नक्शा स्वीकृत कराए ही करीब 200 डुप्लेक्स तैयार कर बेच दिए। अब इन्हें सील करने की तैयारी की जा रही है। आशंका जताई जा रही है कि ये डुप्लेक्स भवन एडीए के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से तैयार किए गए हैं।

अधिकारियों पर भी नजर

इन डुप्लेक्स को तैयार कराए जाने में अहम भूमिका निभाने वाले एडीए के अधिकारियों को चिह्नित किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इन एडीए के अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई संभव मानी जा रही है। इसको लेकर हाल ही में आला अधिकारियों की बैठक भी हुई।

वर्ष 2013 में किया था चिह्नित

जिस रिहायशी प्रोजेक्ट पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं, उसे वर्ष 2013 में चिह्नित किया गया था। उस वक्त अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट की फाइल को दबा दिया। अगर एडीए अधिकारी उस वक्त कार्रवाई करते तो निश्चित तौर पर वे लोग बच जाते, जिन्होंने ये डुप्लेक्स खरीदे हैं। दयालबाग के बिल्डर द्वारा तैयार कराए इन डुप्लेक्स के विरुद्ध सिर्फ सीलिंग की कार्रवाई कर इतिश्री तो नहीं कर ली जाएगी। अक्सर देखने में आया है कि सीलिंग की कार्रवाई कर मामले को दबाने का प्रयास किया जाता है। आगे की कार्रवाई न के बराबर ही देखने को मिलती है। कुछ समय बाद सील खोल दी जाती है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कब होगी, यह एडीए के सामने बड़ा सवाल है।

एडीए सचिव कैप्टन प्रभांशु श्रीवास्तव के अनुसार 200 डुप्लेक्सों को सील किए जाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद नोटिस दिया जाएगा, फिर उन्हें ध्वस्त किया जाएगा।