- सीमांत जनपदों से कीड़ा जड़ी लेकर जा रहे थे ऋषिकेश

- पुलिस ने चेकिंग के दौरान हरिद्वार बाईपास से किया अरेस्ट

- तस्करों के पास से मिली 700 ग्राम प्रतिबंधित बूटी कीड़ा जड़ी

DEHRADUN : नेहरू कॉलोनी पुलिस ने 700 ग्राम कीड़ा जड़ी (यारसागम्बू) के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है। बरामद कीड़ा जड़ी की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में पच्चीस लाख रुपए बताई जा रही है। पुलिस ने तस्करी में प्रयुक्त बाइक को सीज कर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया है।

चेकिंग के दौरान दबोचे गए तस्कर

नेहरू कॉलोनी थाने में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डीआईजी/एसएसपी पुष्पक ज्योति ने बताया कि ट्यूजडे को सूचना मिली कि दो लोग प्रतिबंधित जड़ी बूटी कीड़ा जड़ी के साथ आईएसबीटी से ऋषिकेश की तरफ जा रहे हैं। जिस पर त्वरित कार्रवाही करते हुए पुलिस ने हरिद्वार बाईपास स्थित पुरानी बाईपास चौकी के समीप बैरियर लगाकर वाहनों की सघन तलाशी लेनी शुरू कर दी। इस दौरान लाल रंग की पल्सर बाइक पर सवार दो लोगों से बाइक के कागजात मांगे गए तो दोनों लोग बगले झांकने लगे। शक होने पर पुलिस ने दोनों की तलाशी ली तो उनके पास से 700 ग्राम कीड़ा जड़ी बरामद हुई। जिस पर पुलिस ने प्रतिबंधित जड़ी बूटी कीड़ा जड़ी के साथ बाइक को कब्जे में लेने के साथ दोनों को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में आरोपियों ने अपनी पहचान दलीप पुत्र स्व। महेन्द्र पाल निवासी गढ़ीकैंट देहरादून व योगम्बर सिंह रावत पुत्र भोपाल सिंह निवासी संगम विहार चंद्रबनी पटेलनगर बताई।

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तस्करों का सेना से संबंध

तस्कर दलीप मूल रूप से बरेली के मंडी रोड नकटिया का रहने वाला है और वर्तमान में गढ़ीकैंट दून में रहता है। डीआईजी/एसएसपी पुष्पक ज्योति ने बताया कि दलीप गढ़ीकैंट देहरादून स्थित आर्मी अस्पताल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है, जबकि योगम्बर सिंह भ्वीं बटालियन त्रिपुरा स्टेट राइफल से निलंबित जवान है। बरामद कीड़ा जड़ी की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में ख्भ् लाख रुपए है।

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क्या है कीड़ाजड़ी?

हिमालियन के ग्लेशियर में यह प्रतिबंधित जड़ी बूटी पाई जाती है। जानकारों की मानें तो यह एक बूटी है जो कीड़े से बनती है। जिस कारण इसका नाम कीड़ा जड़ी रखा गया है। अप्रैल में ग्लेशियर पिघलने के दौरान इसे स्थानीय लोग ग्लेशियरों से निकालकर एकत्रित करते हैं और तस्करों के हाथों बेच देते हैं। सर्वाधिक पिथौरागढ़ के मिलान ग्लेशियर में पाया जाता है। इसके अलावा सीमांत जनपद चमोली में भी कीड़ा जड़ी पाई जाती है। डीआईजी/एसएसपी पुष्पक ज्योति ने बताया कि आरोपियों ने सीमांत जनपदों से कीड़ा जड़ी लाने की बात कही है। जिसे ऋषिकेश में किसी को बेचा जाना था।

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इन दवाईयों में यूज होती है कीड़ाजड़ी

:- शक्तिवर्धक दवाईयां बनाने में

:- यौवनोत्तेजक दवा बनाने में

:- स्टाराइड दवाईयों के निर्माण में

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उत्तराखंड में खजाना फिर भी हाथ खाली

प्राकृतिक रूप से कीड़ा जड़ी उत्तराखंड के सीमांत जनपदों में पाई जाती है, करोड़ों की यह संपदा तस्करों के हाथों नेपाल होते हुए चीन के रास्ते इंटरनेशनल मार्केट में पहुंचती है। बावजूद सरकार इस तरफ उदासीन बनी हुई है। उसकी उदासीनता का उदाहरण इसी बात से लगाया जा सकता है कि वन विभाग ने इसकी तस्करी रोकने के लिए कीड़ा जड़ी की कीमत एक लाख रुपए प्रतिकिलो तय की है। सीमांत जनपदों के लोग कीड़ा जड़ी को इसी रेट पर सरकार को बेच सकते हैं, लेकिन तस्करों इससे भी अधिक दामों में स्थानीय लोगों से खरीद लेते हैं। जिस कारण सरकार का खजाना खाली ही रहता है।

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बीजिंग ओलंपिक में थी डिमांड

साइंस के इस युग में कीड़ा जड़ी को प्रयोगशाला में भी पैदा किए जा रहा है, लेकिन प्राकृतिक तौर से मिलने वाली कीड़ा जड़ी में जो शक्ति है वह प्रयोगशाला में पैदा की जाने वाली कीड़ा जड़ी में नहीं है। यही कारण है प्राकृतिक रूप से उगने वाली कीड़ा जड़ी की विदेशों में खासी डिमांड है। सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड की कीड़ा जड़ी की सर्वाधिक डिमांड ख्008 में बीजिंग ओलंपिक के दौरान हुई थी। क्योंकि इसे खिलाड़ी शक्तिवर्धक दवाईयों के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। सूत्रों की मानें तो इस दौरान उत्तराखंड की कीड़ा जड़ी की कीमत क्ब् लाख रुपए प्रतिकिलो तक थी।

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