गुरूवार को कथित तौर पर पुलिस फ़ायरिंग में 29 साल के काले युवक मार्क डग्गन की मौत हो गई थी जिसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए थे, लेकिन शनिवार और रविवार की रात में इन प्रदर्शनों ने दंगे का रूप ले लिया। रविवार को युवकों के कई गुटों ने दुकानों को लूटा, पुलिस पर हमले किए और कई इमारतों और वाहनों में आग लगा दी।

दंगाइयों ने कई गाड़ियों के शीशे तोड़े, उनमें आग लगाई, तो कहीं शॉपिंग कॉम्पलैक्स में भारी लूटमार मचाई। रविवार रात लंदन के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी इलाक़ों में भारी हिंसा हुई। हालांकि टौटेनहम सबसे बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। इस हिंसा में नौ अधिकारी घायल हुए हैं, जिनमें से तीन को अस्पताल में भर्ती किया गया है। ब्रिटेन के उप-प्रधानमंत्री निक क्लेग हिंसा के मुद्दे पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से चर्चा करने वाले हैं। इस बीच ब्रितानी गृह मंत्री टेरेसा मे भी पुलिस अधिकारियों से बातचीत करने वाली हैं.'

उपेक्षित समुदाय'

टौटेनहम लंदन के सबसे ग़रीब इलाकों में से एक है और यहां नस्ली हिंसा का अपना इतिहास रहा है। इस इलाक़े में काले समुदाय के कुछ लोगों का कहना है कि लोग इसलिए भी आक्रोशित हैं, क्योंकि यहां युवाओं के लिए पर्याप्त अवसर मौजूद नहीं हैं। पहली काली महिला सांसद डियेन एबट ने कहा कि आर्थिक तंगी भी इस हिंसा के पीछे एक कारण है। उन्होंने कहा, “समय-समय पर इस समुदाय के लोगों पर आरोप लगते रहे हैं।

पुलिस लोगों को रोक कर उनकी तलाशी लेती है, वो अपने अधिकारों का दुरुपयोग करती है जिसके कारण यहां के युवा बेहद उपेक्षित महसूस करते हैं। बेरोज़गारी ने इस समुदाय के लोगों में एक हीन भाव पैदा कर दिया है.”

लंदन के उप महापौर किट मॉल्टहाउस ने कहा, “हमें सावधानीपूर्वक बर्ताव करना होगा। हमें इस घटना को लिए ज़िम्मेदार कारणों को एक बहाना नहीं बनाना चाहिए। ये शर्मनाक अपराध है और पुलिस को चाहिए कि वे इसे मिटाने के लिए पूरी कोशिश करें। जो भी इस हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं, कुछ ही हफ़्तों के भीतर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.”

एक स्वतंत्र पुलिस शिकायत समिति इस मामले की जांच कर रही है। लंदन में एक साल बाद ओलंपिक खेलों का आयोजन होने वाला है। जैसे जैसे खेलों की उल्टी गिनती शुरू हो रही है, वैसे वैसे लंदन पर सबकी निगाहें टिक रही हैं। बीबीसी संवाददाता का कहना है कि ऐसी घटनाओं का लंदन की प्रतिष्ठा पर बुरा असर पड़ सकता है।

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