सिटी में 10 इंस्टीट्यूट

नीव आईएएस-आईपीएस इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर हिमांशु चौहान बताते हैं कि वैसे तो सिटी में ऐसे कई इंस्टीट्यूट हैं जो अपने बोर्ड पर आईएएस और आईपीएस की तैयारी कराने के बारे में कहते हैं, लेकिन होता ऐसा है नहीं। असल में 10 ही ऐसे इंस्टीट्यूट ऐसे हैं जो सिविल की तैयारी करा रहे हैं। इनमें से भी कुछेक ही ऐसे हैं जो सिर्फ और सिर्फ सिविल की तैयारी कराते हैं। बाकी और दूसरे एग्जाम की भी तैयारी करा रहे हैं।

करीब 500 स्टूडेंट्स कर रहे तैयारी

सिटी में करीब 500 स्टूडेंट्स सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं। इनमें 50 फीसदी ऐसे हैं जो फस्र्ट टाइम ही एग्जाम अटैंप्ट करेंगे। बाकी 50 ऐसे हैं जो दो तीन अटैंप्ट दे चुके हैं। हिमांशु चौहान की मानें तो हर साल करीब 150 से 250 स्टूडेंट्स नए आते हैं, जिन्हें शुरू सें तैयारी करानी होती है। बाकी लोग क्लीयर न होने पर कंटीन्यू करते हैं। कुछ बीच में से ही छोड़ देते हैं। कुछ क्लीयर कर आगे बढ़ जाते हैं।  

35 फीसदी का होता आखिरी मौका

आई स्पीक आईएएस पीसीएस एकेडमी के डायरेक्टर सचिन त्यागी की मानें तो अगर यूपीएससी का ऐसा फरमान न आया होता तो सिटी में सिविल की तैयारी करने वालों में 35 फीसदी ऐसे कैंडीडेट्स हैं, जिनके पास क्लीयर करने का आखिरी मौका होता.  जिनमें 20 फीसदी वो लोग हैं जो जनरल कैटेगरी में अपने चौथा और ओबीसी कैटेगरी के तहत सातवां अटैंप्ट देंगे। वहीं 15 फीसदी वो लोग जिनकी आयु सीमा 30 से ऊपर पहुंच रही है। वैसे आयु सीमा को लेकर आयोग ने कहा कि आने समय में इसको लेकर भी रिलैक्सेशन मिल सकता है।

सिर्फ मेरठ ही नहीं

सिटी में सिर्फ मेरठ से ही नहीं बल्कि वेस्ट यूपी के अन्य जिलों से भी यहां लोग पढऩे के लिए आ रहे हैं। सचिन त्यागी बताते हैं तमाम इंस्टीट्यूट में मुजफ्फरनगर, सरधना, मवाना, बागपत, हापुड़, गढ़, बुलंदशहर से भी बच्चे आ रहे हैं। वो आगे बताते हैं कि हर कोई दिल्ली अफोर्ड नहीं कर सकता है। दिल्ली में रहने और फीस काफी ज्यादा है। यहां भी पढ़ाने वालों की कोई कमी नहीं है। ऐसे में मेरठ भी हब बनता जा रहा है।

मिली है राहत

सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे डॉ। गजेंद्र चौहान का कहना है कि यूपीएससी का काफी सराहनीय कदम है। इससे उन बच्चों को मौका मिलेगा जो किसी न किसी कारणवश या अटैंप्ट नहीं कर पाते हैं या फिर क्लीयर नहीं कर पाते हैं। इससे सिविल करने वाले स्टूडेंट्स के डिप्रेशन में जाने का रेश्यो का काफी घट जाएगा।

Facts & Figure

- सिटी में सिविल सर्विस कराने वाले इंस्टीट्यूट की संख्या 10.

- सिविल की तैयारी करने वालों की संख्या करीब 500.

- लास्ट अटैंप्ट और ओवर एज होने वाले कैंडीडेट्स की संख्या 35 फीसदी।

-  अब जनरल कैंडीडेट्स को मिलेंगे 4 से 6 अटैंप्ट।

-  अब ओबीसी कैंडीडेट्स को मिलेंगे 7 से 9 अटैंप्ट।

'मैं खुद भी तीन बार इंटरव्यू तक पहुंच चुका हूं। लेकिन क्लीयर नहीं कर सका। चौथी बार मैं अटैंप्ट नहीं दे पाया। ऐसे स्टूडेंट्स के लिए यूपीएससी का ये कदम एक वरदान की तरह होगा.'

- हिमांशु चौहान, डायरेक्टर, नीव आईएएस-आईपीएस इंस्टीट्यूट

'अब यूपीएससी को एज में रिलैक्सेशन करना चाहिए ताकि कैंडीडेट को थोड़ा तैयारी का वक्त मिल सके। कई बार वक्त के चलते अच्छे कैंडीडेट बाकी बचे अटैंप्ट नहीं दे पाते.Ó

- सचिन त्यागी, डायरेक्टर, आई स्पीकआईएएस-आईपीएस एकेडमी

'यूपीएससी की इस घोषणा से काफी राहत मिली है। कैंडीडेट्स को और बेहतर करने के मौके मिलेंगे.Ó

-डॉ। गजेंद्र चौहान, ब्रह्मïपुरी  

'मैं यूपीएससी का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने कैंडीडेट्स पर इतनी मेहरबानी की। एक या दो अटैंप्ट में समझ ही नहीं पाता है.Ó

- सलमान, खतौली

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