- फर्जी डॉक्टर्स के सहारे चल रहे थे हॉस्पिटल

-राजधानी में सिर्फ 650 हॉस्पिटल रजिस्टर्ड

-पुराने लखनऊ में ज्यादातर आयुष डिग्री धारी चला रहे अस्पताल

LUCKNOW :राजधानी के तीन बड़े अस्पतालों को फर्जी डॉक्टर्स या आयुष डॉक्टर्स द्वारा चलाने की जानकारी सामने आई है। अब इन्हें सीएमओ की टीम जल्द ही डीएम की अनुमति से बंद कराएगी।

छापे से हकीकत

ठाकुरगंज में फर्जी ब्लड बैंक के गोरखधंधे की कडि़यां जोड़ते हुए एफएसडीए व स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शनिवार को हरदोई रोड पर अंधे की चौकी स्थित उजाला नर्सिग होम में छापा मारा तो पता चला न तो अस्पताल में एमबीबीएस डॉक्टर हैं और न ही ये सीएमओ कार्यालय से रजिस्टर्ड है। सीएमओ की टीम ने पिछले हफ्ते ही दो और बड़े अस्पतालों में छापा मारकर गड़बडि़यां पकड़ी हैं। इन सभी तीनों अस्पतालों को बंद करने के लिए सीएमओ की टीम ने जिलाधिकारी से संस्तुति की है।

सिर्फ 640 ही रजिस्टर्ड

राजधानी में सिर्फ 640 नर्सिग होम व क्लीनिक और 440 डायग्नोस्टिक सेंटर व पैथोलॉजी ही रजिस्टर्ड हैं। लेकिन इनके अलावा बड़ी संख्या में अवैध रुप से नर्सिग होम और अस्पताल चल रहे हैं। सीएमओ कार्यालय के सूत्रों की माने तो इन अवैध अस्पतालों में से ज्यादातर को आयुष डिग्री धारी डॉक्टर चला रहे हैं जो मानकों के विपरीत है। सीएमओ की टीम जल्द ही इन सभी के खिलाफ बड़ा अभियान शुरु करेगी। शहर में नर्सिग होम एसोसिएशन से इस समय 236 नर्सिग होम ही रजिस्टर्ड हैं।

सभी हॉस्पिटल्स की होगी जांच

डिप्टी सीएमओ डॉ। डीके चौधरी ने बताया कि शहर में सभी नर्सिग होम और पैथोलॉजी सेंटर्स की जांच की जाएगी। सभी डायग्नोस्टिक सेंटर्स की अभी जांच की जा रही है। जिसमें 55 की रिपोर्ट डीएम को भेजी जा चुकी है। 39 और की निरीक्षण आख्या डीएम को कार्रवाई के लिए भेजी गई है। यह निरीक्षण लगातार जारी रहेंगे। इससे पहले पिछली बैठक में सीडीओ ने 50 डायग्नोस्टिक सेंटर्स की जांच के आदेश दिए थे।

60 से ज्यादा ने किया सरेंडर

डॉ। डीके बाजपेई ने बताया कि शहर में पिछले वर्ष 500 से अधिक डायग्नोस्टिक व पैथोलॉजी सेंटर्स को लाइसेंस दिया गया था। सख्ती के कारण 60 से अधिक ने खुद ही अपने सेंटर बंद कर दिए। हाल ही में 21 ने पत्र देकर कहा है कि वे अल्ट्रासाउंड सेंटर नहीं चलाना चाहते।

अप्लाई किया और गए भूल

सीएमओ कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक कई बार अस्पताल सीएमओ आफिस में रजिस्ट्रेशन का आवेदन करते हैं। जब जांच की जाती है तो पता चलता है कि वहां सिर्फ एक नर्स, एक टेक्नीशियन है और सुविधाएं भी नहीं हैं। जिससे उन्हें लाइसेंस दिया ही नहीं जाता। इसके बाद भी वे हॉस्पिटल खोलकर ट्रीटमेंट शुरू कर देते हैं। मैन पावर कम होने से डिपार्टमेंट इनके खिलाफ एक्शन नहीं ले पाता है साथ ही रजिस्ट्रेशन और रीन्यूअल का काम भी पूरे साल चलता रहता है। जबकि यह मार्च माह में पूरा हो जाना चाहिए।

सरल हो रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया

नर्सिग होम एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉ। अनूप अग्रवाल ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया इसलिए शुरू हुई है कि फर्जी तरीके से चल रहे अस्पतालों पर रोक लगे। लेकिन साल भर रिन्यूअल और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चलती रहती है। सिस्टम ऐसा बनाया जाए जिससे यह प्रक्रिया एक माह में ही पूरी हो जाए।

उजाला नर्सिग होम सहित दो अन्य अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। सभी मानकों के विरुद्ध चलते पाए गए हैं। डीएम से अनुमति के बाद इन्हें सील किया जाएगा।

डॉ। जीएस बाजपेई, सीएमओ, लखनऊ