-गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय में हर रोज इलाज के लिए विभिन्न जिलों से आते हैं सैकड़ों मुसलमान मरीज

- 1500 की संख्या में मरीज रोजाना आते हैं गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय

-300 से 400 मुस्लिम मरीज हर रोज आते हैं इलाज के लिए

-50 से अधिक मुस्लिम कर्मचारी हैं हॉस्पिटल में हैं तैनात

-300 से अधिक कर्मचारी मरीजों की पूरी सेवाभाव से करते हैं देखरेख

saurabh.upadhyay@inext.co.in

'दिल संभालते हैं' जावेद-जमशेद

गुरू गोरक्षनाथ चिकित्सालय में एक दर्जन से अधिक चिकित्सा विभाग हैं। कॉर्डियोलाजी विभाग की जिम्मेदारी गोरखनाथ एरिया के रहने वाले दो मुस्लिम भाइयों पर रहती है। मुंबई से पढ़ाई करके लौटे डॉ। जमशेद अहमद और डॉ। जावेद अहमद पिछले एक साल से गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय में मरीजों की सेवा कर रहे हैं। डॉ। जमशेद अहमद का कहना है कि हम लोगों का तो बचपन ही गोरक्षनाथ मंदिर में बीता है। बचपन में कभी स्कूल टाइम में मंदिर में खेलने नहीं जाते थे। वजह, स्कूल के वक्त मंदिर में खेलते देख पढ़ाई का नुकसान करने की सजा मिलनी तय थी। बाकी रविवार के दिन तो मंदिर का दक्षिणी मैदान खेल का हमारा पसंदीदा अड्डा था।

 

पहले होती है सुनवाई

रसूलपुर से इलाज कराने आई सलमा अंसारी इस मामले में खुलकर बोलती हैं। वह कहती हैं कि हम लोगों को कभी लगा ही नहीं कि हम मंदिर के किसी संस्थान में इलाज कराने आए हैं। यहां पर हर किसी का बिना किसी भेदभाव का इलाज होता है। वहीं हड्डी रोग में भर्ती मरीज मोहम्मद इमरान का कहना है कि तीन दिन से यहां भर्ती हूं। महाराज जी (योगी आदित्यनाथ को लोकल लोग महाराज जी कहते हैं) के सीएम बनने की सूचना मिली तो इतनी खुशी हुई कि हम लोगों ने मिठाई मंगाकर खाई। इमरजेंसी में टाइफाइड का इलाज कराने कैंपियरगंज से आई नूरजहां बताती है कि दो साल पहले मैं अपने सास का इलाज कराने आई थी। उसके बाद जो भी परिचित में बीमार होता है, उसे यहीं भेजती हूं।

 

दर्जनों की संख्या में मुस्लिम इंप्लॉयी

गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय के उप चिकित्सा निरीक्षक डॉ। देवी प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि यहां हर रोज एक से डेढ़ हजार मरीज इलाज कराने आते हैं। यह लोग गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, बिहार, संतकबीनगर, खलीलाबाद और नेपाल से आते हैं। इनमें 300 से लेकर 400 मरीज मुस्लिम होते हैं। अस्पताल में कुल लगभग 300 कर्मचारी हैं। इनमें 50 से अधिक संख्या मुस्लिमों की है। कई विभाग में मेन स्टाफ के रूप में मुस्लिम कार्य कर रहे हैं।

 

कभी किसी मुसलमान मरीज के साथ भेदभाव की कंप्लेन नहीं आई है। अस्पताल में सबके साथ एक सामान व्यवहार होता है। अब तो हम लोगों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई है।

-डॉ। देवी प्रसाद श्रीवास्तव, डिप्टी सीएमएस, गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय