क्या है मामला

दिल्ली युनिवर्सिटी ने 2013 में अपने तीन सालों वाले स्लेबस को चार सालों में तब्दील कर दिया था. इस चेंज का विरोध एबीवीपी, एनएसयूआई और आईसा जैसे बड़े स्टूडेंट्स एसोसियेशन और टीचिंग स्टाफ कर रहा था. गौरतलब है कि एबीवीपी भारतीय जनता पार्टी की स्टूडेंट विंग है. इसलिए बीजेपी के सत्ता में आते ही यूजीसी की तरफ से दिल्ली युनिवर्सिटी को एक आदेश जारी किया गया है. इस आदेश में यूजीसी ने इस स्लेबस को वापस लेने को कहा है. इसमें यूजीसी का तर्क है कि यह स्लेबस देश भर में चल रहे 10+2+3 स्लेबस पैटर्न को इम्पैक्ट करता है. इसके जबाब में युनिवर्सिटी ने कहा है कि इस पाठ्यक्रम को पूरी रिसर्च के बाद लागु किया गया है.

कुलपति कर रहे समर्थन

दिल्ली युनिवर्सिटी में चल रहे चार सालों के स्लेबस को युनिवर्सिटी प्रोफेसर और लैक्चरर्स पसंद नही कर रहे हैं. हालांकि दिल्ली युनिवर्सिटी के कुलपति दिनेश सिंह इस स्लेबस को जारी रखने के पक्ष में हैं

एकेडमिक कांउसिल मीटिंग में होगा विचार

दिल्ली यूनिवर्सिटी के टीचर्स ने अपने सभी मैम्बर्स से एकेडमिक कांउसिल मीटिंग में इस बारे में विचार करने को कहा है. इस मीटिंग में दिल्ली युनिवर्सिटी के टीचर्स चार साल वाले कंट्रोवर्सियल स्लेबस से जुड़े सभी इश्यूज पर चर्चा करेंगे.

इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर दिनेश सिंह ने शिक्षकों के साथ यूजीसी से आई ईमेल भी शेयर नहीं की है.

   

डिस्कशन जरूरी है

यूजीसी से आई ईमेल को शेयर ना करते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर दिनेश सिंह ने अपने टीचिंग स्टाफ से कहा है कि यूजीसी ने जल्दबाजी में तथ्यों को नजरंदाज किया होगा. इसके साथ ही उन्होंने सदस्यों से चार साल के स्लेबस से जुड़े इश्यूज पर डिस्कस करने को कहा है.

एनडीए सरकार का असर

इस मामले में केंद्र की नई सरकार का असर साफ देखा जा सकता है. दरअसल एबीबीपी काफी समय से इस स्लेबस को हटाने की मांग कर रही थी. हालांकि एचआरडी मिनिस्टरी ने इसके साथ किसी भी तरह के कनैक्शन से इनकार किया है. गौरतलब है कि NSUI, AIDSO, AISA, AISF, CYSS, DSU, INSO, KYS, NEFIS, PACHHAS, SFI और SYS जैसे संगठन भी इस स्लेबस को हटाने और चांसलर के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

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