- उधम सिंह ने कराई थी डॉ। सुभाष मलिक और रतौली में योगेश के रिश्तेदारों की हत्या

- क्राइम ब्रांच ने हत्याओं में शामिल चार बदमाशों को किया गिरफ्तार, तीन अभी भी फरार

- पुलिस ने एक पिस्टल, दो तमंचे, कारतूस, मोबाइल और सिम कार्ड भी बरामद किए

- तीन लाख में तय हुआ था डॉ। सुभाष की हत्या का सौदा, 50 हजार रुपये दिए थे एडवांस

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24 अगस्त 2014 को थाना सरूरपुर एरिया के रोहटा रोड पर योगेश भदौड़ा के करीबी डा। सुभाष मलिक निवासी ग्राम भदौड़ा की क्लीनिक से घर जाते समय अज्ञात बदमाशों ने शाम के समय हत्या कर दी थी। इस मामले में सरूरपुर थाने में मुकदमा कायम कराया गया था।

केस-दो

07 सितंबर 2014 को सरधना के रतौली गांव में देर रात टयूबवेल पर योगेश भदौड़ा के मौसेरे भाई सुदेश पाल व उनके परिचित शैलेंद्र उर्फ शालू निवासी सरधना को गोलियों से भून कर मौत के घाट उतार दिया था। इस संबध में सरधना थाने में डबल मर्डर का मुकदमा कायम कराया गया था।

चार गिरफ्तार, तीन फरार

पुलिस ने दोनों वारदातों के लिए उधम सिंह और उसकी गैंगवार को जिम्मेदार माना है। प्लानिंग उधम की थी और वारदात को अंजाम दिया था भाड़े के शूटर्स ने। लगभग 15 दिनों की तफ्तीश के बाद पुलिस ने तीन शूटर्स समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। डॉ। सुभाष की हत्या योगेश भदौड़ा के करीबी होने के कारण की गई। उधम के इशारों पर स्क्रिपट तैयार की उसकी पत्नी गीतांजलि और सुशील फौजी ने। सरधना का डबल मर्डर भी उधम ने कराया। पुलिस को तीन अन्य बदमाशों की भी तलाश है। डबल मर्डर में कुछ अज्ञात बदमाश भी शामिल हैं।

चुनाव से चली रंजिश

एसएसपी ओंकार सिंह ने बताया कि 2010 में प्रधान के चुनाव में सुशील फौजी के ताऊ कृष्णपाल खड़े हुए थे। दूसरी ओर से योगेश भदौड़ा की पत्नी सुमन भी चुनाव मैदान में थी। चुनाव के दौरान योगेश भदौड़ा और सुशील फौजी का झगड़ा हो गया। रंजिश के चलते 2012 में सुशील फौजी के मित्र मोनू पुत्र कुंवर पाल की गांव में ही योगेश भदौडा व उसके साथियों ने हत्या कर दी थी। इसके बदले में सुशील फौजी ने 20 सितंबर 2013 को योगेश भदौड़ा के भतीजे अजय की हत्या कर दी। अक्टूबर 2013 में योगेश भदौड़ा ने सुशील फौजी के ताऊ कृष्णपाल के बेटे कपिल की हत्या अपना बदला पूरा किया। डॉ। सुभाष मलिक ने समझौते की कोशिश की तो उसे भी मौत के घाट उतार दिया गया।

उधम के साथ आया फौजी

एसएसपी ओंकार सिंह ने बताया कि डॉ। सुभाष मलिक योगेश भदौड़ा का करीबी था। वह योगेश भदौड़ा को आर्थिक मदद करने के साथ हत्याओं की प्लानिंग में भी अहम भूमिका निभाता था। डॉ। मलिक और योगेश भदौड़ा के बीच की खबरें जेल में उधम तक भी पहुंच रहीं थी, वहीं सुशील फौजी भी चुनाव में झगड़े से गुस्से में था। उधम की पत्नी गीतांजलि से मिलकर सुशील फौजी ने डॉ। सुभाष की हत्या की स्क्रिपट तैयार कर ली। सुशील फौजी के माध्यम से आशु चड्ढा उर्फ मोंटी, विनय शर्मा उर्फ बिट्टू निवासी मीरपुर कला जिला हापुड़, कुलदीप निवासी जौहड़ी गांव बागपत की गीतांजलि से मुलाकात हुई। सुमित नाम के व्यक्ति से मुखबिरी के बाद 24 अगस्त 2014 को डॉ। सुभाष की हत्या कर दी गई। डॉक्टर पर फायर करने वालों में आशु चड्ढा, विनय शर्मा और कुलदीप शामिल थे। पुलिस ने इस मामले में सुशील फौजी निवासी भदौड़ा गांव, आशु चड्डा, विनय शर्मा, अर्जुन निवासी हापुड़ को तो गिरफ्तार कर लिया है, जबकि कुलदीप निवासी बागपत, सुमित निवासी भदौड़ा गांव और पंकज त्यागी निवासी हापुड़ अभी भी फरार चल रहे है।

तीन लाख में सौदा

डॉ। सुभाष मलिक की हत्या भाड़े के शूटर से कराई गई थी। इसके लिए उधम की ओर से तीन लाख रुपये देने की बात हुई थी। 50 हजार रुपये तो सुशील फौजी और गीतांजलि ने शूटरों को दे दिए थे, जबकि ढाई लाख रुपये और देने बाकी थे। 50 हजार रुपये मिलने के बाद आशु, विनय, अर्जुन, कुलदीप ने कपड़े और जूते खरीद लिए थे। ढाई लाख रुपये मिलते उससे पहले ही क्राइम ब्रांच में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

पिस्टल और तमंचे बरामद

हत्या में शामिल किए गए हथियार, मोटर साइकिल और मोबाइल सिम को भी पुलिस ने बरामद कर लिया है। एसएसपी ने बताया कि आरोपियों के पास से एक पिस्टल व छह कारतूस, दो तमंचे, पंद्रह कारतूस, पांच मोबाइल फोन विद सिम कार्ड, एक मोटर साइकिल सीडी डीलक्स बरामद कर ली है।

पंकज त्यागी का रोल?

पंकज त्यागी भले ही हत्या की स्क्रिपट लिखने से लेकर मारने तक में शामिल न रहा हो लेकिन सुशील फौजी अपने सभी हथियार हापुड़ में रहने वाले पंकज त्यागी के घर पर रखता था। जब भी किसी को मौत के घाट उतारना होता था तो पंकज के घर से हथियार लेकर आता था। पंकज हथियारों को घर में छिपाकर रखता था।

हत्या के लिए अवकाश

सुशील फौजी यूं तो फौज में अंबाला तैनात है, लेकिन नौकरी करते हुए भी वह भदौड़ा के साथ रंजिश को नहीं भूला और उधम सिंह के साथ मिलकर योगेश भदौडा का खानदान खत्म करने के लिए काम करता रहा। डॉ। सुभाष की हत्या कराने के लिए सुशील फौजी अवकाश पर आया था, इसी दौरान उसने हत्या कर दी थी।